कैंसर का सफरः एक परिवार की मजबूत नींव होती है महिला

by Team Onco
1278 views

अपने जीवन में कठिनाई के समय में इंसान कई बार खुद के लिए नही, बल्कि दूसरों के लिए जीना शुरू कर देते हैं। जिंदगी के सफर को आराम से काट रही जम्मू की रहने वाली ज़िनिया नहीं जानती थी, कि अपने छोटे से परिवार के बीच उन्हें ऐसी परेशानी देखनी पड़ेगी। पेशे से सर्टिफाइड फिजिओथेरपिस्ट रह चुकी, जिंनिया को साल 2020 में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा। 

पिछले साल अगस्त महीने में उन्हें अपने बाएं स्तन के पास एक गांठ महसूस हुई थी। यह लगभग 5 से 6 सेमी की थी। इस गांठ को जब ज़िनिया ने डाॅक्टर को दिखाया तो उनके कई तरह के टेस्ट और बायोप्सी की गई। जहां से कुछ भी सही तरह से पता नहीं चल पाया।

Onco.com से बात करते हुए ज़िनिया ने बताया कि कई कारणों से उनकी लम्पेक्टोमी नहीं हो पा रही थी। अक्टूबर के महीने में जाकर उनकी लम्पेक्टोमी की गई, जहां से ब्रेस्ट कैंसर होने की बात सामने आई। जो कि इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा ट्रिपल नेगेटिव था। ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर वह कैंसर है जो एस्ट्रोजन रिसेप्टस, प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टस और अतिरिक्त HER2 प्रोटीन के लिए नकारात्मक परीक्षण करता है।

स्तन कैंसर का पता चलने के बाद बिना देरी किए हुए, ज़िनिया के परिवार वालों ने उनका उपचार शुरू करा दिया। उनके इलाज में सबसे पहले सर्जरी की गई, उसके बाद कीमोथेरेपी 8 साइकिल दी गई। कोमोथेरेपी के बाद उन्हें कुछ दुष्प्रभावों का सामना भी करना पड़ा। इस दौरान उन्हें काफी ज्यादा बुखार आया, जिससे उन्हें अस्पताल में भर्ती तक करना पड़ा। उनका पूरा शरीर दर्द से इतना ज्यादा कमज़ोर हो चुका था कि उनमें आगे और कीमोथेरेपी कराने की हिम्मत नहीं थी। एक वक्त के बाद उन्होंने कीमो तक कराने से इनकार कर दिया था। वह बिस्तर से उठ तक नहीं पाती थी। फिर भी हिम्मत करके उन्होंने कीमो की 8 साइकिल ली। जिसके बाद रेडिएशन थेरेपी शुरू की गई। रेडिएशन के बाद उनके शरीर पर काफी ज्यादा बर्न्स  हो गए। 

ज़िनिया बताती हैं कि इस दौरान उनके पति और उनकी मां ने उनकी देखरेख की। अस्पताल में पूरा वक्त उनके पति और घर पर उनकी मां उनके साथ रहती थीं। हालांकि, इस दौरान उनका तीन साल का बेटा उनकी मोटिवेशन बना। क्योंकि एक वक्त में उन्हें लगा था कि शायद वह अब अपने बच्चे के साथ नहीं रह पाएंगी और अगर इस दौरान उन्हें कुछ हो जाता है तो उनके बेटे का क्या होगा। यही सब सोच कर ज़िनिया ने हिम्मत बटोरी और इस कठिन वक्त को पार किया। जिसके बाद उपचार और दुष्प्रभाव दोनों का पढ़ाव ज़िनिया ने पार कर लिया। आज वह सब सभी के बीच स्वस्थ रूप से हैं। 

 

ज़िनिया का कहना है कि लोगों को जीवन में अच्छा और बुरा दोनों वक्त देखने पड़ते हैं। लेकिन, परेशानियों से हार कर कोई भी आगे नहीं बढ़ पाया है। किसी भी कठिनाई को पार करने में हमें थोड़ी सी हिम्मत और प्रेरणा की ज़रूरत होती है। धीरे-धीरे करके वो वक्त भी पार हो ही जाता है। साथ ही ऐसे वक्त में सकारात्मक रहना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। कैंसर को हराने के बाद अब वह अपनी सेहत का बेहतर रूप से ध्यान रखती हैं, साथ ही हेल्दी खाती हैं और एक्सरसाइज़ भी करती हैं। 

ज़िनिया फिलहाल जम्मू में एक क्लिनिक के साथ काउंसलिंग करती हैं। इसके साथ ही वह कैंसर को लेकर और ज्यादा लोगों के बीच जागरूकता लाना चाहती हैं, जिससे लोग इस बीमारी को छुपाएं नहीं। ज़िनिया का अपना ग्लैम बार नाम से एक मेकअप स्टूडियो चलाती हैं।

Related Posts

Leave a Comment