सर्वाइकल कैंसर भारत जैसे विकासशील देशों में कैंसर से संबंधित मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। यह दुनिया भर की महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर है। ऐसा अनुमान है कि भारत में हर आठ मिनट में सर्वाइकल कैंसर से एक महिला की मौत हो जाती है।
विश्व में सर्वाइकल कैंसर (cervical cancer) सबसे अधिक उन क्षेत्रों में देखा जाता है जहां नियमित जांच और टीका करण कार्यक्रम लागू नहीं किए गए हैं।
सर्वाइकल कैंसर का टीका – किसे इसकी आवश्यकता है?
सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं?
- लगातार एचपीवी संक्रमण: सर्वाइकल कैंसर के 99 प्रतिशत मामलों में एचपीवी संक्रमण का पता लगाया जाता है। सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर एचपीवी संक्रमण के 10 से 20 वर्षों के बाद विकसित होता है।
- जोखिम कारक जो एचपीवी संक्रमण के साथ जुड़े हैं, वे हैं : संभोग की प्रारंभिक आयु (21 वर्ष से कम), कई लोगों से यौन संबंध बनाना, किसी ऐसे पुरूष से संबंध बनाना जो कई के साथ यौन रूप से जुड़ा रह चुका हो, कई बार गर्भ धारण करना, और यौन संचारित रोगों का इतिहास जैसे क्लैमाइडिया, एचआईवी संक्रमण, आदि।
- रासायनिक, हार्मोनल और अन्य कार्सिनोजेन्स भी सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक पाए जाते हैं।
- धूम्रपान से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- ऐसे रोगियों में एचपीवी संक्रमण के बने रहने के कारण सर्वाइकल कैंसर के पांच गुना बढ़े हुए जोखिम के साथ एक पूर्व एचआईवी संक्रमण जुड़ा हुआ है।
क्या आपको सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन प्राप्त करने पर विचार करना चाहिए?
सर्वाइकल कैंसर के सबसे आम लक्षण क्या हैं?
- सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम लक्षण असामान्य योनि में रक्तस्राव है।
- सर्वाइकल कैंसर का सबसे विशिष्ट लक्षण पोस्ट-कोइटल ब्लीडिंग (संभोग के बाद रक्तस्राव) है।
- उन देशों में जहां स्क्रीनिंग नियमित रूप से लागू की जाती है, सबसे आम खोज/ संकेतक एक असामान्य पैप स्मीयर है।
- सर्वाइकल कैंसर के अन्य लक्षणों में वैजाइनल डिस्चार्ज शामिल है, जो कि दुर्गंध युक्त और खून से सना हुआ होता है, इसके साथ-साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द भी होता है।
- मूत्राशय और रेक्टल वाले रोगियों में, मूत्र आवृत्ति, असंयम, मूत्रावरोध, मूत्र में रक्त, कब्ज और रेक्टल रक्तस्राव जैसी परिवर्तित आंत्र आदतें पाई जाती हैं।
- मरीज़ों को थकान, बिना कारण वजन घटने और भूख न लगने की शिकायत भी हो सकती है।
- जिन रोगियों का सर्वाइकल कैंसर अन्य अंगों में फैल गया हो सकता है, वे पेट में दर्द और पेट फूलने, मतली और उल्टी, हड्डियों में दर्द, खाँसी की शिकायत, साँस लेने में कठिनाई आदि की शिकायत रहती है।
भारत में सर्वाइकल कैंसर का टीका कैसे लगायें?
भले ही सरकार इसे सब्सिडी नहीं देती है, लेकिन इस देश में शिक्षित और जागरूक महिलाओं के लिए एचपीवी वैक्सीन प्राप्त करना संभव है।
सर्वाइकल कैंसर (एचपीवी वैक्सीन) वर्तमान में भारत में दो कंपनियों – गार्डासिल और जीएसके (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन) द्वारा बेचा जाता है। ज्यादातर निजी क्षेत्र के अस्पतालों में प्रशासित किया जाता है, यह वैक्सीन केवल तब प्रदान किया जाता है जब रोगी इसके लिए पूछते हैं, या यदि कोई चिकित्सक इसे निर्धारित करता है।
सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन (एचपीवी वैक्सीन) की एक खुराक कितनी है?
एक खुराक के लिए एचपीवी वैक्सीन की कीमत औसतन $40 (लगभग 2500 रुपये) से कम है।