कैंसर के इलाज में कामगार है नई तकनीक से बनी ‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’

by Team Onco
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कैंसर का नाम ही लोगों को डराने के लिए काफी है। कैंसर (Cancer)  एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज यदि वक्‍त पर न हो या फिर इसके लक्षणों को नज़रअंदाज किया जाए, तो यह आपके लिए जानलेवा बन जाता है। हालांकि, लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए और उसका इलाज कराया जाए, तो ठीक होने की दर में काफी सुधार होता है। आसान भाषा में समझा जाए तो कैंसर विभिन्न बीमारियों का एक समूह है। यह शरीर में लगभग कहीं भी विकसित हो सकता है। 

'प्रोटॉन बीम थेरेपी'

कैंसर की शुरुआत मानव शरीर में बहुत सारी कोशिकाओं से मिलकर होती है। शरीर की जरूरत के हिसाब से ये कोशिकाएं बनती रहती हैं। मगर ये बनना अनियंत्रित हो जाए या फिर शरीर की मांग और जरूरत के हिसाब से बनना बंद हो जाए तो कोशिकाओं का यह अनियंत्रित विकास कैंसर कहलाता है।

वहीं बात करें ट्यूमर की, तो इन कोशिकाओं की संख्या जब बहुत बढ़ जाती हैं, यह एक समूह का रूप ले लेती है, जिसको ट्यूमर कहते हैं। कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन (विकिरण), कीमोथेरपी (Chemotherapy), दवाओं व अन्य उपचारों की मदद से किया जाता है। विज्ञान को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर्स हर दिन किसी नई तकनीक की खोज कर रहे हैं। जिनमें से ‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’ भी एक है।

‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’ क्‍या है?

कैंसर का इलाज तीन तरह से होता है सर्जरी, रेडिएशन (विकिरण) और कीमोथेरेपी। रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल सर्जरी के बाद होता है, ताकि दोबारा कैंसर से बचाव हो सके। रेडिएशन से कैंसर कोशिकाएं तो मर जाती हैं, लेकिन इससे स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुंचता है।

नई तकनीक से बनी प्रोटॉन थेरेपी (Proton Therapy) से यह परेशानी काफी हद तक दूर हो जाती है। इसमें स्वस्थ कोशिकाओं को बचाते हुए सीधे कैंसर प्रभावित क्षेत्र पर रेडिएशन दिया जाता है। दरअसल, प्रोटॉन एक सकारात्‍मक आवेशित कण है। जो उच्च ऊर्जा पर प्रोटॉन कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है। डॉक्टर प्रोटॉन थेरेपी का उपयोग बाकी अन्‍य थेरेपी के बिना कर सकते हैं। इसे एक्स-रे रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी के साथ भी दिया जा सकता है।

आप ये कह सकते हैं कि ‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’ रेडियोथेरेपी में एकनवीनतम तकनीक है। एक्स-रे रेडिएशन की तरह, प्रोटॉन थेरेपी एक प्रकार की बाहरी-किरण रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy) है। इस थेरेपी में आपको दर्द वाली प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। क्‍योंकि यह बिना दर्द के मशीन से हमारे शरीर के बाहर की त्वचा के माध्यम से रेडिएशन पहुंचाता है।

‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’ कैसे काम करती है? 

सिंक्रोट्रॉन या साइक्लोट्रॉन नामक एक मशीन प्रोटॉन को गति देती है। प्रोटॉन की उच्च गति उच्च ऊर्जा उत्‍पन्‍न करती है। यह ऊर्जा प्रोटॉन को शरीर में ज़रूरत के हिसाब से गहराई तक जाने में मदद करती है। प्रोटॉन तब ट्यूमर में लक्षित विकिरण खुराक देते हैं।

प्रोटॉन थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देती है और ट्यूमर साइट पर रेडिएशन की मदद से स्वस्थ कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को कम करती है। क्योंकि प्रोटॉन बीम रेडिएशन को अधिक सटीक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है, डॉक्टर आसपास के ऊतक के स्वास्थ्य पर कम प्रभाव के साथ रेडिएशन की उच्च खुराक कर सकते हैं।

अपनी विशेषताओं के साथ औपचारिक रेडिएशन में प्रोटॉन आमतौर पर होने वाले एक्स-रे से अलग है, जैसे कि IMRT एक्स-रे उच्च ऊर्जा स्तर पर शरीर में प्रवेश करता है, शरीर के माध्यम से ट्यूमर तक पहुंचता और फिर शरीर के दूसरी तरफ से बाहर निकलकर, शरीर में मौजूद सभी ऊतकों का पता लगाकर हानिकारक विकिरण करता है।

इसके विपरीत, प्रोटॉन एक शरीर में कम ऊर्जा स्तर के साथ प्रवेश करता है और अपनी अधिकांश ऊर्जा ट्यूमर के प्रभाव पर जारी करता है, इससे निकलते वक्‍त स्वस्थ ऊतक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इससे साइड इफेक्ट कम होता है और विशेष रूप से बच्चों में, कम से कम दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। रेडिएशन (विकिरण) की लक्षित खुराक विकिरण तक फायदेमंद होती है, जब ट्यूमर संवेदनशील क्षेत्रों जैसे आँख, मस्तिष्क, सिर, गर्दन, फेफड़े या प्रोस्टेट में होता है।

‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’ के दुष्‍प्रभाव 

सभी उपचारों की तरह, प्रोटॉन थेरेपी न चाहते हुए भी दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। ये प्रभाव एक मरीज से दूसरे में काफी अलग होते हैं। लेकिन यह आपकी खुराक (फोटॉन और प्रोटॉन), उपचार की जगह और प्रत्येक रोगी की प्रतिक्रियाओं पर निर्भर करता है। यदि ऐसी प्रतिक्रियाएं होती हैं तो उसके लिए विशेष उपचार किया जाता है। 

आँखों में सूजन और जलन

आँख के कैंसर के इलाज में मरीज को कई बार प्रॉप्स लगाने की वजह से सूजन या कॉर्निया में जलन महसूस हो सकती है। हालांकि आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा उपचार के दौरान इसकी निगरानी की जाती है। एक उपचार या सिमुलेशन सेशन के बाद, रोगी को आंख से धुंधला दिखाई दे सकता है, जो कुछ घंटों के बाद ठीक हो जाता है।  

थकान

कुछ लोगों को थकान की समस्‍या का सामना करना पड़ता है। 

सिरदर्द, मतली और उल्टी

ये ट्यूमर में या उसके आसपास सूजन का परिणाम होते हैं, जो विकिरण के बाद की प्रतिक्रिया होती हैं। इस सूजन से मस्तिष्क के क्षेत्र में जलन हो सकती है, जो मतली और उल्टी को नियंत्रित करता है।

बालों का झड़ना

इस थेरेपी से किरणों का एक परिणाम अस्थायी है और केवल उसी जगह दिखाई देता है जहां से किरणें गुजरती हैं। हालांकि तीन से छह महीने के भीतर आपके बाल उगने शुरू हो जाते हैं। कीमोथेरेपी के साथ आपके बालों का झड़ना खत्‍म नहीं होता।  

 एरीथेमा या त्वचा में लालपन

इस थेरेपी के बाद यह परेशानी भी अस्थायी है और विकिरण के बाद 2 से 3 सप्ताह के भीतर गायब हो जाता है। रोगी को विकिरण के बाद सूरज के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए।  

स्वाद और भूख में कमी

ये लक्षण स्वतंत्र रूप से आपको दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, उपचार के बाद धीरे-धीरे इसमें सुधार होता है, आपको कुछ हफ्ते या कुछ महीनों का वक्‍त लग सकता है।

‘प्रोटॉन बीम थेरेपी’ के फायदे क्‍या हैं? 

1- यह थेरेपी आसपास के स्वस्थ ऊतकों और अंगों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक दुष्प्रभावों की संभावना और गंभीरता को कम करती है। 

2- इस थेरेपी को पहले से ही विकिरण प्राप्त कर चुके रोगियों में भी आवर्तक ट्यूमर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 

3- निश्चित रूप से ट्यूमर के लिए एक इष्टतम विकिरण खुराक देती है। 

4- इस थेरेपी के बाद उपचार के दौरान और बाद में जीवन में सुधार आएगा।

5-  कुछ प्रकार के ट्यूमर के लिए दीर्घकालिक, प्रगति-मुक्त उत्तरजीविता दरों को बढ़ाता है। 

6- समग्र विषाक्तता को कम करता है। 

किस प्रकार के कैंसर को प्रोटॉन थेरेपी से खत्‍म किया जा सकता है?

– अध्ययनों की मानें तो, प्रोटॉन थेरेपी को प्रोस्टेट, मस्तिष्क, सिर और गर्दन, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, फेफड़े और जठरांत्र प्रणाली (digestive tract) के ट्यूमर के साथ-साथ कैंसर में प्रभावी बताया है, जिन्‍हें सर्जरी द्वारा पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता। 

– प्रोटॉन थेरेपी अक्सर बच्चों में ठोस ट्यूमर के इलाज के लिए पहला विकल्प होता है, क्योंकि प्रोटॉन को ठीक से नियंत्रित किया जा सकता है, इसलिए सामान्य ऊतकों की विकिरण कम होती है। जिससे गंभीर समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है और माध्यमिक ट्यूमर की संभावना कम होती है।

–  प्रोटॉन थेरेपी प्रोस्टेट कैंसर, मस्तिष्क, सिर और गर्दन, बेस-ऑफ-स्कल ट्यूमर, फेफड़े के ट्यूमर, रीढ़ के पास के ट्यूमर, पीडियाट्रिक कैंसर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर और आंख के मेलेनोमा के उपचार में सिद्ध परिणाम दिखा चुकी है।

कैंसर के अलावा, प्रोटॉन थेरेपी का उपयोग पार्किंसंस रोग, मिर्गी, मैक्युलर डीजेनेरशन, धमनियों और नसों के बीच एक असामान्य संयोजन, गंभीर रुमेटोलोगिक स्थितियों और जब्ती विकारों (Epilepsy) के इलाज के लिए प्रभावी है।

प्रोटॉन थेरेपी का उपयोग कैंसर और कुछ गैर-कैंसर वाले ट्यूमर के उपचार के लिए किया जाता है। प्रोटॉन थेरेपी को आपकी स्थिति के हिसाब से उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग अन्य उपचारों जैसे कि सर्जरी और कीमोथेरेपी के साथ किया जा सकता है। डॉक्टर आपके प्रोटॉन थेरेपी के दौरान और बाद में समय-समय पर यह सुनिश्चित करते रहेंगे कि आपका कैंसर पर उपचार का असर हो रहा है या नहीं। आप कितनी बार स्कैन करेंगे आपकी स्थिति पर निर्भर करता है।

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