गर्भाशय का कैंसर: डॉ नेहा कुमार से जानें आम सवालों के जवाब 

by Team Onco
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गर्भाशय का कैंसर

गर्भाशय कैंसर एक महिला के प्रजनन तंत्र में होने वाला सबसे आम कैंसर है। गर्भाशय कैंसर तब शुरू होता है जब गर्भाशय में स्वस्थ कोशिकाएं बदलकर नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं, जिससे एक ट्यूमर बन जाता है। एक ट्यूमर कैंसर या सौम्य हो सकता है। एक कैंसर युक्त ट्यूमर घातक होता है, जिसका मतलब है कि यह बढ़ सकता है और शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। एक सौम्य ट्यूमर बढ़ सकता है लेकिन आम तौर पर शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलता है। आइए जानते हैं इसके उपचार के बारे में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ नेहा कुमार से। 

गर्भाशय कैंसर क्या है और महिलाओं में ये कितना आम है?

गर्भाशय कैंसर या बच्चेदानी का कैंसर गर्भाशय के अंदर की लाइनिंग जिसको हम एंडोमेट्रियल बोलते हैं, उसमें होता है। भारत में ये कैंसर तीसरे नंबर पर है,  जो महिलाओं में काफी आम है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में हर 1 हज़ार से ज्यादा महिलाएं इससे पीड़ित होती है। 

गर्भाशय कैंसर के जोखिम कारक और लक्षण क्या है?

इस कैंसर के जोखिम कारकों में किसी लड़की के पीरियड्स जल्दी आना या किसी महिला के मैनोपोज देर से होना शामिल है। इसके साथ ही कोई महिला जिसके बच्चे न हो रहे हों, मोटापा, हाइपरटेंशन, बीपी, डायबिटीज है। इसके अलावा वो महिलाएं जिन्हें लाॅन्ग स्टेंडिंग ओवेरियन सिंड्रोम या किसी ने होर्मोनल थेरेपी ली है। 

इसके अलावा, जेनेटिक फैक्टर में एचएनपीसीसी सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों में गर्भाशय, ओवेरियन और आंखों के कैंसर के मामले काफी देखे जाते हैं। इस कैंसर के 70 प्रतिशत मामले पहली स्टेज में पाए जाते हैं, क्योंकि ये कैंसर महिलाओं को ज्यादातर मैनोपोज के बाद होता है। इसके लक्षण काफी आसानी से देखे जा सकते हैं। जिनमें शामिल है, मैनोपोज के बाद ब्लीडिंग होना।

गर्भाशय कैंसर का निदान और उपचार कैसे किया जाता है?

आमतौर पर महिलाओं को या तो मैनोपोज के बाद बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है, या फिर उन्हें काफी बीच-बीच में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में, एक अल्ट्रासाउंट और एक एंडोमेट्रो बायोप्सी की जाती है। अगर कैंसर सामने आता है तो इसे साथ ही एमआरआई व PET-CT स्कैन कराया जाता है, जिससे ये पता चलता है कि बीमारी कहां तक फैली हुई है। 

इसके उपचार में सर्जरी की जाती है, जिसमें गर्भाशय की टयूब और ओवरी निकालने के साथ-साथ हमारे शरीर के पैल्विस और पेट के आस-पास की लिम्फ नोडस को भी निकाल दिया जाता है। अगर बीमारी ज्यादा फैली नहीं है तो रोबोटिक सर्जरी और लेप्रोस्कोपी के जरिए भी की जाती है। सर्जरी के बाद बायोप्सी की रिपोर्ट के आधार पर मरीज की स्टेज का पता लगाया जाता है। 

उन महिलाओं के लिए कौन सा उपचार संभव है जिन्हें मैनोपोज़ से पहले ये कैंसर हो जाता है?

कई बार महिलाओं को मैनोपोज से पहले भी इस कैंसर का सामना करना पड़ जाता है। जिनका कैंसर ग्रेड वन में है, ऐसे में उन्हें होर्मोन के हाई डोज़ दिए जाते हैं। इसके अलावा मरीना इंट्रायूट्राइन डिवाइस भी डाला जाता है, जिसमें होर्मोन होते हैं। डिवाइस धीरे-धीरे एक हार्मोन (लेवोनोर्गेस्ट्रेल) छोड़ता है जो एक हार्मोन के समान होता है जिसे महिलाएं सामान्य रूप से बनाती हैं। यह डिवाइस और हार्मोन गर्भावस्था को रोकने में मदद करता है।

गर्भाशय कैंसर के उपचार के बाद किस तरह के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है?

मैनोपोज के बाद उपचार लेने वाली महिलाओं को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन जिन महिलाओं को इससे पहले ये कैंसर हो जाए उन्हें दिक्कतें आती हैं। कई महिलाओं को मैनोपोज़ जल्दी हो जाता है, इसके अलावा लिम्फ नोडस निकालने के बाद पैरों में सूजन यानी कि लिम्फेडेमा की परेशानी शुरू हो जात है। इसके अलावा रेडिएशन के कारण पेट खराब होना, स्किन रिएक्शन जैसी परेशानी होता है। इसके साथ ही यदि दुष्प्रभाव ब्लैडर या रेक्टम पर होते हैं तो इसमें बार-बार बाथरूम आना, स्टूल पास करते हुए ब्लड आने जैसी परेशानी होती है।

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