बीमारी चाहे कोई भी हो, उसे ठीक करने में एक अच्छा इलाज और पैसा इसमें अहम भूमिका निभाता है। बढ़ती उम्र के साथ अपने बच्चों पर बोझ न बने, इसके लिए झारखंड के हजारीबाग की दुर्गावती गुप्ता ने कभी अपने जीवन में हार नहीं मानी। स्तन कैंसर के एक बार इलाज होने के बाद पैरालिसिस अटैक और उसके बाद फिर से कैंसर का वापस आना, शायद इतनी ज्यादा उम्र में किसी को भी तोड़ने के लिए काफी है। दुर्गावती का कैंसर के सफर कुछ इन्हीं कठिनाइयों से भरा है।
दुर्गावती के नातिन ने onco.com को बताया कि साल 2016 में उनकी नानी के दाहिने स्तन में दर्द महसूस होता था। जिसके बाद धीरे-धीरे बढ़ते हुए गांठ का रूप ले लिया, उनकी छाती पर एक जख्म जैसा प्रतीत होने लगा। बाद में डॉक्टर को दिखाने पर उन्हें बताया गया कि सह स्तन कैंसर के लक्षण हैं। जिसके बाद उन्हें कैंसर स्पेशलिस्ट से मिलने की सलाह दी गई। रांची के रिम्स अस्पताल में आकाश ने अपनी नानी का चेकअप कराया। अस्पताल में एफएनएसी टेस्ट हुए, और एक छोटे से ऑपरेशन की मदद से गांठ को स्तन से साफ कर दिया गया। क्योंकि वहां पर एक जख्म जैसा बन गया था।
एफएनएसी की रिपोर्ट लगभग छह से सात दिन के बाद आई, जिसमें कहा गया कि ऑपरेशन के बाद सही तरह से ड्रेसिंग कराने पर यह समस्या ठीक हो जाएगी, इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है। लगभग एक साल बाद दुर्गावती को पैरालाइज अटैक आया जिसमें उनके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। इसी बीच उनकी दाहिनी छाती में फिर से परेशानी होने लगी, वहां सूजन आने लगी और खून बहने लगा। एक साल बाद फिर से उसी जगह पर समस्या होने से घरवाले काफी घबरा गए। डॉक्टर के पास जाने पर उन्हें पता चला कि कैंसर वापस आने लगा है। पिछली बार ठीक तरह से इलाज न होने के कारण उन्हें फिर से यह समस्या हुई है।
जहां से उन्हें फिर से किसी कैंसर स्पेशलिस्ट को दिखाने के लिए कहा गया। आकाश अकेले अपनी नानी के देखभालकर्ता थे, तो उन्हें इस बीच अच्छा अस्पताल चुनने में परेशानी का सामना करना पड़ा। आकाश ने इस बीच ऑनलाइन जाकर onco.com पर लाॅग इन किया, जहां उन्होंने अपनी नानी की बीमारी के बारे में सारी जानकारी भरी। onco.com से उन्हें फोन आया, और उनकी नानी के इलाज को लेकर सारी जानकारी हासिल करने के बाद पास के अस्पतालों के कुछ अच्छे विकल्प उन्हें दिए गए।
अपनी नानी को लेकर आकाश रांची पहुंचे, जहां उन्हें onco.com की मदद से जल्द से जल्द अपाॅइंटमेंट भी मिल गया, जिसके बाद डॉक्टर ने बताया कि उनकी नानी को चौथी स्टेज का स्तन कैंसर है। सीटी स्कैन और बायोप्सी व अन्य परीक्षण करने के बाद उनके इस कैंसर की आखिरी स्टेज के बारे में पता चला। डॉक्टर ने पुरानी रिपोर्ट के आधार पर आकाश को बताया कि पहले उनकी नानी का इलाज ठीक तरह से नहीं हो पाया, जिसके चलते उन्हें आज इस तरह की परेशानी का सामना करना पड रहा है। इलाज के तौर दुर्गावती को दवा दी गई, उन्हें दिन में गोली का सेवन करना पडता है, जिसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है।
कैंसर के इस सफर में आकाश बताते हैं कि onco.com से उन्हें काफी हद तक मदद मिली, पूरे उपचार के दौरान एक केयर मैनेजर उनके संपर्क में रहते थे, जो डॉक्टर से उनकी नानी के इलाज की सारी जानकारी भी लेते रहते थे। इलाज के दौरान रिपोर्ट आने में यदि वक्त लगता था, तो उन्हें लंबा सफर तय करके अस्पताल जाना पडता था। उनकी इस परेशानी का हल करते हुए केयर मैनेजर उन्हें सारी रिपोर्ट ऑनलाइन भेज दिया करते थे।
आकाश एक स्टूडेंट हैं, जो अभी पढाई कर रहे हैं, अपनी पढाई के साथ नानी के उपचार में उनके साथ रहना उनके लिए काफी चुनौती भरा था। ऐसे में onco.com से आकाश को काफी समर्थन मिला, जिससे उन्हें यह सफर इतना कठिन नहीं लगा। कैंसर के मरीज के साथ-साथ एक देखभाल कर्ता के लिए भी यह सफर काफी कठिनाइयों से भरा होता है, ऐसे में किसी भी तरह की थोड़ी मदद काफी मायने रखती है।
एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाली दुर्गावती ने कभी हालातों के आगे हार नहीं मानी, और अपने दम पर अपना इलाज कराया, कैंसर की आखिरी स्टेज पर होने के बावजूद वह नौजवानों के लिए एक मिसाल हैं।
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