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कैंसर का सफर: कम उम्र में दो बार कैंसर को दी मात 

कैंसर जैसी बीमारी लोगों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होती है। इस बीमारी के नाम से लोगों में डर सा रहता है, और कोई कैंसर जब आपको वक्त से पहले हो जाए जिसकी आपने कभी कल्पना भी न की हो तो इसका दर्द समझ पाना इतना आसान नहीं है। ऐसा ही कुछ हुआ अर्चना चौहान के साथ। 

गुजरात के सूरत की रहने वाली अर्चना चौहान के लिए महज 30 साल की उम्र में उनके कैंसर के बारे में पता चलना किसी भारी झटके से कम नहीं था। अर्चना को दो साल के भीतर दो बार कैंसर हुआ। जहां पहले कैंसर से वह ठीक से उबर भी नहीं पाई थी और कोरोना काल के बीच उनका परिवार इससे जूझ रहा था, उन्हें अपने दूसरे कैंसर के बारे में पता चला। 

onco.com से अर्चना ने अपने कैंसर के सफर के बारे में बात की। अपने इस सफर को लेकर उन्होंने बताया कि 30 साल की उम्र में साल 2019 में उन्हें सर्वाइकल कैंसर हुआ था। आमतौर पर सह कैंसर बुर्जग औरतों या यूं कहें कि 40 से 50 साल के बाद होता है, जो अर्चना को काफी कम उम्र में झेलना पडा। शुरुआती तौर पर अर्चना को यूरिन करते समय कई बार खून की बूंदे आती थी। जिसे देखकर उन्हें ऐसा लगा कि शायद यह उनके काम के तनाव की वजह से उनकी माहवारी की साइकिल में बदलाव हो रहा है, इसलिए उन्हें एक महीने में दो बार पीरियड हो रहे हैं। अपनी इस परेशानी को पीरियड समझकर अर्चना ने लगभग छह महीने ऐसे ही निकाल दिए। जिसके बाद उन्होंने डॉक्टर को दिखाया जहां से उन्हें अपने सर्वाइकल कैंसर होने की बात पता चली। 

जिसके बाद 9 मई 2019 को अर्चना की सर्जरी की गई, क्लिनिकल एग्जामिनेशन के बाद डॉक्टरों ने उन्हें रेडिएशन की सलाह भी दी। जहां 25 रेडिएशन की सीटिंग्स उन्हें दी गई। अगस्त 2019 में उनके इलाज की प्रक्रिया खत्म हुई। जिसके बाद अर्चना ने कई तरह के दुष्प्रभावों का सामना भी किया। उन्हें रेडिएशन के बाद काफी ज्यादा यूरिन इंफेक्शन हुआ। 

चार से पांच महीने बाद अर्चना का फालो अप हुआ जिसमें उनका अल्ट्रासाउंड और पेट स्कैन किया गया। जनवरी के बाद जब फिर से उनका फालो अप का वक्त आया तो कोरोना महामारी देश में दस्तक दे चुकी थी। इस बीच अर्चना के पति जो अस्पताल में नौकरी करते हैं, वह कोरोना से ग्रस्त हो गए। पति के कोरोना पॉजिटिव होने के दौरान एक दिन अर्चना को अचानक से अपनी जांघ पर एक गांठ जैसी महसूस हुई। जिसके बारे में उन्होंने अपने डॉक्टर को फोन करके बताया। इस दौरान अर्चना का पूरा परिवार क्वारंटाइन था। इस वजह से वह घर से बाहर  भी नहीं जा सकती थीं। जिसके बाद ऐसे हालातों के बीच किसी तरह से अर्चना का अल्ट्रासाउंड हुआ, जिसमें यह पता चला कि यह मलिग्नेंट टयूमर है। इसे तुरंत बाद डाॅक्टर ने उन्हें जल्द से बायोप्सी कराने की सलाह दी। अपनी इस पूरी प्रक्रिया के बारे में अर्चना ने अपने घर में किसी के नहीं बताया था। अपने इलाज के दौरान अर्चना ने अकेले ही सब कुछ किया। 

बायोप्सी कीे रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसमें उनके लिम्फ नोड्स में ट्यूमर आया, जो मेटास्टेटिक था। डॉक्टरों को लगा कि यह अर्चना का सर्वाइकल कैंसर है जो वापस आ गया, जो चौथी स्टेज में है। जिसके बाद अर्चना का पेट स्कैन हुआ, जिसमें यह पता चला कि यह वल्वर कैंसर है जो लिम्फ नोड्स में मेटास्टेटिक है। जिसके बाद अर्चना की सर्जरी की गई। जिसके बाद बायोप्सी की रिपोर्ट में ट्यूमर काफी अंदर तक दिखाई दिया। अब एक परेशानी यह थी कि क्योंकि अर्चना को रेडिएशन थेरेपी कुछ महीनों पहले ही दी गई थी तो अब उन्हें दोबारा यह थेरेपी नहीं दी जा सकती थी। जिसके बाद उन्हें लिम्फ नोड में लोकल रेडिएशन दिया गया। इस बीच अर्चना की हर हफते कीमोथेरेपी और 25 रेडिएशन होनी थी। इस उपचार के दौरान उन्हें कोरोना हो गया। जो अब डॉक्टरों के लिए एक और बड़ी परेशानी थी। अपने इस उपचार के वक्त अर्चना घर पर अकेली क्वारंटाइन रहीं। जहां घर पर ही उनका इलाज किया गया।

उपचार के बाद अर्चना ने कई दुष्प्रभाव झेले। उन्होंने बताया कि रेडिएशन के बाद उनके ब्लैडर में हमेशा स्वेलिंग रहती थी। यह पूरे दो साल तक काफी दर्द भरा रहा। यूरिन की जगह पर काफी दर्द और जलन उन्हें महसूस होती थी। इसके अलावा, उन्हें दस्त, उल्टी और कीमोथेरेपी के चलते कब्ज की काफी ज्यादा परेशानी हुई। 

अपने आप कैंसर से उबरने के बाद अब अर्चना कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर महिला दिवस पर 110 महिलाओं का हेल्थ चेकअप कराया। साथ 25 लड़कियों को निशुल्क एचपीवी की वैक्सीन भी लगवाएंगी। 

इसके साथ ही अर्चना छोटी बच्चियों में सेनेटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करती हैं, और उन्हें निःशुल्क पैड भी देती हैं। वह जरूरतमंद लोगों को कोशिश कर के मुफ्त व सस्ता इलाज मुहैया कराने में मदद करती हैं। 

कैंसर के मरीजों को जागरूक करने के लिए अर्चना टाॅक शो करती हैं, जिसमें वह उन्हें मोटिवेट करती हैं। साथ ही वह कैंसर के बारे में लिखती भी हैं। महज 30 साल की उम्र में दो बार कैंसर को मात दे चुकीं अर्चना आज आराम से अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं। वह डॉक्टर के हिसाब से वक्त-वक्त पर चेकअप करातीं रहती हैं। अपनी नौकरी के साथ कैंसर के लोगों की मदद कर वह बेहतर रूप से कैंसर और मरीजों व हम सभी के लिए मिसाल बनीं हैं। 

Team Onco

Helping patients, caregivers and their families fight cancer, any day, everyday.

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