हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर का बेस्ट इलाज
Onco केयर सेंटर में पाइए प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज के लिए अनुभवी डॉक्टर्स द्वारा सफल और सबसे आधुनिक इलाज।
- बेहतर सुविधाएं और गुणवत्ता वाले इलाज
- एक ही दिन में जांच और इलाज की शुरुआत
- एडवांस उपचार की तकनीक
- किफायती दामों में जांच
- जीरो इएमआई पर, इलाज के सस्ते और आधुनिक विकल्प
रेटिंग 5/5 रिव्यू
प्रॉस्टेट कैंसर क्या है?
जब प्रॉस्टेट ग्रंथि की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगें तो ये प्रॉस्टेट कैंसर कहलाती हैं। लगभग सभी प्रॉस्टेट कैंसर एडेनोकार्सिनोमा होते हैं। प्रॉस्टेट कैंसर के बाकी दुर्लभ प्रकार हैं स्मॉल सेल कार्सिनोमा, न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर, ट्रांजिशनल सेल कार्सिनोमा, और सार्कोमा। लेकिन, सभी प्रॉस्टेट कैंसर ग्रंथि की कोशिकाओं से ही होते हैं जो सेमिनल फ्लूइड बनाती हैं। प्रॉस्टेट कैंसर सामान्यतः 50 की उम्र के ऊपर के लोगों में पाया जाता है और ये खतरा उम्र के साथ बढ़ता ही जाता है।
हैदराबाद में टाॅप प्रोस्टेट कैंसर स्पेशलिस्ट की हमारी टीम
Dr. Amit Jotwani
CoFounder, CMO, Chief OncologistDr. Shikhar Kumar
Consultant Medical OncologistDr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation OncologyDr. Abid Ali Mirza
Surgical OncologistDr. M A Suboor Shaheerose
Medical OncologistDr. Amit Jotwani
CoFounder,CMO,Chief Oncologist
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Shikhar Kumar
MD, DNB,DM – Medical oncology, ECMO
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation Oncology
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
हमारे ओन्को केयर सेंटर्स में पाएं
- अनुभवी हेल्थकेयर टीम
- एक काॅल पर कसंल्टेशल
- 30 मिनट से ज्यादा तक डॉक्टर से सलाह
- कीमोथेरेपी के लिए कोई IP शुल्क नहीं
- सेंटर में स्कैल्प कूलिंग, लेग मसाजर जैसी एडंवास तकनीक
- देशभर के ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ टेलीकंसल्टेशन
- सेकंड ओपिनियन बिल्कुल फ्री
- कोमप्लिमेंटरी डाइट प्लान
- एक घंटे के भीतर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज
प्रॉस्टेट कैंसर के संकेत और लक्षण
सीने में, कूल्हों में, पीठ और हड्डियों में दर्द
पेशाब या सीमेन में खून
पेशाब करने में तकलीफ़ या रुक रुक कर पेशाब होना
लगातार पेशाब लगना, ज्यादातर रात में
पेशाब करते समय जलन या दर्द
बढ़े हुए प्रॉस्टेट की वजह से बैठने में तकलीफ
थकावट
कमज़ोरी, पैर या एड़ी का सुन्न होना
स्पाइनल कॉर्ड में ट्यूमर की वजह से ब्लैडर या बॉवेल के ऊपर अपना संयम न होना
नपुंसकता
ऑन्कोलॉजिस्ट से कंसल्ट करें और जांच करवाएं
हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर के लिए डायग्नॉस्टिक टेस्ट
स्क्रीनिंग – डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE) – इस टेस्ट में डॉक्टर ग्लव्स पहन कर मलाशय (रेक्टम) में अपनी उंगलियां डालते हैं और प्रॉस्टेट ग्रंथि का नाप और आकार चेक करते हैं।
प्रॉस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) टेस्ट – इस टेस्ट में अगर PSA लेवल नॉर्मल से ज्यादा है तो यह प्रॉस्टेट के संक्रमित होने का या फिर कैंसर होने का संकेत है।
डायग्नॉस्टिक टेस्ट – ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड (TRUS) स्कैन – इस इमेजिंग स्कैन में रेक्टम में अल्ट्रासाउंड का एक छोटा सा प्रोब डाल कर प्रॉस्टेट ग्रंथि में किसी असामान्य ट्यूमर की जांच करते हैं।
मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) – MRI प्रॉस्टेट की विस्तृत तस्वीरें देता है जिससे बायोप्सी के लिए प्रॉस्टेट टिशू लेने में आसानी होती है।
प्रॉस्टेट बायोप्सी – TRUS और MRI स्कैन की मदद से कैंसर की कोशिकाओं को चेक करने के लिए प्रॉस्टेट टिशू इकट्ठा करना जरूरी है।
जेनेटिक टेस्टिंग – इस टेस्ट को करने से यह पता चलता है कि प्रॉस्टेट कैंसर किसी जेनेटिक म्यूटेशन से है कि नहीं। लेकिन कुछ मामलों में इलाज के निर्णय लेने के लिए भी ये किया जाता है।
डायग्नोस्टिक टेस्ट पर डिस्काउंट पाएं
हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज के लिए आधुनिक प्रक्रियाएं
सर्जरी – स्टेज I, II या III के लिए सर्जरी सबसे अच्छा इलाज है जिसमें कैंसर सिर्फ प्रॉस्टेट में होता है या आसपास के अंगो तक सीमित रहता है। कभी-कभी एडवांस स्टेज के प्रॉस्टेट कैंसर के लिए बाकी इलाज की प्रक्रियाओं के साथ सर्जरी भी की जाती है।
रेडिकल प्रोस्टैटेक्टमी एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें प्रॉस्टेट ग्रंथि, उसके आसपास के लिम्फ नोड्स और स्वस्थ टिशू को निकाल दिया जाता है। ये दो तरीके से होती है –
1- रोबोट असिस्टेड लेप्रोस्कोपिक प्रोस्टैटेक्टमी – इस प्रक्रिया में पेट में छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं, और इनमें से सर्जिकल औजार अंदर डाल कर सर्जरी की जाती है।
2- रेट्रोप्यूबिक सर्जरी – इस प्रक्रिया में पेट के निचले हिस्से में एक बड़ा सा चीरा लगाया जाता है और प्रॉस्टेट को आसपास के कैंसर वाले टिशू के साथ निकाल दिया जाता है। अगर सर्जरी नहीं संभव है तो ट्यूमर को नष्ट करने के लिए डॉक्टर एबलेशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी करने का सुझाव देंगे।
Talk To Our Expert Oncologist
हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज का खर्च
हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज का खर्च कई मुद्दों पर निर्भर करता है जैसे हॉस्पिटल की सुविधाएं, मेडिकल विशेषज्ञता, इलाज के पहले के खर्च (कंसल्टेशन ,ब्लड टेस्ट,स्कैन आदि), आपका कौन-सा इलाज हो रहा है, इलाज के बाद का खर्च ( जिसमें डॉक्टर से समय-समय पर फॉलो अप करके सलाह लेना, टेस्ट, स्कैन और दवाईयां शामिल हैं)। एक अनुमान से हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज का खर्च 350000 से 750000 तक होता है। अगर आप अपने कैंसर के प्रकार और इलाज के हिसाब से अपना खर्च जानना चाहते हैं, तो हमें कॉल करें 8008575405 पर और हम आपको आपके खर्च का अनुमान बताने में मदद करेंगे।
हालांकि, हैदराबाद में प्रोस्टेट कैंसर के उपचार की लागत रुपये 3,50,000 से 7,50,000 तक है।
हैदराबाद में किफायती दाम पाएं प्रॉस्टेट कैंसर का इलाज
क्लिनिकल अनुभव और मरीजों की कहानियां
हमें ओंको कैंसर सेंटर के लिए पॉजिटिव प्रतिक्रियाएं सुनकर बहुत ही खुशी होती है।
यहां द्वारा सर्विस लेने वाले मरीजों ने अपना अनुभव शेयर किया है।
हैदराबाद में प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज के लिए पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रॉस्टेट कैंसर को ठीक करने के लिए यूरोलॉजिस्ट सबसे अच्छा डॉक्टर है। यूरोलॉजिस्ट यूरिनरी ट्रैक्ट और पुरुष के रिप्रोडक्टिव सिस्टम की बीमारियों का विशेषज्ञ होता है जिसमें प्रॉस्टेट भी शामिल है। इलाज के हिसाब से फिर ऑनकोलॉजिस्ट प्रॉस्टेट कैंसर को ठीक करने के लिए होते हैं।
डॉक्टर आपके स्वास्थ को और कैंसर की गंभीरता को देखते हुए आपके लिए सबसे अच्छा इलाज चुनेंगे। डॉक्टर आपकी सर्जरी भी कर सकते हैं, जिसे प्रोस्टेटेक्टॉमी कहते हैं जिसमें प्रॉस्टेट ग्रंथि को निकाल दिया जाता है। सर्जरी के अलावा, डॉक्टर आपको रेडिएशन थेरेपी और बाकी के इलाज भी करने को कह सकते हैं जिससे प्रॉस्टेट कैंसर फिर से न हो जाए।
प्रॉस्टेट कैंसर के असल कारण स्पष्ट नहीं हैं। लेकि,न रिसर्च करने में पाया गया है कि कुछ जोखिम भरे कारण हैं जिससे प्रॉस्टेट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है जैसे –
– आदमी की उम्र, क्योंकि प्रॉस्टेट कैंसर होने का खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है
– यह गोरे आदमी की तुलना में काले आदमी में ज़्यादा पाया जाता है। इसलिए इंसान की जाति भी एक कारक मानी गई है हालांकि इसका कारण स्पष्ट नहीं है।
– प्रॉस्टेट कैंसर का परिवारिक इतिहास
– इन्हेरीटेड या एक्वायर्ड जैनेटिक म्यूटेशन
– अधिक कैल्शियम की मात्रा का सेवन
– वज़न ज्यादा होना
– कम शारीरिक मेहनत करना
– एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन की अधिक मात्रा
– प्रॉस्टेट ग्रंथि का संक्रमण
– धूम्रपान
– वैसेक्टोमी (पुरुषों को प्रजनन करने से रोकने के लिए मामूली सर्जरी)
प्रॉस्टेट कैंसर कोई मुख्य लक्षण नहीं दिखाते हैं। लेकिन कुछ संकेत हैं जिससे आपको अलर्ट हो जाना चाहिए –
– नपुंसकता
– पेशाब या सीमेन में खून
– पेशाब करने में तकलीफ़ या रुक रुक कर पेशाब होना
– लगातार पेशाब लगना, ज्यादतर रात में
– पेशाब करते समय जलन या दर्द
– बढ़े हुए प्रॉस्टेट की वजह से बैठने में तकलीफ
यह लक्षण किसी और बीमारी के भी हो सकते हैं इसलिए डॉक्टर से अपने प्रॉस्टेट को जांच कराएं।
इमेजिंग टेस्ट और डायग्नॉस्टिक टेस्ट के आधार पर डॉक्टर आपको कैंसर की स्टेज बताएंगे। इस स्टेज से हमें प्रॉस्टेट कैंसर का नाप, स्थान, फैलाव, और उसकी तीव्रता पता चल जाता है। यह I से IV स्टेज तक होते हैं।
स्टेज I – प्रॉस्टेट कैंसर अपने शुरूआती चरण में है और धीमी गति से बढ़ रहा है। सिर्फ आधा या उससे कम ही प्रॉस्टेट प्रभावित हुआ है। इस स्टेज में PSA लेवल कम होते हैं, कोई ट्यूमर नहीं होता है, और कैंसर की कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं जैसी ही दिखती हैं।
स्टेज II – इस स्टेज में PSA लेवल कम से औसत मात्रा में होते हैं और ट्यूमर भी सिर्फ प्रॉस्टेट तक ही रहता है। ये बाकी के अंगों तक फैलने की क्षमता रखता है।
स्टेज III – इस स्टेज में PSA लेवल ज़्यादा होता है और ट्यूमर आसपास की ऊतकों तक बढ़ चुका होता है। ये लोकल एक जगह पर (लोकली एडवांस) बढ़ चुके होते हैं। इस स्टेज को हाई ग्रेड भी कहा जा सकता है, जहां कैंसर तेज़ी से बढ़ कर आसपास के अंगों तक फैलता है।
स्टेज IV – कैंसर प्रॉस्टेट के साथ सेमिनल वेसिकल्स, आसपास के टिश्यू, लिम्फ नोड्स और बाकी के अंग जैसे मलाशय (रेक्टम), मूत्राशय (ब्लैडर) या पेल्विक दीवार तक फैल चुका है। ये सबसे एडवांस प्रॉस्टेट कैंसर है जो दूर के लिंफ नोड्स और हड्डियों तक भी पहुंच सकता है।
ग्लीसन स्कोर के हिसाब से प्रॉस्टेट कैंसर को हाई ग्रेड, मीडियम ग्रेड और लो ग्रेड में भी बांटा गया है। ग्लीसन का स्कोरिंग सिस्टम इस बात पर निर्भर करता है कि माइक्रोस्कोप में कैंसर की कोशिकायें सामान्य कोशिकाओं से कितना अलग दिखती है। ग्रेड का मतलब है कि यह कैंसर कितना खतरनाक है।
हाई ग्रेड प्रॉस्टेट कैंसर का अर्थ है कि कैंसर तेज़ी से बढ़ रहा है और शरीर के बाकी हिस्सों तक भी फैलेगा। जबकि लोअर ग्रेड प्रॉस्टेट कैंसर का अर्थ है कि कैंसर की कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं जैसी ही हैं और इनके फैलने की संभावना भी कम है।
40 साल से बड़े उम्र के आदमीयों में यह सामान्य है और यह खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है। 19 से 40 साल के आदमीयों में ये काफी कम पाया जाता है। हालिया रिसर्च में यह सामने आया है 100 में से लगभग 13 आदमी अपनी जिंदगी में प्रॉस्टेट कैंसर से प्राभावित होते हैं।
प्रॉस्टेट कैंसर रेडियोथेरपी और सर्जरी दोनो से ही ठीक हो सकता है। हर प्रक्रिया का अपना साइड इफेक्ट है जैसे ब्लैडर या बॉवेल पर संयम न होना, या नपुंसकता। हर प्रक्रिया के नतीजे और साइड इफेक्ट्स अपने डॉक्टर से चर्चा करके ही उचित निर्णय लें। रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी दोनो ही प्रॉस्टेट कैंसर के इलाज में सफल पाई गई है। अगर आपको प्रॉस्टेट निकलने से कोई परेशानी नहीं है तो आप सर्जरी के लिए जा सकते हैं।
शुरूआती चरण के प्रॉस्टेट कैंसर को पूरे तरीके से ठीक किया जा सकता है क्योंकि इस स्टेज में ट्यूमर इलाज से ठीक हो जाते हैं। लेकिन मेटास्टेटिक प्रॉस्टेट कैंसर जिसमें कैंसर दूसरे अंगों तक फैल जाता है उसे ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इलाज करके मरीज की उम्र बढ़ाई जा सकती है।
प्रॉस्टेट कैंसर धीरे धीरे बढ़ता है इसलिए कई मामले शुरूआती चरण में ही पहचान में आ जाते हैं। इसलिए हम ये सलाह देंगे के अगर आपको प्रॉस्टेट कैंसर के कोई भी लक्षण महसूस हो तो तुरंत आप अपने प्रॉस्टेट की स्क्रीनिंग कराएं।
70 साल से बड़े उम्र में प्रॉस्टेट कैंसर की सलाह नहीं देते हैं। कुछ मामलों में जब आदमी स्वस्थ है तो रेडिकल प्रोस्टेटेकटमी एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
अगर प्रॉस्टेट कैंसर अपने शुरूआती चरण में है, तो उसे ठीक किया जा सकता है और मरीज़ 5 से 10 साल तक जी सकता है। एडवांस स्टेज के कैंसर के मामले ठीक नहीं होते हैं लेकिन, इनका इलाज करके मरीज की उम्र बढ़ाई जा सकती है। कुल मिला के मरीज के जीने की संभावना (सर्वाइवल रेट) एक से दस साल है।
ज्यादातर प्रॉस्टेट कैंसर का पता स्टेज I, II या III तक चलता है जिसमें कैंसर मात्र प्रॉस्टेट या आसपास के क्षेत्र तक ही सीमित रहता है। इन स्टेज तक प्रॉस्टेट कैंसर के ठीक होने की ज़्यादा संभावना होती है। स्टेज IV के कैंसर के इलाज से भी मरीज की जीने की संभावना बढ़ाई जा सकती है।
प्रॉस्टेट कैंसर की सर्जरी सामान्यतः रेडिकल प्रोस्टेटिकटमी से किया जाता है। इस सर्जरी में सर्जन प्रॉस्टेट ग्रंथि, सेमिनल वेसिकल्स और पेल्विक लिम्फ नोड्स को निकाल देते हैं। इस सर्जरी के बाद आप बिना किसी और इलाज के और कैंसर दुबारा होने के डर के बिना एक सामान्य जीवन जी सकते हैं। लेकिन, आपको साइड-इफेक्ट्स का सामना करना पड़ सकता है जैसे ब्लैडर पर अपना संयम न होना और (इरेक्टाइल डिस्फंक्शन) नपुंसकता। जिन मरीज का इस सर्जरी से इलाज होता है वे 10 साल तक अपना जीवन जी सकते हैं।
एडवांस स्टेज के प्रॉस्टेट कैंसर के लिए हार्मोन थेरेपी जिसे एंडोक्राइन थेरेपी भी कहते हैं एक प्रभावशाली इलाज है। कैंसर टेस्टोस्टेरोन हॉरमोन की मदद से तेज़ी से बढ़ता है। इसलिए, हार्मोन थेरेपी इसे बनने से रोकता है और टेस्टोस्टेरोन को कैंसर की कोशिकाओं तक जाने से भी रोकता है। कभी-कभी हार्मोनल थेरेपी को रेडिएशन थेरेपी के साथ भी दिया जाता है। अगर ये काम नहीं करती तब कीमोथेरेपी इसका अगला विकल्प है।
Related Blogs
How is Air Pollution a Risk Factor for Lung Cancer?
It is no surprise that outdoor air pollution is a significant contribution to the development…
Small Cell and Non-Small Cell Lung Cancer: Know the difference
Lungs are a vital part of the respiratory system and are located above the diaphragm and behind the rib…
5 ways to cope with lung cancer treatment
Diseases such as lung cancer and their treatments can take a toll on mental and physical health…
How To Protect Yourself From Lung Cancer
Lung cancer is one of the most common cancers and led to 2.09 million cases and 1.76 million deaths…
What are the New Advancements in the Treatment of Lung Cancer?
According to Globocan 2020, lung cancer is the second most common cancer by incidence…