हैदराबाद में फेफड़े के कैंसर का बेस्ट ट्रीटमेंट
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फेफड़े का कैंसर क्या है?
इसे ब्रॉन्कोजेनिक कैंसर भी कहते हैं। जब फेफड़े की कोशिकाएं असामान्य रूप से अनियंत्रित होकर बढ़ने लगे तब ये कैंसर कहलाती हैं। यह आदमी या औरत दोनो में ही एक सामान्य रूप से पाए जाने वाला कैंसर है। ज्यादातर 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग आदमी इससे प्रभावित होते हैं। फेफड़े के कैंसर को दो हिस्से में बांटा गया है –
1) स्मॉल-सेल लंग कैंसर (SCLC)
2) नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC)
हैदराबाद में फेफड़े के कैंसर के टाॅप स्पेशलिस्ट की हमारी टीम
Dr. Amit Jotwani
CoFounder, CMO, Chief OncologistDr. Shikhar Kumar
Consultant Medical OncologistDr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation OncologyDr. Abid Ali Mirza
Surgical OncologistDr. M A Suboor Shaheerose
Medical OncologistDr. Amit Jotwani
CoFounder,CMO,Chief Oncologist
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Shikhar Kumar
MD, DNB,DM – Medical oncology, ECMO
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation Oncology
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
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फेफड़े के कैंसर के संकेत और लक्षण
शुरुआती दौर में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। शुरुआती स्टेज में ज्यादातर कैंसर का पता रूटीन CT स्कैन या चेस्ट के एक्स-रे से लगता है। जैसे-जैसे ये बढ़ता है, लगातार खांसी, खून की खांसी, सांस लेने में तकलीफ, भारी आवाज़, निगलने में तकलीफ, बिना कारण वज़न कम होना, कंधे का दर्द, चेस्ट या फेफड़े का इन्फेक्शन, फेफड़े के आसपास पानी इकट्ठा हो सकता है। जब ये मेटास्टेसिस होता है, हड्डियों में दर्द, देखने में कठिनाई, सिरदर्द, दौरे, थकान, कमज़ोरी और शरीर के कुछ हिस्सों में सुन्न होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
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हैदराबाद में फेफड़े के कैंसर के लिए किए जाने वाले डायग्नोस्टिक टेस्ट
स्क्रीनिंग – फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए कम डोज वाले CT स्कैन ही एकमात्र स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो छोटे से छोटे ट्यूमर का पता शुरुआती दौर में ही लगा लेता है।
डायग्नॉस्टिक टेस्ट – यदि आपको फेफड़े के कैंसर होने का संदेह है, तो डायग्नोस्टिक टेस्ट जैसे CECT चेस्ट स्कैन, PET CT स्कैन, MRI स्कैन, बोन स्कैन आदि किए जाते हैं।
बायोप्सी – स्कैन का इस्तेमाल करके ( MRI, CT और अन्य) एक सुई को सही जगह पर चुभा कर फेफड़े की ऊतकों (टिशू) को लिया जाता है। फेफड़े के कैंसर की बायोप्सी में ब्रोंकोस्कोपी, बायोप्सी नीडल, मीडिया सिस्टोस्कोपी और थोरैकोस्कोपी शामिल हैं।
मॉलिक्यूलर टेस्ट – यह टेस्ट जेनेटिक म्यूटेशन की पहचान करने के लिए किया जाता है, जो ट्यूमर को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इस टेस्ट से पूर्ण विकसित NSCLC की पहचान की जाती है।
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हैदराबाद में फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए एडवांस ट्रीटमेंट
सर्जरी – सर्जरी में कुछ आस-पास के स्वस्थ ऊतकों और लिम्फ नोड्स के साथ-साथ ट्यूमर को हटाकर फेफड़ों के कैंसर का इलाज किया जाता है।
सर्जरी दो तरीकों से की जाती है
थोरेकोटोमी – इस प्रक्रिया में छाती के किनारे और पसली की हड्डी के बीच एक बड़ा-सा चीरा लगाया जाता है और सर्जरी की जाती है।
थोरैकोस्कोपी – इस प्रक्रिया में एक से चार चीरा लगाते हैं। यह मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है। फेफड़े के कैंसर की सर्जरी कई सर्जिकल प्रक्रियाओं
द्वारा की जा सकती है: वेज रिसेक्शन, लोबेक्टॉमी, सेगमेंटेक्टॉमी, लिम्फैडेनेक्टॉमी, स्लीव रिसेक्शन या न्यूमोनेक्टॉमी शामिल है। अगर सर्जरी संभव नहीं है, तो कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी द्वारा ट्यूमर को नष्ट किया जाता है।
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हैदराबाद में फेफड़े के कैंसर के इलाज का खर्च
फेफड़े के कैंसर के इलाज का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे हॉस्पिटल की सुविधाएं, मेडिकल विशेषज्ञता, इलाज के पहले के खर्च (कंसल्टेशन ,ब्लड टेस्ट,स्कैन आदि), आपका कौन सा इलाज हो रहा है, इलाज के बाद का खर्च ( जिसमें डॉक्टर से समय-समय पर फॉलो अप करके सलाह लेना, टेस्ट, स्कैन और दवाईयां शामिल हैं)
फेफड़े के कैंसर में होने वाले खर्च की अधिक जानकारी के लिए आप हमें 8008575405 पर कॉल कर सकते हैं, हम आपको एक अनुमान देंगे।
हैदराबाद में इसकी कीमत 1,00,000 से शुरू होकर 25,00,000 तक जाती है।
हैदराबाद में किफायती दाम में फेफड़े के कैंसर का इलाज
क्लिनिकल अनुभव और मरीजों की कहानियां
हमें ओंको कैंसर सेंटर के लिए पॉजिटिव प्रतिक्रियाएं सुनकर बहुत ही खुशी होती है।
यहां द्वारा सर्विस लेने वाले मरीजों ने अपना अनुभव शेयर किया है।
हैदराबाद में फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रत्येक प्रकार के फेफड़ों के कैंसर के बारे में अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन, सामान्य रूप से कुछ कारण हैं, जिनमें शामिल हैं: सक्रिय या निष्क्रिय धूम्रपान, एस्बेस्टस और रेडॉन गैस जैसे कुछ रसायनों के संपर्क में आना, वंशानुगत या अधिग्रहीत जीन उत्परिवर्तन, फेफड़ों के कैंसर का व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास और वायु प्रदूषण।
इसके सटीक कारण की अभी जानकारी नहीं है। पर सामान्य रूप से कुछ कारण हैं – सक्रिय (active) या निष्क्रिय (passive) धूम्रपान, कुछ केमिकल के संपर्क में आना जैसे एस्बेस्टस और रेडॉन गैस, इन्हेरिटेड या एक्वायर्ड जीन म्यूटेशन, हवा के प्रदूषण से या फिर निजी या पारिवारिक फेफड़े के कैंसर का इतिहास।
फेफड़े के कैंसर की स्टेज ये इशारा करती है कि कैंसर कितना फैल चुका है। स्टेजिंग करने से इलाज की प्लानिंग करने में सहायता मिलती है। SCLC और NSCLC के इलाज की प्लानिंग का तरीका अलग-अलग होता है।
स्मॉल-सेल लंग कैंसर (SCLC) की स्टेजिंग –
TNM सिस्टम का इस्तेमाल करके SCLC को दो तरीके से स्टेज किया जा सकता है
· (तय सीमा में) लिमिटेड स्टेज
· (आक्रामक रूप ले चुका हो) एक्सटेंसिव स्टेज
TNM स्टेजिंग में T से ट्यूमर का आकार, N से लिम्फ नोड्स, M से मेटास्टसिस होता है।
TNM सिस्टम से ट्यूमर का आकार, वह लिंफ नोड्स तक फैल चुका है कि नहीं, और मेटास्टेसाइज़ होकर शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैलाव का पता चलता है।
लिमिटेड स्टेज SCLC – इस स्टेज में कैंसर से मात्र एक फेफड़ा प्रभावित होता है, और कभी-कभी लिम्फ नोड्स भी, पर दूसरे फेफड़े तक या शरीर के किसी और अंग तक नहीं फैला है।
एक्सटेंसिव स्टेज SCLC – इस स्टेज में कैंसर दूसरे फेफड़े तक भी पहुंच चुका होता है, और फेफड़े का पानी शरीर के दूसरे हिस्सों तक पहुंच जाता है जैसे हड्डी और मस्तिष्क।
NSCLC की स्टेजिंग
NSCLC SCLC से अधिक सामान्य है। TNM सिस्टम का इस्तेमाल करके इसको 4 स्टेज में बांटा जाता है।
स्टेज 1- कैंसर ने केवल फेफड़ों को प्रभावित किया है, लिम्फ नोड्स को नहीं
स्टेज 2- कैंसर फेफड़े के करीब के लिम्फ नोड्स तक फैल चुका है
स्टेज 3- कैंसर दूर के लिम्फ नोड्स तक भी फैल चुका है, और सीने को प्रभावित कर सकता है।
स्टेज 4- कैंसर शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंच चुका है, मुख्यतः मस्तिष्क, हड्डियां या लिवर तक।
कैंसर किस प्रकार का है और किस स्टेज पर है और मरीज़ की सेहत के आधार पर इलाज की प्रक्रिया का चुनाव होता है। एक्सटेंसिव स्टेज की SCLC के लिए कीमोथेरेपी ही सबसे अच्छा विकल्प है। लिमिटेड स्टेज SCLC के लिए रेडिएशन थेरेपी और कभी-कभी सर्जरी भी विकल्प होते हैं।
लेकिन, NSCLC का इलाज कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी, टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी सहित किसी भी प्रकार के उपचार से किया जा सकता है।
अगर, कैंसर शुरुआती स्टेज में है तो इनके सही इलाज से ये ठीक हो सकता है और वापस दोबारा होने से बचाव भी किया जा सकता है। साथ ही, हर उम्र के मरीज की जीने की संभावना बढ़ जाती है। अगर कैंसर अपने आक्रामक और आखिरी स्टेज में है, तो यह इलाज आपके कैंसर को रोकने में मददगार तो होगा लेकिन, इसे पूरी तरह ठीक नहीं कर पाएगा। फिर भी आपके जीवनशैली में सुधार करके आपके ज्यादा जीने की संभावना को बनाए रखता है।
Accordion Contentफेफड़े के कैंसर के जोखिम कारकों में सक्रीय धूम्रपान (active smoking) या निष्क्रिय धूम्रपान (secondhand or passive smoking), कैंसर का निजी या पारिवारिक इतिहास, मरीज की उम्र, कुछ केमिकल के संपर्क में आने के कारण जैसे एस्बेस्टस, रेडॉन गैस, यूरेनियम, आर्सेनिक आदि, रेडियोथेरेपी द्वारा चेस्ट पर किया गया कोई पुराना उपचार, और हवा में प्रदूषण, वायु प्रदूषण शामिल हैं। इन सभी कारणों से फेफड़े के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, हम आपको सलाह देंगे कि यदि आपके जीवन में इनमें से कोई भी जोखिम कारक हैं, तो सालाना अपने फेफड़ों की जांच करवाएं।
इस सर्जरी से सांस फूलने की समस्या हो सकती है, जिससे आपको कोई शारीरिक कार्य करने में तकलीफ हो सकती है। लेकिन, आराम कर लेने से ये ठीक हो जाती है। अगर, एक फेफड़ा निकाल भी लिया गया है तो भी कोई दिक्कत की बात नहीं है। दूसरा फेफड़ा अपना सभी काम सुचारू रूप से करेगा और आपको वक्त के साथ अच्छा लगने लगेगा। अगर आपको सांस लेने में दिक्कत है तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर इसका असल कारण पता करने के लिए कुछ टेस्ट करेंगे और जरूरत के हिसाब से उसका इलाज करेंगे।
आपका डॉक्टर पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की सिफारिश कर सकता है, जिसमें सांस की मांसपेशियों में ताकत बनाने के लिए व्यायाम और सांस लेने की समस्याओं को प्रबंधित करने में आपकी मदद करने के लिए सांस लेने के व्यायाम शामिल हैं।
कीमोथेरेपी किसी भी प्रकार और किसी भी स्टेज के कैंसर के लिए प्रभावशाली है। अकेले कीमोथेरेपी की तुलना में जब इसे रेडियोथेरेपी के साथ मिला कर करते है तो ये और भी अच्छे परिणाम देती है। अगर आपका स्वास्थ्य कीमोथेरेपी कराने के लिए बढ़िया है तो आप फेफड़े के कैंसर से छुटाकरा पा सकते है।
दुर्भाग्यवश, चौथे स्टेज के कैंसर को ठीक करने के लिए अभी कोई इलाज नहीं मौजूद है। लेकिन, कुछ तरीकों से मरीज को कैंसर के लक्षण से आराम दिलाया जा सकता है, उसके जीवन को सुधारकर, जीने की संभावना को भी बढ़ाया जा सकता है।
अगर शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता चल जाता है, तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। क्योंकि कैंसर सिर्फ एक फेफड़े में है और अभी तक फैला नहीं है। इसलिए, मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। लगभग 56% फेफड़े के कैंसर का पता आखिरी स्टेज में चलता है। जब कैंसर दूसरे हिस्सों तक फैलाव कर चुका होता है और तब इसे ठीक करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन, कुछ इलाज से आप लंबी उम्र तक जी सकते हैं।
जी हां, रात की नींद के दौरान कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं। एक रिसर्च में पाया गया है कि दिन में शरीर एक हार्मोन बनाता है जो कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है। इसलिए, रात में कैंसर आक्रामक रूप से बढ़ सकता है। रात में ट्यूमर की कोशिकाएं सक्रिय हो कर खून में बहाव करके विभाजित होती हैं और फिर दूसरे अंगों तक फैला जाती हैं।
लेकिन, हमारे शरीर के बचाव तंत्र कैंसर को बढ़ने में रुकावट पैदा करते हैं। इसलिए, कुछ कैंसर फैलाव करने में सालों ले लेते हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा बचाव तंत्र कमज़ोर होता है और ऐसे में अगर स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो कैंसर तेजी से बढ़ सकता है।
आप हमारी वेबसाइट ओन्को कैंसर सेंटर, हैदराबाद के माध्यम से हमारे डॉक्टरों के साथ अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। आप हमसे 8008575405 पर भी संपर्क कर सकते हैं, हम आपको फेफड़े के कैंसर के सही स्पेशलिस्ट से जोड़ेंगे।
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