हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर का बेस्ट इलाज
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ब्रेस्ट कैंसर क्या है ?
जब किसी एक या दोनों ब्रेस्ट की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगें तो ये ब्रेस्ट कैंसर कहलाती हैं, जिसके बाद ये शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलती हैं।
50 के ऊपर की महिलाओं में ये सामान्य रूप से पाया जाता है और पुरुषों में इसकी सम्भावना काफी काम होती है।
कैंसर की वजह से ब्रेस्ट की किस प्रकार की कोशिकाएं प्रभावित हो रही हैं इसके हिसाब से कई प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर होते हैं ।
हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के स्पेशलिस्ट की हमारी टीम
Dr. Amit Jotwani
CoFounder, CMO, Chief OncologistDr. Shikhar Kumar
Consultant Medical OncologistDr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation OncologyDr. Abid Ali Mirza
Surgical OncologistDr. M A Suboor Shaheerose
Medical OncologistDr. Amit Jotwani
CoFounder,CMO,Chief Oncologist
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Shikhar Kumar
MD, DNB,DM – Medical oncology, ECMO
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
Dr. Rakesh Shankar Goud
MBBS, DNB-Radiation Oncology
MD (Radiotherapy), FHPRT, SBRT(Netherlands), AMPH
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ब्रेस्ट कैंसर के संकेत और लक्षण
– एक या दोनों ब्रेस्ट के नाप, आकार और रंग में बदलाव
– ब्रेस्ट या अंडरआर्म में गाँठ
– ब्रेस्ट और आर्मपिट के आसपास की त्वचा का मोटा होना, खास तौर पर पीरियड्स के दौरान
– निप्पल का अंदर की तरफ मुड़ना
– ब्रेस्ट में डिंपल
– निप्पल में घाव या खुजली
– ब्रेस्ट के किसी एक हिस्से में या पूरे ब्रेस्ट में सूजन
– निप्पल से असामान्य डिस्चार्ज
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हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के लिए डायग्नॉस्टिक टेस्ट
स्क्रीनिंग मैमोग्राम – ब्रेस्ट कैंसर के लिए ये एक भरोसेमंद टेस्ट है। इससे आप ब्रेस्ट में किसी असामान्य ग्रोथ का पता लगा सकते हैं।
डायग्नोस्टिक टेस्ट इस प्रकार हैं –
ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड मशीन शरीर के अंदर के अंगों के साउंड की लहरों का इस्तेमाल करके ब्रेस्ट के अंदर की कोशिकाओं की तस्वीर बनाते हैं।
ब्रेस्ट MRI – इनसे ब्रेस्ट की विस्तृत तस्वीर बनती है, जिनसे कैंसर का फैलाव पता चलता है।
ब्रेस्ट बायोप्सी – कैंसर किस तरह का है और किस स्टेज का है इसका पता लगाने के लिए ये सबसे सटीक तरीका है।
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हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के लिए डायग्नॉस्टिक टेस्ट
ब्रेस्ट कैंसर के लिए सर्जरी – सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट ही ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी करते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी कई तरीकों से की जा सकती है –
लम्पेक्टोमी – इस प्रक्रिया में सिर्फ गाँठ (लम्प) और आसपास की स्वस्थ ऊतकों को निकाल कर बाकी के ब्रेस्ट को छोड़ दिया जाता है।
मास्टेक्टॉमी – इस प्रक्रिया में पूरे ब्रेस्ट को निकाल दिया जाता है।
यह दो तरीके से होती है 1) स्किन स्पेयरिंग मास्टेक्टॉमी 2) निप्पल स्पेयरिंग मास्टेक्टॉमी
अगर सर्जरी संभव नहीं है तो डॉक्टर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, टारगेटेड थेरेपी, इम्यूनोथेरपी और हार्मोनल थेरेपी से ट्यूमर को नष्ट करते हैं।
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हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज का खर्च
हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज का खर्च कई मुद्दों पर निर्भर करता है जैसे हॉस्पिटल की सुविधाएं, मेडिकल विशेषज्ञता, इलाज के पहले के खर्च (विर्मश,खून की जांच और स्कैन आदि), किस प्रकार का इलाज आप करवा रहे हैं, इलाज के बाद का खर्च (समय-समय पर चेक करने के लिए फॉलो अप कंसल्टेशन, टेस्ट, स्कैन, रिहैबिलिटेशन,दवाईयां आदि)। एक अनुमान से हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज का खर्च 1,50,000 से 7,00,000 तक होता है।
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क्लिनिकल अनुभव और मरीजों की कहानियां
हमें ओंको कैंसर सेंटर के लिए पॉजिटिव प्रतिक्रियाएं सुनकर बहुत ही खुशी होती है।
यहां द्वारा सर्विस लेने वाले मरीजों ने अपना अनुभव शेयर किया है।
हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए पूछे जाने वाले प्रश्न
ब्रेस्ट कैंसर होने के असल कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन ऐसे कई खतरनाक कारक हैं जिनसे ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है –
– उम्र : बढ़ती उम्र के साथ ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा भी बढ़ते जाता है।
– जेनेटिक म्यूटेशन : ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर का जेनेटिक म्यूटेशन के साथ पारिवारिक इतिहास होने की वजह से घर के पुरुष और महिलाएं दोनों में ही ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज़्यादा रहता है।
– पहले कोई रेडियोथेरेपी करवाई हो, खास तौर से चेस्ट की।
– कुछ हॉर्मोन थेरेपी
– ज़्यादा वज़न होना
– 30 की उम्र तक बच्चे पैदा (कंसीव) न करना और ब्रेस्टफीडिंग न कराना।
– अस्वस्थ जीवनशैली (लाइफस्टाइल) जैसे शराब पीना, कम शारीरिक गतिविधि का होना। इसलिए, स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना चाहिए और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर का पता चलने के बाद अगला महत्त्वपूर्ण कदम होता है उसकी स्टेजिंग करना। स्टेजिंग के हिसाब से डॉक्टर आपके लिए सबसे अच्छा इलाज का विकल्प बताते हैं। डायग्नोस्टिक टेस्ट के परिणाम और इमेजिंग स्कैन देख कर डॉक्टर आपके कैंसर का स्टेज बताएंगे और आपके लिए बेस्ट ट्रीटमेंट प्लान तैयार करेंगे। ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज से कैंसर का स्थान, आकार और तीव्रता पता चलती है। ब्रेस्ट कैंसर के 0 से 4 तक 5 स्टेज होते हैं –
स्टेज 0: कैंसर सिर्फ मिल्क डक्ट में होता है और आसपास के स्वस्थ ऊतकों को प्रभावित नहीं करता है।
इस स्टेज में हर महिला के लिए 5 साल तक जीने की सम्भावना होती है।
स्टेज I: इस स्टेज में ट्यूमर छोटे होते हैं और ब्रेस्ट तक सीमित रहते हैं, ये ब्रेस्ट कैंसर के सबसे शुरुआती स्टेज होते हैं और 5 साल तक जीने की सम्भावना 100 % होती है ।
स्टेज II: इसमें ट्यूमर छोटे भी हो सकते हैं और थोड़े बड़े भी और ये अंडरआर्म एरिया के लिम्फ नोड्स तक फ़ैल सकते हैं। इसमें 5 साल तक जीने की सम्भावना 50 % होती है।
स्टेज III: ब्रेस्ट कैंसर इस स्टेज तक अपने आसपास के एरिया में एडवांस हो चुके होते हैं और आसपास के स्वस्थ ऊतक और लिम्फ नोड्स तक फैल जाते हैं। इसमें 5 साल तक जीने की सम्भावना 50 % होती है ।
स्टेज IV: ये आखिरी स्टेज होती है जिसे मेटास्टेटिक स्टेज भी कहते हैं। इसमें कैंसर शरीर के दूसरे अंगों तक फैलने लगता है जैसे लिवर,ब्रेन,फेफड़े, हड्डियां आदि और इसमें 5 साल जीने की सम्भावना कम हो जाती है।
शुरुआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर के ठीक होने की ज़्यादा संभावना होती है जिसमें स्टेज 3 भी शामिल होते हैं। सिर्फ स्टेज 4 को ठीक करना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन उसका भी इलाज करके मरीज़ की आयु कुछ हद तक बढ़ाई जा सकती है।
बायोप्सी की मदद से डॉक्टर स्टेज के साथ कैंसर का ग्रेड भी पता करते हैं। ग्रेड का मतलब होता है कि कैंसर की कोशिकाएं किस तरह की दिखती हैं जिनके हिसाब से ये ग्रेड 1, ग्रेड 2 और ग्रेड 3 में विभाजित होती हैं। ग्रेड 1 में कोशिकाएं बिलकुल नार्मल दिखती हैं और धीमे-धीमे बढ़ती हैं इसलिए इनकी मेटास्टेसिस होने के कम आसार होते हैं। जबकि ग्रेड 3 में कैंसर की कोशिकाएं आक्रामक होती हैं और तेज़ी से बढ़ती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर कई तरह के होते हैं। किसी भी ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ना कई मुद्दों पर निर्भर करता है जैसे कैंसर का सब-टाइप,स्टेज,ग्रेड,मरीज़ की उम्र, उसका स्वास्थ और जेनेटिक असामान्यताएं। स्टेज 3 और 4 के कैंसर मेटास्टेसाइज होते हैं और जल्दी फैलते हैं। औसतन ब्रेस्ट कैंसर हर 5 से 6 महीने में दुगुना हो सकता है क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर के कोई स्पष्ट संकेत या लक्षण तबतक नहीं होते हैं जबतक ये फ़ैल न जाये इसलिए उन महिलाओं में मैमोग्राम करने की सलाह दी जाती है जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है।
ब्रेस्ट कैंसर सबसे पहले अंडरआर्म, कॉलर बोन, ब्रेस्ट और आसपास के स्वस्थ ऊतकों तक फैलता है। अगर इस स्टेज पर इसका पता नहीं लग पाता है तब ये मेटास्टेसिस करके शरीर के दूसरे अंग जैसे फेफड़े, लिवर, हड्डी और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर शरीर के किस हिस्से में फैला है इस पर इसके संकेत निर्भर करते हैं।इसके फैलने के कुछ संकेत इस प्रकार हैं –
• हड्डी टूटने या फ्रैक्चर होने के आसार अगर हड्डी तक कैंसर फ़ैल गया है।
• सिरदर्द और सिर का चकराना अगर मस्तिष्क प्रभावित है।
• सीने में दर्द, सांस फूलना, खांसी और थकान अगर फेफड़े प्रभावित हुए हैं।
• ब्रेस्ट में दर्द, निप्पल से असामान्य सा डिस्चार्ज, ब्रेस्ट या अंडरआर्म में गाँठ अगर सीना प्रभावित है।
• मितली, हाथ और पैर में सूजन और जॉन्डिस(पीलिया) लिवर के प्रभावित होने पर।
• दर्द, याद्दाश्त में कमी, सिरदर्द , धुंधली नज़र, हिलने डुलने में तकलीफ और दौरे अगर मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड प्रभावित हुए हैं।
वे पुरुष और महिलाएं जिन्हें जेनेटिक म्युटेशन के कारण खुद के या परिवार के इतिहास में कभी ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर हुआ हो उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा ज़्यादा होता है। इसके अलावा, अन्य कारण ये भी हो सकते हैं – बढ़ती उम्र, चेस्ट एरिया में रेडियोथेरेपी, ज़्यादा वज़न होना, ज़्यादा शराब पीना, सक्रिय जीवनशैली न अपनाना और कुछ हार्मोनल थेरेपी के कारण ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
हाँ, गायनेकोलॉजिस्ट ब्रेस्ट को चेक करके कैंसर के किसी संकेत का पता लगते हैं। 13 से 15 साल के बाद साल में एक बार गायनोकोलॉजिस्ट से ज़रूर मिलें। इस दौरान डॉक्टर आपके ब्रेस्ट में किसी गाँठ का पता लगाते हैं, बढ़ी हुई लिम्फ नोड्स चेक करते हैं, और ब्रेस्ट और अंडरआर्म की त्वचा में किसी रंग में बदलाव पर ध्यान देते हैं। अगर आपके डॉक्टर को ब्रेस्ट कैंसर के कोई भी संकेत दिखते हैं तो वे आगे और भी जांच और परीक्षण करवाते हैं या फिर इससे संबंधित ऑन्कोलॉजिस्ट के पास आपको भेजते हैं।
अगर आपको कैंसर होने का रिस्क ज़्यादा है तो ऐसे में स्क्रीनिंग जितना जल्दी करा लें उतना अच्छा है। मैमोग्राम एक स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग टेस्ट है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का पता आसानी से लगाया जा सकता है। इसमें ब्रेस्ट का एक्स रे लिया जाता है और ये प्रक्रिया 3 से 5 मिनट की होती है। मैमोग्राम कई तरीके के होते हैं और आपके लिए जो सबसे सही होगा उसी के हिसाब से आपके डॉक्टर आपको सुझाव देंगे। डॉक्टर से सुझाव लेकर 40 से 44 तक की महिलाएं एक बार ये टेस्ट करवा सकती हैं। 45 से 54 तक की महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी करवाने दी जाती है, लेकिन 55 के ऊपर की महिलाएं दो साल में एक बार भी ये टेस्ट करवा सकती हैं। अगर जेनेटिक म्यूटेशन, ब्रेस्ट कैंसर का निजी या पारिवारिक इतिहास होने की वजह से किसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने का ज्यादा रिस्क है तो ऐसे में 30 साल के बाद से ही साल में एक बार मैमोग्राम स्क्रीनिंग और MRI कराने की सलाह दी जाती है।
शुरुआती स्टेज के ब्रेस्ट कैंसर के ठीक होने की ज़्यादा सम्भावना होती है। स्टेज 1 और स्टेज 2 को रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। ऐसे मामले भी पाए गए हैं जिनमें स्टेज 3 के कैंसर को भी ठीक किया गया है लेकिन, मेटास्टैटिक ब्रेस्ट कैंसर जो कि स्टेज 4 होता है उसे ठीक करना मुश्किल होता है, लेकिन सही इलाज से मरीज़ की उम्र बढ़ाई जा सकती है।
किस प्रकार का ट्रीटमेंट मिला है इस आधार पर कुछ लोगों में इसके प्रभाव लम्बे समय तक रह जाते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट से सामान्यतः ब्रेस्ट का साइज अलग दिखेगा, लगातार दर्द, लिम्फ में फ्लूइड का इकठ्ठा होना, थकान, कमज़ोरी, रेस्पिरेटरी सिस्टम की दिक्कतें, चीज़ों को याद रखने में दिक्कत, ध्यान देने में और कोई निर्णय लेने में दिक्कत होती है।
ट्रीटमेंट खत्म होने के 5 साल बाद तक अगर कैंसर के कोई लक्षण मौजूद नहीं हैं और उसके वापस आने के कोई संकेत नहीं दिखते हैं तब आपको ब्रेस्ट कैंसर फ्री बोला जा सकता है। कुछ लोगों में ये वापस आ सकता है इसलिए अपने डॉक्टर से नियमित जांच कराते रहना चाहिए।
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