कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और जब कैंसर फेफड़ों में शुरू होता है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर कहा जाता है।
फेफड़ों का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है और संयुक्त राज्य अमेरिका में पुरुषों और महिलाओं दोनों में दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। दशकों तक बढ़ने के बाद, फेफड़ों के कैंसर की दर राष्ट्रीय स्तर पर कम हो रही है, क्योंकि कम लोग सिगरेट पीते हैं।
सिगरेट का धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का पहला कारण है। फेफड़े का कैंसर अन्य प्रकार के तम्बाकू (जैसे पाइप या सिगार) का उपयोग करना, धुएं के संपर्क में आना, घर या काम पर एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के संपर्क में आना और फेफड़ों के कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी हो सकता है।
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति ध्रूमपान करते हैं, उन्हें फेफड़ों के कैंसर की संभावना रहती है, लेकिन यह कैंसर अन्य नशीले पदार्थों जैसे गुटखा, तंबाकू इत्यादि का सेवन करने से भी हो सकता है और इसके साथ में यदि कोई व्यक्ति ध्रूमपान करना छोड़ भी देता है फिर भी इसकी संभावना बरकरार रहती है।
फेफड़ों के कैंसर के प्रकारः
डॉक्टर माइक्रोस्कोप से फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति के आधार पर फेफड़ों के कैंसर को दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित करते हैं। आपका डॉक्टर उपचार का निर्णय लेता है जिसके आधार पर आपके फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख प्रकार हैं।
1- स्मॉल सेल लंग कैंसर- यह एक प्रकार की कोशिकाओं से बना कैंसर होता है और ऐसा कैंसर है जो ज्यादा धूम्रपान करने वाले लोगों में होता है और इसके शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने की संभावना अधिक होती है, इसे स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small cell lung cancer) कहा जाता है।
2- नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर- नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non-small cell lung cancer) कैंसर का सामान्य रूप होता है, जो लगभग 85 प्रतिशत लंग कैंसर पीड़ित लोगों में होता है।
फेफड़ों के कैंसर के जोखिम कारकः
धूम्रपान- आपके फेफड़ों के कैंसर का खतरा हर दिन आपके द्वारा धूम्रपान किए गए सिगरेट की संख्या और आपके द्वारा धूम्रपान किए गए वर्षों की संख्या के साथ बढ़ जाता है। किसी भी उम्र में छोड़ने से आपके फेफड़ों के कैंसर के विकास का खतरा काफी कम हो सकता है।
सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना- अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं, और सिगरेट के धुएं के संपर्क में आते हैं, तो भी फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
पूर्व में हुई विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)– यदि पहले किसी अन्य प्रकार के कैंसर के लिए आपकी छाती में रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया गया हो, तो आपको फेफड़ों के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ सकता है।
एस्बेस्टस फाइबर (Asbestos Fibre) के संपर्क में आना – यदि कोई व्यक्ति एस्बेस्टस फाइबर के संपर्क में आ जाता है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर हो सकता है क्योंकि इसमें इस कैंसर को उत्पन्न करने के केमिकल होते हैं।
वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण भी फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है, क्योंकि यह शरीर में प्रदूषित हवा को भेजता है, जो फेफड़ों को खराब करती है।
रेडॉन के संपर्क में आना- रेडॉन एक स्वाभाविक रूप से होने वाली रेडियोधर्मी गैस (Radioactive Gas) है, जो सभी चट्टानों और मिट्टी में मौजूद यूरेनियम की छोटी मात्रा से आती है। यह कभी-कभी इमारतों में भी पाया जा सकता है।
फेफड़े के कैंसर का पारिवारिक इतिहास- यदि माता-पिता, भाई-बहन को कभी कैंसर हुआ हो तो बच्चे में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
- लंबे वक्त तक खांसी का रहना
- छाती में दर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- खाँसी में खून आना
- हर समय बहुत थकान महसूस करना
- बिना किसी कारण के वजन कम होना
- भूख न लगना
- आवाज का बैठना
- सिर में दर्द
- हड्डियों में दर्द रहना
फेफड़ों के कैंसर का रोग-निदान
फेफड़ों के कैंसर का इलाज कई तरह से किया जाता है, जो फेफड़ों के कैंसर के प्रकार पर और कितनी दूर तक फैल चुका है, इस पर निर्भर करता है। नॉन–स्मॉल सेल लंग कैंसर वाले लोगों का उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरपी, टारगेट थेेरेपी या इन उपचारों के संयोजन से किया जा सकता है। स्मॉल सेल कैंसर वाले लोगों का आमतौर पर रेडिएशन थेरपी और कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है।