थायराइड कैंसर आज के वक्त में काफी आम नहीं है। यह एक ऐसी गांठ होती है जो तेजी से हमारी ग्रंथि में बढ रही होती है और आसपास के ऊतकों बर्बाद करती है। बढ़ते हुए इस गांठ के छोटे-छोटे सेल्स टूटकर बाकी शरीर में फैल जाते हैं, जिससे यह और ज्यादा घातक बन जाता है। थायराइड कैंसर (Thyroid cancer) से जुड़े कुछ इसी तरह के सवालों के बारे में हम आज डाॅ शुभम गर्ग से जानेंगे।
थायराइड एक ग्रंथि होती है, जो हमारे गले में आगे के हिस्से में मौजूद होती है। थायराइड कैंसर एक आम कैंसर नहीं है, इसके अधिकांश पैथोलॉजिकल प्रकारों में रोगनिरोधी उपचार के बाद अच्छी सक्रियता और समग्र परिणाम होते हैं। यह तीसरी से चौथी स्टेज में काफी खतरनाक होता है, वैसे इसका इलाज संभव है और मरीज को ठीक किया जा सकता है।
ग्रंथि में हर गांठ कैंसर नहीं होती है, लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता है कि गले में थायराइड कैंसर एक गांठ की तरह ही आता है। यदि गले में कोई भी गांठ महसूस हो तो उसकी जांच होनी बेहद जरूरी है। इसके कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि गले से खाना निगलने में परेशानी, गांठ का तेजी से बढ़ना, कम समय पर गांठ आना।
आमतौर पर थायराइड कैंसर के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। गले में गांठ मिलना अपने आप में एक शुरुआती लक्षण है। जब यह बढ़ती है, तो खाना निगलने में परेशानी, आवाज में बदलाव जैसी कुछ समस्याएं होती हैं।
थायराइड में जो गांठ होती है, जरूरी नहीं है कि वह कैंसर हो। थायराइड गांठ में अन्य परेशानियां हो सकती हैं। जैसे थायराइड में पानी भर जाना, थायराइड हार्मोन की कमी होने की वजह से थायराइड का ज्यादा काम करना एक गांठ के रूप में दिखने लगता है। थायराइड के कैंसर में जो गांठ बनती है वह काफी सख्त होती है, काफी बडे आकार की हो सकती है और एक से ज्यादा भी हो सकती है। जो कैंसर की गांठ नहीं होती वह मुलायम होती है, बहुत बड़ी नहीं होती और धीरे-धीरे बढ़ती है।
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थायराइड कैंसर में सर्जरी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कीमोथेरेपी या इम्यूनोथेरेपी का बहुत ज्यादा उपयोग नहीं होता। जब कैंसर एडवांस स्टेज में होता है तो रेडियोएक्टिव आयोडीन से उसे खत्म किया जाता है। यदि इसका इलाज सर्जरी से नहीं हो पाता है, तो रेडिएशन की मदद से गांठ के आकार को कम किया जाता है। जब सह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाए तो हम इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल करते हैं।
थायराइड कैंसर की चौथी स्टेज सबसे खतरनाक होती है। इस स्टेज में कैंसर शरीर के अन्य भागों जैसे कि फेफड़ों, लिवर और हड्डियों में फैल जाता है।
आमतौर पर सर्जरी के बाद मरीज की आवाज में बदलाव, गर्दन में खिंचाव, गर्दन में सूजन आना या फिर गले में निशान रह जाना कुछ दुष्प्रभावों हैं। रेडियोएक्टिव आयोडीन के इस्तेमाल के कारण मुंह में थूक बनना कम हो जाता है, इससे मरीज को खाना चबाने या निगलने में दिक्कत महसूस हो सकती हैं। रेडियोएक्टिव आयोडीन से कुछ एलर्जी भी हो सकती है। जिससे मरीज को शरीर में दाने हो सकते हैं। इम्यूनोथेरेपी से दस्त होना, शरीर का टूटना या बुखार आने जैसे परेशानियां हो सकती हैं।
थायराइड कैंसर के इलाज के बाद एक व्यक्ति साधारण जिंदगी जी सकता है। सर्जरी के बाद मरीज को दिन में केवल एक थायराइड हार्मोन टैबलेट का सेवन करना होता है, वह उसे जीवन भर खानी होती है।
जब कैंसर पहली और दूसरी स्टेज में होता है तो इसका इलाज आसानी से सर्जरी के जरिए किया जा सकता है। तीसरी स्टेज में रेडियोएक्टिव आयोडीन का इस्तेमाल किया जाता है। कैंसर के वापस आने की संभावना तीसरी और चौथी स्टेज में ज्यादा होती है।
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