जब किसी व्यक्ति को कैंसर का पता चलता है, तो उन्हें अक्सर लगता है कि उनका जीवन जैसे रुक सा गया हो। जाहिर सी बात है, जीवन में इस तरह की मुश्किलों का सामना करने के लिए वास्तव में कोई भी तैयार नहीं होता है, इसलिए अगर किसी को ऐसा लगता है तो इसमें कोई नई बात नहीं है। आज भी, दुनिया के कई हिस्सों में कैंसर शब्द के नाम पर लोग चुप्पी सी साध लेते हैं। कैंसर को लेकर हर कोई खुलकर बात तक नहीं करना चाहता है।
कैंसर को लेकर गलत धारणाएं, लोगों के बीच इतनी गहरी जड़ें जमा चुकी हैं कि इसका मरीज शायद इसके बारे में आपको पता भी नहीं चलने दे। लोगों के बीच कैंसर को लेकर बात न करना रोगियों और उनके देखभाल करने वालों पर एक बडा दबाव सा महसूस होता है। समझने वाली बात यह है कि लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि यह चुप्पी उनके जीवन और उनकी के उपचार के सफर पर कैसे नकारात्मक प्रभाव डालने वाली है। यह ब्लाॅग कैंसर के सफर के बारे में आपको कुछ चीजों को समझने में मदद करेगा जो प्रत्येक रोगी और देखभाल करने वाले को इस दौरान पता होनी चाहिए।
कैंसर और उसके उपचार का रोगी और उनके परिवार दोनों पर काफी अलग प्रभाव पड़ता है। यदि उनके मानसिक स्थिति का पता नहीं चलता है या उनका इलाज नहीं किया जाता है, तो रोगी और परिवार दोनों के लिए यह कुछ नकारात्मक परिणाम दिखा सकता है। यदि वे कुछ किसी भी तरह की मानसिक स्थितियों से गुजरे हैं, तो उनमें आत्महत्या का खतरा अधिक होता है।
देखभालकर्ता इस सफर के बहुत सी अधूरी जरूरतों का अनुभव करते हैं और उपचार के दौरान उनके तनाव का स्तर अलग हो सकता है। कभी-कभी जब उन्हें भावनात्मक मुद्दों से निपटने के लिए किसी सही का साथ नहीं मिलता तो वे बहुत अकेलेपन का अनुभव करते हैं। यदि यह सही समर्थन के बिना जारी रहता है, तो यह डिप्रेशन और घबराहट जैसी परेशानियों को पैदा कर सकता है।
आपका मानसिक स्वास्थ्य आपके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। कभी-कभी दुर्भावनापूर्ण मुकाबला और अनुपचारित संकट उपचार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। जो मरीज तनाव के स्तर को प्रबंधित करने में सक्षम होते हैं और अपनी कैंसर के सफर के दौरान प्रेरित रहते हैं, उनके जीवन की गुणवत्ता बेहतर होने की संभावना है।
अध्ययनों के अनुसार, 70 प्रतिशत कैंसर रोगी मध्यम से गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट का अनुभव करते हैं। कैंसर रोगियों को उपचार सफर के दौरान कई तरह के भावनात्मक प्रभावों और अनुभवों का सामना करना पड़ता है जैसे कि मरीज के स्वास्थ्य की हानि को लेकर कई बातें, कैंसर की पुनरावृत्ति का डर, दूसरों पर निर्भर रहने की आवश्यकता आदि।
कैंसर देखभालकर्ता इस दौरान शारीरिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और वित्तीय बोझ उठाने के साथ-साथ कई परेशानियों को सामना करते हैं। अध्ययनों की मानें तो इस अनिश्चित समय के दौरान वे कई तरह के मनोवैज्ञानिक लक्षणों का अनुभव करते हैं। यह पाया गया कि 95 प्रतिशत कैंसर देखभालकर्ता कैंसर रोगियों की देखभाल करते समय नींद की कमी और थकान का अनुभव करते हैं।
काउंसलिंग चिकित्सक और ग्राहक के बीच एक पारस्परिक संबंध है। कभी-कभी इसे टॉकिंग थेरेपी भी कहा जाता है। इसमें एक चिकित्सक आपकी बात सुनता है और भावनात्मक मुद्दों से प्रभावी तरीके से निपटने के तरीके खोजने में आपकी मदद करता है।
एक काउंसलिंग सेशन के दौरान, चिकित्सक आपको अपनी भावनाओं और भावनाओं के बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उन्हें आपे लिए किसी तरह की राय रखे बिना आपकी मदद करेगा।
इन सेशन के दौरान लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जैसे क्रोध, उदासी और दोष, और उन चीजों पर चर्चा करते हैं जो उन्हें दूसरों के साथ साझा करना मुश्किल लगती हैं। कभी-कभी, रोगी को यह भी नहीं पता होता है कि उन्हें क्या परेशान कर रहा है।
एक अच्छा दोस्त या परिवार का कोई सदस्य आपकी बात सुनकर हमेशा आपकी मदद कर सकता है, लेकिन एक काउंसलर आपकी कठिनाइयों से निपटने का रास्ता, मुकाबला करने की रणनीतियों को उजागर करने और आपकी ताकत को पहचानने में आपकी मदद कर सकता है। वे आपको कठिन भावनाओं जैसे क्रोध, कम आत्मसम्मान, किसी बात का डर, कैंसर की पुनरावृत्ति का डर आदि से निपटने में भी मदद कर सकते हैं।
काउंसलर किसी ऐसे व्यक्ति के लिए होते हैं, जो बुरे समय से गुजर रहा है या उसे भावनात्मक समस्याएं (तनाव, चिंता और अवसाद) हैं, जिसके लिए उन्हें सहायता की आवश्यकता है।
हम Onco.com पर आपकी सुविधा के लिए टेलीकंसल्टेशन थेरेपी प्रदान करते हैं। एक बार जब आप हमारी सेवा शुरू कर देते हैं तो आपके पास आपके देखभाल प्रबंधक के रूप में एक केयर मैनेजर होगा और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपको सबसे अच्छी सहायता की आवश्यकता है, वह पूरे सफर में आपके साथ प्राथमिक संपर्क बनाए रखेगा।
एक बुनियादी विश्लेषण के बाद केयर मैनेजर एक चिकित्सक के साथ आपके काउंसलिंग सेशन की व्यवस्था करेगा। काउंसलिंग देने वाले व्यक्ति से सहमति लेने के बाद हम एक संक्षिप्त 40-45 मिनट के सेशन से शुरू करते हैं। कभी-कभी, यदि आवश्यक हो तो पहला सेशन थोडा लंबे समय तक चल सकता है।
कई बार ऐसा भी हो सकता है जब रोगी या ग्राहक सेशन के दौरान थका हुआ महसूस करता है। हम सेशन को उनकी सुविधा के अनुसार करते हैं। सेशन टेलीफोन कॉल या वीडियो मीटिंग ऐप्स पर वीडियो कॉल पर किए जा सकते हैं।
पहले सेशन में, चिकित्सक आपके जीवन के विभिन्न आयामों को समझने की कोशिश करता है जिसमें रोग, उसका उपचार, आपका बचपन, शिक्षा, परिवार के साथ संबंध और सामाजिक दायरे आदि शामिल हैं। इससे चिकित्सक को पूरे मामले को अच्छी तरह से समझने में मदद मिलती है।
हम समझते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है और सभी की समस्याएं भी अलग होती हैं, इसलिए हम हर ग्राहक के लिए जल्द से जल्द ज्यादा और बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए सही रास्ता नाते हैं।
मुख्य रूप से, पहला सेशन मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए और ग्राहक के हालात से मुकाबला करने के तरीके को समझने के लिए किया जाता है। हालांकि, चिकित्सक अगले सेशन से पहले पूरी की जाने वाली कुछ गतिविधियों को निर्धारित करने पर विचार कर सकता है या यदि आवश्यक हो तो कुछ सरल रिलेक्सिंग एक्सरसाइज की सिफारिश कर सकता है।
अगले सेशन में, चिकित्सक एक-एक करके समस्याओं से निपटने के लिए अलग-अलग एक्सरसाइज और अधिक गतिविधियों का संचालन शुरू करेगा। प्रयास व्यर्थ न जा रहे हो यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रक्रिया धीमी रफ्तार से शुरू की जाती है।
निर्धारित गतिविधियों और अभ्यासों का पालन करने पर आपको जल्द ही सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगेंगे।onco.com पर हम आपके कैंसर उपचार के सर्वोत्तम संभव परिणामों के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
पहले सेशन के बाद, आपको यह सोचने की जरूरत होती है कि आपका सेशन कैसा रहा।
आपको यह याद रखना होगा कि पहले सेशन के तुरंत बाद कोई इलाज नहीं होगा। यद्यपि आप पहले सेशन में अपने चिकित्सक से बात करके राहत या आराम महसूस करेंगे, यह आपकी समस्याओं को तुरंत गायब नहीं करेगा। आप कैसा महसूस करते हैं, इसके आधार पर आप और सेशन जारी रखना चुन सकते हैं। कुछ हफ्तों में, आप बेहतर परिणाम देखना शुरू कर देंगे।
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