मुंबई की रहने वाली वंदना महाजन एक कैंसर वाॅरियर हैं। 11 साल पहले वंदना को थायराइड कैंसर (Thyroid cancer) हुआ था। onco.com से वंदना ने अपने कैंसर के सफर के बारे में बात की। जहां उन्होंने अपने इलाज के दौरान आई कई तरह की परेशानियों को हमारे साथ शेयर किया। जिंदगी में कैंसर जैसी बीमारी को मात देने के बाद आज वंदना हम सभी के लिए एक मिसाल के रूप में उभरी हैं। वह जिंदगी को काफी जिंदादिली से जीना पसंद करती हैं। जो कल के बारे में न सोचकर आज को अच्छे से जीने में विश्वास रखती हैं।
वंदना ने बताया कि 11 साल पहले उन्हें थायराइड कैंसर हुआ था। इस वाक्य के दौरान वह अपने पति के साथ दिल्ली में रहती थी। कैंसर होने से कुछ साल पहले वंदना को गले में कई तरह की परेशानियां हुई, जैसे कि उनकी आवाज बंद हो जाती थी, गले में खराश रहती थी। जिसको उन्होंने एलर्जी समझा। ऐसे में उन्होंने काफी समय निकाल दिया। जब वंदना नॉर्थ ईस्ट में अपने पति के साथ रहने गई तो उन्हें एक दिन गले में क्रीम लगाते हुए एक गांठ महसूस हुई। जो काफी कठोर था। इस बीच सीमा को दस्त, खाना पचाने में परेशानी जैसी दिक्कतें होने लगी। इन हालातों के बीच किसी के दिमाग में यह नहीं आया कि ये कैंसर भी हो सकता है। आस-पास के लोकल अस्पताल में दिखाने के बाद भी कैंसर की बात सामने नहीं गई।
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इस बीच वंदना दिल्ली गई और वहां चेकअप कराया तो कैंसर की संभावित स्थिति सामने आई। गले में कैंसर के बारे में पता चलने के बाद वंदना का परिवार काफी डर गया। उनकी 11 साल की बेटी और पति इस वक्त उनके साथ ही थे। दिल्ली में उनका इलाज शुरू किया गया, जहां पहली सर्जरी में वंदना का बाएं ओर का थायराइड ग्लैंड निकाल दिया गया।
वंदना बताती हैं कि सर्जरी के बाद एक वक्त ऐसा था कि उनकी आवाज तक गले से बाहर नहीं आ रही थी। जब वह बात करने की कोशिश करती तो उनके गले में मेंढक जैसी आवाज आने लगती। उस दौर में वंदना को लगा कि वह अब कभी बोल नहीं पाएंगी। हालांकि, उन्हें लगभग एक साल का वक्त लगा अपनी आवाज को वापस पाने में। आज भी वंदना को कुछ चीजों को ध्यान रखना होता है, जैसे कि वह ज्यादा देर तक बोल नहीं सकती, तेज आवाज में बात नहीं कर सकती और गाना नहीं गा सकती, अपने पूरे दिनचर्या में वंदना को थोडी-थोडी देर में पानी की घूंट पीना पडती है।
पहली सर्जरी के बाद वंदना के ट्यूमर की बायोप्सी हुई, जिसके बाद उनकी दूसरी सर्जरी हुई। इस सर्जरी के बाद उन्हें अचानक एक रात कार्डियक अरेस्ट आया, वो आलम ऐसा था कि शायद उनकी बचना बिल्कुल नामुमकिन जैसा हो गया था। डॉक्टर ने इलाज के दौरान उन्हें बताया कि उनका शरीर कैल्शियम शाॅक में चला गया था। वंदना बताती हैं कि आज के वक्त में वह दिन भर में कम से कम 12 से 15 गोलियों का सेवन करती हैं, जो कभी बढ़कर 21 भी हो जाती हैं।
सर्जरी में गले पर लगे टांके ठीक होने के बाद वंदना का इलाज फिर से शुरू हुआ। जिसके लिए उन्हें नमक का सेवन बंद करना था, ताकि स्कैन सही तरह से आए। इससे उनके शरीर का TSH 150 पहुंच चुका था। इस स्कैन के लिए वंदना को एक रेडियोएक्टिव मार्कर डोज दिया गया। जिसके बाद उन्हें दो दिनों तक घर में अलग से रहने की सलाह दी गई, बच्चों और गर्भवती महिला से दूर रहने के लिए कहा गया और अलग बाथरूम इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। दो दिना के बाद वंदना का i 131 स्कैन किया गया। इस स्कैन के बाद उन्हें एक लिक्विड पीने को कहा गया। जिसके बाद लगभग चार दिन तक वंदना आइसोलेशन में रहीं।
इन चार दिनों के दौर को वंदना कभी भूल नहीं पाती हैं, क्योंकि इस बीच वह किसी से मिल नहीं सकती थी,बात नहीं कर सकती थी, अपने पति और बेटी को नहीं देख सकती थीं। वंदना के साथ-साथ उनके परिवार के लिए भी यह वक्त काफी कठिन था।
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वंदना अपने कैंसर के सफर के दौरान अपने भाई और पति का बहुत शुक्रिया अदा करती हैं, जिन्होंने कैंसर से उबरने में उनकी बहुत मदद की। आज वंदना रेमिशन में हैं, जो अपनी सेहत का काफी अच्छे से ध्यान रखती हैं। हेल्दी खाना खाती हैं और हफ्ते में लगभग पांच दिन व्यायाम या फिर वॉक करती हैं।
कैंसर जैसी बीमारी से उबरने के बाद आज वंदना हम सभी के लिए एक मिसाल हैं, उनके जिंदगी जीने का तरीका देखकर किसी का भी मूड अच्छा हो जाए। वंदना का मानना है कि वह बीते हुए कल के बारे में सोचकर अपना समय बर्बाद नहीं करती हैं, आज कई तरह की शारीरिक परेशानियां होने के बावजूद वह जिंदगी को खुलकर जीती हैं।
आज वंदना ‘कोप विद कैंसर’ नाम के एनजीओ के साथ जुड़ी हुई हैं। वंदना एक पैलिएटिव केयर काउंस्लर हैं। इसी साथ वह केयरगिवर सारथी नामक एनजीओ के साथ भी जुडी हुई हैं। जहां देखभालकर्ताओं की मदद करती हैं और उन्हें निशुल्क काउंसलिंग देती हैं।
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