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Myths and facts: क्या कोरोना वैक्सीन के बारे में आप जानते हैं ये सच्चाई !

पहली और दूसरी लहरों में कोरोनावारस ने जिस तरह से देश और दुनिया में कहर मचाया है, जाहिर सी बात है कि अब लोग आगे के लिए काफी हद तक सजग रहना चाहेंगे। कोरोना वायरस से बचने के लिए अब एकमात्र तरीका वैक्सीन ही माना जा रहा है। हालांकि, वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी हमारा खतरा टला नहीं है। सरकार के वैक्सीन के ऐलान के बाद बहुत से लोग कोरोना वायरस के प्रसार के प्रबंधन में पहले कदम के रूप में इसे लगाने के लिए उत्साहित हैं, तो कई अब भी बहुत सी बातों और गलत धारणाओं में उलझे बैठे हैं। 

दुर्भाग्य से, वैक्सीन और उनके विकास के बारे में बहुत सारी गलत सूचनाएँ लोगों के बीच फैली हुई हैं। यह तय करते समय कि वैक्सीन लगवानी है या नहीं, मिथकों को तथ्यों से अलग करना महत्वपूर्ण है। आज हम onco.com जो एक कैंसर प्लेटफाॅर्म है, इस ब्लाॅग में कोरोना वैक्सीन से जुडे कुछ तथ्यों और मिथकों के बारे में बात करेंगे।

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मिथकः कोरोनावायरस वैक्सीन के दुष्प्रभाव जानलेवा हैं।

तथ्यः कुछ कोरोनावायरस टीकों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन ज्यादतर लोग हल्के प्रभावों का अनुभव करते हैं जैसे कि दर्द जहां उन्हें इंजेक्शन लगाया गया था, शरीर में दर्द या बुखार, एक या दो दिन तक रहता है। कुछ संकेत हैं कि टीका आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने के लिए काम कर रहा है। यदि ये लक्षण दो दिनों के बाद भी रहते हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। यदि आप पहले से किसी एलर्जी का इतिहास रखते हैं, विशेष रूप से गंभीर, तो इस बारे में जानकारी पर चर्चा करें कि क्या आप सुरक्षित रूप से टीका प्राप्त कर सकते हैं या नहीं। 

मिथकः वैक्सीन सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि ये जल्दीबाजी में बनाई गई है।

तथ्य: कोविड-19 की वैक्सीन जल्दी विकसित की गई है, लेकिन सुरक्षा और प्रभावकारिता की जांच के लिए नैदानिक परीक्षणों में जल्दबाजी नहीं की गई, विषेशज्ञों की मानें तो इसके क्लिनिकल ट्रायल के दौरान सुरक्षा से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया गया था। 1980 के दशक में, वैज्ञानिकों को ऐसा करने में इतना समय लगा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जो वैज्ञानिकों ने प्रगति की है, उसकी बदौलत ही इतनी जल्दी वायरस का तोड निकल पाया है। 

मिथकः मुझे कोविड-19 हो चुका हैै, इसलिए मुझे वैक्सीन लेने की आवश्यकता नहीं है।

तथ्यः यदि आपको एक बार कोविड हो चुका हैै, तो इस बात के प्रमाण हैं कि आप अभी भी वैक्सीन से लाभ उठा सकते हैं। इस समय, विशेषज्ञ यह नहीं जानते हैं कि कोई व्यक्ति कब तक कोविड-19 से ठीक होने के बाद फिर से बीमार होने से सुरक्षित रहता है। किसी व्यक्ति को संक्रमण होने से जो इम्यूनिटी प्राप्त होती है, जिसे प्राकृतिक प्रतिरक्षा  (Natural Immunity) कहा जाता है, वह सभी की अलग होती है। कुछ शुरुआती सबूत बताते हैं कि प्राकृतिक प्रतिरक्षा बहुत लंबे समय तक नहीं चल सकती है। 

कोविड -19 वैक्सीन मेरे डीएनए को बदल देगी।

तथ्य: कोविड -19 के टीके किसी भी तरह से आपके डीएनए में बदलाव या उसपर प्रभाव नहीं डालते हैं। दोनों mRNA और वायरल वेक्टर कोविड-19 टीके हमारी कोशिकाओं को निर्देशे देते (आनुवंशिक सामग्री) हैं ताकि कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस से सुरक्षा कर सके। हालांकि, सामग्री कभी भी कोशिका के केंद्रक में प्रवेश नहीं करती है, जहां हमारा डीएनए होता है।

मिथकः टीकाकरण के बाद कोविड-19 नहीं हो सकता।

तथ्य: कोरोना वायरस का टीका शत-प्रतिशत प्रभावी नहीं है, इसलिए इसे लगाने के बाद संक्रमण होना संभव है। वैक्सीन की दूसरी डोज मिलने के कुछ सप्ताह बाद, आपको पूरी तरह से टीका लगाया जाता है और कोविड-19 वायरस से संक्रमित होने की संभावना 90 % कम होती है। वैक्सीन आपको संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार होने से बचाएगी, लेकिन वायरस को आपके शरीर में प्रवेश करने से नहीं रोकेगी। टीकाकरण के बाद भी सार्वजनिक क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और मास्क पहनना जरूरी हैं।

मिथकः गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। 

तथ्यः गर्भावस्था के किसी भी चरण में या स्तनपान के दौरान वैक्सीन लगवाना सुरक्षित है। मेडिकल सूत्रों की मानें तो यदि आप अपनी तीसरी तिमाही के दौरान वैक्सीन लगवाती हैं, तो आप संभावित रूप से बच्चे को सुरक्षात्मक कोविड-19 एंटीबॉडी दे सकती हैं, लेकिन गर्भावस्था के किसी भी चरण में वैक्सीन लगवाना सुरक्षित है। कई सबूतों के आधार पर यह बात साबित हुई है  कि जिन लोगों को कोविड-19 mRNA के टीके लगे हैं, उनके स्तन के दूध में एंटीबॉडीज होती हैं, जो उनके बच्चों को कोविड-19 से बचाने में मदद कर सकती हैं।

मिथकः कोविड-19 वैक्सीन से महिलाओं में बांझपन होता है।

तथ्यः सोशल मीडिया पर बहुत सारी गलत जानकारी फैली हैं जैसे कि कोविड-19 वैक्सीन शरीर को प्लेसेंटा में एक प्रोटीन, सिंकाइटिन -1 पर हमला करने का निर्देश देती है, जिससे महिलाओं में बांझपन हो सकता है। वास्तव में, प्लेसेंटल प्रोटीन और स्पाइक प्रोटीन के बीच साझा अमीनो एसिड अनुक्रम होता है, हालांकि, विशेषज्ञ इसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर हमला करने के लिए बहुत कम बताते हैं और इस प्रकार प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करते हैं।

मिथकः पीरियड के दौरान या उसके आसपास वैक्सीन लेना सुरक्षित नहीं है।

तथ्यः यह सिर्फ एक मिथक है। विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं में मासिक चक्र एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है। इस दौरान किसी भी तरह इम्यूनिटी कम नहीं होती। कई चीजें मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकती हैं, जिनमें तनाव, आपके दिनचर्या में बदलाव, नींद की समस्या और आहार या व्यायाम में बदलाव शामिल हैं। कोई भी संक्रमण मासिक धर्म चक्र को भी प्रभावित कर सकता है।

कोविड-19 वैक्सीन लगाने के बाद मास्क पहनने की आवश्यकता नहीं होती है।

तथ्यः वैक्सीन आपको काफी हद तक संक्रमण से बचा सकती है। लेकिन वैक्सीन लगाने के बाद भी आपको संक्रमण हो सकता है इसलिए आप मास्क लगाएं और खुद को बचाएं। इस बीच यदि आपको कोविड होता है तो भी आप मास्क लगाकर दूसरे व्यक्ति को संक्रमण से बचा सकते हैं। इसलिए मास्क लगाएं, अपने हाथ धोएं और शारीरिक दूरी बनाए रखें।

मिथकः कुछ रक्त प्रकारों में कम गंभीर कोविड-19 संक्रमण होते हैं, इसलिए टीका लगवाना आवश्यक नहीं है। 

तथ्यः शोध से पता चला है कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि एक निश्चित रक्त प्रकार होने से कोविड-19 की गंभीरता बढ़ जाएगी। टीकाकरण का चुनाव करके आप न केवल अपनी और अपने परिवार की बल्कि अपने समुदाय की भी रक्षा कर रहे हैं।

Team Onco

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