कैंसर की जंग हर किसी की जिंदगी को बदल देती है। यह एक ऐसा सफर है जिसे पार करने के बाद जीवन की अहमियत समझ आ जाती है। यह सफर पार करना एक मरीज के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। मरीज के साथ-साथ पूरा परिवार इस वक्त को काफी डर और तनाव के साथ जीता है। जाहिर सी बात है, कैंसर का नाम ही किसी को डराने के लिए काफी है। दिल्ली की रहने वाली सुनीता बहल के कैंसर की कहानी के बारे में आज हम जानेंगे। जिन्होंने अपनी बेटियों के लिए कैंसर जैसी घातक बीमारी को मात दी और सभी के लिए एक मिसाल पेश की।
सुनीता बहल के कैंसर का सफर कुछ ऐसा ही है। यह बात साल 2018 की है जब सुनीता को अक्टूबर में अपने ब्रेस्ट में एक गांठ महसूस हुई, जिसके बारे में उन्होंने अपने पति को बताया। इस गांठ को नजरअंदाज न करते हुए उन्होंने इस बारे में डाॅक्टर से बात करना जरूरी समझा। डाॅक्टर ने उन्हें मैमोग्राफी और अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी, दोनों टेस्ट में कुछ साफ सामने नहीं आने पर बयोप्सी कराई गई। जिसके बाद सुनीता के ब्रेस्ट में सिस्ट होने की बात सामने आई, यह दूसरी स्टेज का कैंसर था। जो अभी तक शरीर के दूसरे हिस्सों में फैला नहीं था।
डाॅक्टरों ने सुनीता की गांठ को सर्जरी की मदद से हटा दिया और इसके बाद रेडिएशन और कीमोथेरेपी दी। अपने कैंसर के सफर के बारे में सुनीता ने onco.com को बताया कि इलाज के दौरान कीमोथेरेपी का दर्द शायद एक मरीज के अलावा कोई नहीं समझ सकता है। कीमोथेरेपी का दर्द उन्हें लिए बयां करना बेहद मुश्किल है। अपने पति और बच्चों की खातिर उन्होंने इस कष्ट को कुछ भी नहीं समझा। क्योंकि वह अपने परिवार के चेहरे से उस मायूसी को हटाना चाहती थी और उस पहले जैसे खुशनुमा महौल को लाना चाहती थीं, जिसमें वक्त रहते वह कामयाब हुई। आज सुनीता स्वस्थ रूप से वापस अपने परिवार के साथ हैं।
अपनी कीमोथेरेपी के बाद सुनीता ने कई तरह के दुष्प्रभावों का भी सामना किया। इस बीच उनके पीरियडस रूक गए थे, जो जब वापस से शुरू हुए तो आपके उन्हें काफी परेशानी व कमजोरी हुई। उनकी इस परेशानी के लिए डाॅक्टरों ने उन्हें शरीर के अंगों को हटाने की सलाह दी। हालांकि अब उन्हें पांच साल तक हर महीने एक इंजेक्शन के साथ कुछ दवाइयों का सेवन करना है। इसके साथ ही उनके बाल झडने लग गए थे।
सुनीता ने बताया कि शुरूआती इलाज के दौरान उन्होेंने अपनी बीमारी की बात केवल अपने पति से बताई थी, उनका कहना है कि जब कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव सामने आने लगे तो उनके लिए इसे अपने बच्चों से छुपाना काफी मुश्किल हो गया। धीरे-धीरे उनके बाल गिरने लग रहे थे, जिसके लिए उन्होंने बहाना बनाकर नया हेयरकट भी लिया। हालांकि एक वक्त के बाद उनकी बेटियों को उनके कैंसर के बारे में पता चला, वह दौर कुछ ऐसा था कि मानो उन पर पहाड़ ही टूट पड़ा हो।
कउंसलिंग के बारे में बात करते हुए सुुनीता ने बताया कि यह न सिर्फ मरीज के लिए बल्कि पूरे परिवार में फैली नकारात्मकता को हटाती है। वह वक्त ऐसा था कि उनके पति चेहरे पर डर होने के बावजूद भी अपनी पत्नी व बच्चियों के सामने उसे बयां नहीं कर सकते थे। इसके साथ ही जब उनकी बेटियों को इस बारे में पता चला तो वह वक्त उनके लिए काफी बुरा था।
सुुनीता के पति की लाॅ फर्म जिसमें वह उनके साथ काम करती हैं। कैंसर का सफर तय करने के बाद अब सुनीता लाॅ की तैयारी कर रही है। अब आगे बढ़ कर वह अपने जिंदगी में कुछ नया हासिल करने की चाह में है। जो वाकई काबिले तारीफ है।
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