कैंसर हमेशा लक्षण नहीं देता है। कई बार, कैंसर का पता नहीं चलता है, यानी यह बहुत कम या कभी-कभी कोई संकेत या लक्षण नहीं दिखाता हैै, जिससे शुरुआती चरणों में इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
ऐसे अन्य मामले हैं जिनमें कैंसर द्वारा उत्पन्न लक्षण कई नियमित संक्रमणों या स्थितियों के समान होते हैं, जिनके परिणामस्वरूप अक्सर गलत निदान होता है और उनका देर से पता चलता है। ऐसा ही एक कैंसर है पेट या गैस्ट्रिक कैंसर, जिसका शुरुआत के चरणों में पता नहीं चल पाता है और बाद में यह एडवांस स्टेज तक पहुंच जाता है।
पेट हमारी आंतों के बीच में होता है और अन्य आस-पास की संरचनाओं और अंगों जैसे लीवर, अग्न्याशय, अन्नप्रणाली और काॅलन से शारीरिक रूप से संबंधित होता है। इस कारण से, ये संरचनाएं कैंसर के विकास के लिए सामान्य जोखिम कारकों को साझा करती हैं। अधिकांश पेट के कैंसर एडेनोकार्सिनोमा (adenocarcinoma) हैं जो पेट की सबसे भीतरी अस्तर की ग्रंथियों की कोशिकाओं में बनते हैं। पेट की संरचनात्मक और कार्यात्मक स्थिति के कारण, पेट के कैंसर के परिणामस्वरूप उत्पन्न लक्षण की अनदेखी होती है।
इसकी बनावट के आधार पर, पेट के कैंसर (stomach cancer) के लक्षणों को दो व्यापक प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है – शुरुआती स्टेज और एडवांस स्टेज के लक्षण।
शुरुआती स्टेज में पेट के कैंसर में लोगों को कोई लक्षण नहीं दिखता है। लेकिन, जैसे-जैसे कैंसर बढ़ने और फैलने लगता है, इसके लक्षणों को महसूस किया जा सकता है जैसेः
जब आप लक्षणों के बारे में पढ़ते हैं, तो आपको पता चलता है कि इनमें से कई लक्षण अन्य स्थितियों में भी देखे जाते हैं जैसे कि बोवेल सिंड्रोम, जीईआरडी, खाद्य पदार्थों से एलर्जी, पेट का अल्सर, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण आदि। इनमें से कई का इलाज लोग घरेलू उपचार से ही कर लेते हैं, ऐसे लक्षण पैदा होने पर बहुत कम लोग ही डाॅक्टर के पास जाते हैं, जो कि सही नहीं है।
पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में गैस्ट्रिक कैंसर चौथा सबसे आम है और यह पुरुषों में तीसरा सबसे आम कैंसर है।
यदि इसका शुरूआती के चरणों में ही पता नहीं चल पाता है, तो यह एडवांस स्टेज में पहुंच जा़ता है और लीवर, फेफड़े और पेरिनेमोन जैसे अन्य अंगों में भी फैल सकता है। एडवांस स्टेज में रोगियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले लक्षण शुरुआती चरणों की तुलना में कहीं अधिक गंभीर होते हैं।
पेट का कैंसर होने के लक्षण आमतौर पर एडवांस स्टेज में तब पहुंचता है, जब इसकी नियमित तौर पर जांच नहीं होती है। हालांकि, जापान जैसे देशों में, जहां पेट का कैंसर सामान्य है, वहां नियमित रूप से बड़े पैमाने पर इसकी जांच की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप स्थिति का जल्द पता चलता है। हालांकि, रूटीन स्क्रीनिंग अभी तक फायदेमंद साबित नहीं हुई है।
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रोगी में इसके लक्षण दिखने के बाद, डॉक्टर गैस्ट्रिक कैंसर की पुष्टि करने के लिए एक अपर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल एंडोस्कोपी, बायोप्सी या सीटी स्कैन करते हैं। पेट के कैंसर के चरण के आधार पर, रोगी को उचित उपचार दिया जाता है और आमतौर पर, जल्दी पता लगाने और निदान से इस कैंसर के प्रकार में बेहतर उपचार सफलता दर होती है।
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