स्तन कैंसर तब होता है जब आपके स्तन में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ती और विभाजित होती हैं, जिससे ऊतक का एक द्रव्यमान बनता है जिसे ट्यूमर कहा जाता है। स्तन कैंसर के संकेतों में आपके स्तन में गांठ महसूस होना, आपके स्तन के आकार में बदलाव का अनुभव करना और आपके स्तनों की त्वचा में बदलाव देखना शामिल हो सकते हैं। मैमोग्राम जल्दी पता लगाने में मदद कर सकता है। ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब हम जानेंगे मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, पीयूष बाजपेयी से।
ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत स्तन में होती है। इसके लक्षणों की अगर बात करें तो यह ऐसी गांठ होती है, जिसमें दर्द नहीं होती है। 50 साल की उम्र के बाद इसका रिस्क बढ़ जाता है। इसके लक्षणों की अगर हम बात करें तो हमें इसमें दर्द रहित गांठ, निप्पल से डिस्चार्ज, स्किन में किसी भी तरह का बदलाव शामिल हो सकता है। यदि हम बिना दर्द वाला गांठों पर ध्यान नहीं देते तो एक वक्त के बाद उनमें दर्द भी होने लगता है, जिसके लिए बिना देरी के हमें डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए।
सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन हर महिला को पीरियड के दूसरे हफ्ते में इसे ज़रूर करना चाहिए। इसमें शीशे के सामने खड़े होकर दोनों स्तन की जांच करनी चाहिए, साथ ही आप लेट कर उंगलियों की मदद से गांठ को जांच सकते हैं। इसमें शीशे के सामने खड़े होकर दोनों स्तन की जांच करनी चाहिए, साथ ही आप लेट कर उंगलियों की मदद से गांठ को जांच सकते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि हमारी कोलर बाने से लेकर बगल तक की हमें जांच करनी चाहिए, क्योंकि गांठ कई बार वहां भी उत्पन्न हो सकती है।
स्क्रीनिंग की मदद से हम कैंसर को जल्दी पकड़ सकते हैं, जिसके लिए 40 से 50 साल के बीच में हर दो साल में मैमोग्राम ज़रूर करवाना चाहिए। साथ ही 50 साल के बाद हर साल इसकी जांच करवानी चाहिए। एमआरआई की जब बात आती है तो यह उन लोगों में किया जाता है, जिनमें ब्रेस्ट कैंसर का कोई पारिवारिक इतिहास हो।
ब्रेस्ट का अल्ट्रासाउंट भी किया जाता है, यह मैमोग्राम के साथ 40 की उम्र के बाद किया जाता है जो ब्रेस्ट कैंसर को पकड़ने में काफी सहायक होता है।
ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम कारक उम्र के साथ बढ़ते जाते हैं। इसके साथ मोटापा, इसका एक कारण है यदि किसी को बीएमआई 25 से ज्यादा है उसे ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है। HRT थेरेेपी लेने से इसका खतरा बढ़ सकता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसेे कि डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल से भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जो महिलाएं स्तनपान नहीं कराती हैं, उनमें इसका खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, ब्रेस्ट फिडिंग बहुत ज़रूरी है। साथ ही, यदि कोई महिला 30 साल के बाद बच्चे को जन्म देती है तो, उनमें इसका खतरा बढ़ सकता है।
यदि किसी महिला को ब्रेस्ट है तो स्तनपान के बारे में उन्हें डाॅक्टर से बात ज़रूर करनी चाहिए। ब्रेस्ट कैंसर के दौरान कीमोथरेपीे और होर्मोनल थेरेपी की दवाइयां लैक्टेशन में निकल सकती हैं, जिससे बच्चे को नुकसान हो सकता है। इसलिए, आमतौर पर इस दौरान स्तनपान न कराने की सलाह दी जाती है। इसी तरह, सर्जरी और रेडिएशन के दूध की मात्रा कम हो जाती है जिससे स्तनपान कराना संभव नहीं होता है। डाॅक्टर उपचार के दौरान ऐसा करने से मना करते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के दौरान ढीले कपड़े पहनें, ताकि सर्जरी और रेडिएशन के बाद आपको ज्यादा परेशानी न हो। कपड़े हमेशा काॅटन के और थोड़े हल्के ही पहने इससे आपके शरीर को आराम मिलेगा और उपचार की प्रक्रिया में आसानी होगी। आप इस वक्त स्पोर्ट्स ब्रा पहनें। आगे से ओपन कपड़े पहनें या फिर आप शर्ट पहन सकते हैं।
5 से 10 प्रतिशत लोगों में जेनेटिक रूप से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना होती है। दो तरह के जीन हैं BRCA, जिसके दो प्रकार है BRCA1 और BRCA2. जिन्हें जेनेटिक ब्रेस्ट कैंसर को मुख्य कारण माना जाता है। यदि किसी के परविार में काफी लोगों को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो, या उम्र 45 की नीचे की हो या फिर ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर 60 साल की कम उम्र में हुआ हो तो एक बार जेनेटिक टेस्ट ज़रूर कराएं। ये टेस्ट ब्लड सेंपल या स्वाॅब के जरिए किया जाता है। इसमें डीएनए को एनालाइज किया जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर में उपचार की शुरुआत सर्जरी से होती है। इससे पहले कोर बायोप्सी की मदद से कैंसर के प्रकार, उसकी स्टेज का पता लगाया जा सकता है। कई बार सर्जरी से पहले गांठ के आकार के आधार पर नियोएडजुवेट कीमोथेरेपी दी जा सकती है।
सर्जरी दो प्रकार की होती है, ब्रेस्ट कंर्सवेशन सर्जरी और मास्टेक्टॉमी। ब्रेस्ट कंर्सवेशन सर्जरी में ब्रेस्ट को बचाकर हम उस गांठ का इलाज कर सकते हैं। वहीं, मास्टेक्टॉमी में गांठ को हटाने के लिए कई बार पूरी ब्रेस्ट को हटाया जाता है।
गांठ के आकार के आधार पर नियोएडजुवेट कीमोथेरेपी दी जा सकती है। जो ओरल दवाएं होती है। कुछ टारगेटेड थेरेपी होती हैं जो ब्रेस्ट कैंसर में दी जाती है, यह कीमोथेरेपी के साथ दी जाती है। इसके साथ ही होर्मोनल थेरेपी भी की जाती है, यह टेबलेट के रूप में दी जाती है, जो कीमो, सर्जरी औ रेडिएशन के बाद शुरू होती है, और लंबे वक्त तक चलती है। रेडिएशन थेरेपी भी बेस्ट कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर में आ कल इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।
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