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कैंसर का सफर: हर मुश्किल का आसान उपाय है सकारात्मक रहना 

कैंसर का नाम सुनते ही लोगों में खौफ बन जाता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसे हराने के लिए सही वक्त पर इसका इलाज बेहद जरूरी है। एक परिवार को तोड देने के लिए कैंसर का नाम ही काफी है, और जब परिवार का मुखिया ही इससे ग्रस्त हो जाए, तो परेशानी का आलम आप खुद ही समझ सकते हैं। साल 2019 में कुछ ऐसा ही भरत के परिवार ने महसूस किया। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम के रहने वाले भरत के पिता किशन चंद्र राजपाल को 59 साल की उम्र में पेट में ट्यूमर हो गया था। 

अपने पिता के एक बाॅडी चेकअप के दौरान पेट में ट्यूमर के बारे में पता चला। इस दौरान उनके पिता अपने कुछ दोस्तों के साथ हैदराबाद में थे। वापस घर लौटने के बाद किशन ने अपनी रिपोर्ट अन्य घरवालों को दिखाई, उनके पारिवारिक डॉक्टर ने उन्हें किसी कैंसर स्पेशलिस्ट से सलाह लेने को कहा।

इसके बाद सबसे पहले भरत ने अपने पिता को हैदराबाद के एशियन अस्पताल में दिखाया, जहां से उनकी बायोप्सी हुई। जिसकी रिपोर्ट में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर पेट में होने की बात सामने आई। जिसके बाद उन्हें उस ट्यूमर को निकालने के लिए ऑपरेशन की सलाह दी गई। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि यह आगे चलकर बड़ी समस्या हो सकती है।

भरत को लगा कि हैदराबाद से बेहतर उनके पिता का इलाज किसी और बडे शहर में किया जाए। इस बीच किसी ने उन्हें onco.com के बारे में बताया। जहां पर संपर्क करने के बाद भरत की काफी हद तक मुश्किलें आसान हो गई। onco.com की तरफ से उनके पिता के बारे में सारी जानकारी ली गई, और मुंबई के बेहतर अस्पतालों के बारे में उन्हें बताया गया, जो उनके लिए सबसे बडी दुविधा थी। भरत के पिता के पेट का ट्यूमर काफी बड़ा था, जिसको लेकर डाक्टर्स भी काफी परेशान थे, इस बीच मुंबई के एक अस्पताल में सर्जन ने भरत के पिता की सर्जरी की, जिससे उनका ट्यूमर बाहर निकाल दिया गया और आज वह एकदम फिट हैं। 

onco.com से बात करते हुए भरत ने बताया कि उनके पिता ने सर्जरी के बाद ज्यादा दुष्प्रभावों का सामना नहीं किया। हालांकि, उनका वजन 70 से 58 किलो हो गया था, जिसके बारे में डॉक्टर ने पहले ही उन्हें आगाह कर दिया था। पिछले एक साल के अंदर भरत के पिता का दो से तीन किलो तक का वनज वापस भी आ गया। 

सर्जरी के बाद भरत के पिता अपनी तरफ से खुद को ठीक करने में काफी हद तक मदद कर रहे हैं। वह अपनी जीवनशैली में हेल्दी खाने का सेवन करते हैं। डॉक्टर द्वारा दिए गए डाइट प्लान को फॉलो करते हैं और शराब से दूरी बनाए हुए हैं। इसकी वजह से वह जल्दी ही इस बीमारी से बाहर आ गए। 

इलाज के दौरान भरत के पिता तनाव का शिकार भी हुए थे। वह अपने वजन घटने को लेकर काफी परेशान थे, और सर्जरी के एक से डेढ़ साल बाद भी वह वापस अपने वजन में नहीं आ पाए, इस बारे में उनके एक दोस्त ने मन में शंका पैदा कर दी, जिसको लेकर वह काफी परेशान रहने लगे।

onco.com से ली काउंसलिंग

अपने पिता के तनाव के बारे में भरत ने onco.com को बताया जहां से हमारे डॉक्टर ने उनकी काउंसलिंग की। काउंसलिंग के बाद भरत के पिता काफी सकारात्मक दिखे और उनमें आत्मविश्वास जगा। जिसका पूरा श्रेय वह onco.com को देते हैं। 

वैसे तो भरत का काफी बड़ा परिवार है, लेकिन बचपन से ही अपने पिता से खास लगाव होने के चलते उनके पिता ने उन्हें ही अपने उपचार के दौरान अपने साथ रखा, इस वक्त में पूरे उपचार की जानकारी, डॉक्टरों से बातचीत, प्रक्रिया की जानकारी का काम भरत के कंधों पर ही था। ऐसे में उनका काम onco.com ने काफी हद तक आसान कर दिया। भरत बताते हैं कि अब उनके पिता एकदम सही हैं। हर छह महीने के बाद होने वाले फॉलोअप में भी कैंसर के वापस आने का कोई चांस नहीं दिखा। जिसके लिए उनके पिता को अब किसी तरह की दवा का सेवन भी नहीं करना पडता है।

जाहिर सी बात है कि कैंसर जैसी बीमारी के बारे में लोगों के बीच काफी हद तक मिथक बने हुए हैं कि इसका इलाज नहीं हो सकता है। इन्हीं मिथकों को नकारते हुए भरत यह संदेश देते हैं कि इस दुनिया में हर समस्या का समाधान है। आज विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है, जिसकी मदद से कैंसर जैसी बीमारी को भी मात दी जा सकती है। इसलिए किसी भी परेशानी का सामना करने के लिए सकारात्मक रहना बहुत जरूरी है।

इस कैंसर के सफर से यह भी सीख मिलती है कि हमें वक्त वक्त पर डॉक्टर से अपनी जांच कराते रहनी चाहिए। जिस तरह से भरत के पिता को अचानक से उनके पेट में ट्यूमर होने की बात पता चली, वह काफी गंभीर समस्या थी। कई बार बीमारी किसी तरह का संकेत नहीं देती है, ऐसे में अगर हमारा ध्यान उस पर नहीं गया तो वह आगे चलकर और विकराल रूप ले लेती है। इसलिए बाॅडी चेकअप जैसी चीजें आज की जीवनशैली के हिसाब से काफी जरूरी हैं।

Team Onco

Helping patients, caregivers and their families fight cancer, any day, everyday.

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