मनुष्य के शरीर में स्थित आहार नली, मुंह से पेट तक भोजन ले जाने का काम करती है। जब यह नली कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसे इसोफेगल कैंसर (Esophageal cancer) कहते हैं। आज हम इस वीडियो में आहार नली कैंसर विशेषज्ञ डाॅ पारस खन्ना से बात करेंगे और इससे जुड़े कुछ सवालों के जवाबों के बारे में जानेंगे।
What kills esophageal cancer?
आहार नली एक ट्यूब है जो हमारे मुंह से होकर पेट तक जाती है। जब इसमें कैंसर पनपता है, तो वह इसके रास्ते को बंद कर देता है। जिससे मरीज को खाना खाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। खाने की मात्रा कम होने के कारण मरीज कमजोर होता चला जाता है, जिससे जाहिर तौर पर उसकी सेहत पर असर पडता है।
इस कैंसर के जोखिम कारकों में सबसे अहम है तंबाकू का सेवन। तंबाकू किसी भी तरह से लेना किसी भी जोखिम से कम नहीं है। इसके साथ ही गर्म तरल पदार्थों का सेवन, शरीर का मोटापा, ज्यादा मसाले वाला भोजन का सेवन, स्मोक्ड फूड का सेवन करना इस कैंसर के कुछ आम जोखिम कारक हैं। यदि हम लंबे समय तक ऐसी जीवनशैली को बनाए रखते हैं, तो आहार नली कैंसर होने की संभावना बढ जाती है। यह सभी जोखिम कारक एक साथ मिलकर इस कैंसर की संभावना को और ज्यादा बढ़ा देते हैं। आमतौर पर ठंडे इलाके में लोग खाने की चीजों को तेज मसालों में मिलाकर रखते हैं, जिससे वह खराब न हो ऐसा करने ने उनमें एक तरह के फंगस लगने की आशंका होती है, जो हमारे लिए काफी परेशानी भरा हो सकता है।
जब किसी व्यक्ति को गले से खाना निगलने में परेशानी महसूस हो और यदि ऐसा 10 से 15 दिन तक लगातार रहे तो आप तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इसका पता लगाने के लिए आहार नली की एंडोस्कोपी से जांच की जाती है, जिसके बाद वहां से एक छोटा सा नमूना लेकर उस टुकडे की बायोप्सी की जाती है। जिससे पता चलता है कि आपको कैंसर है या नहीं। जिसके बाद कैंसर आहार नली से बाहर और जगहों पर तो नहीं फैल गया है, यह देखने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं के बाद इलाज शुरू किया जाता है। यदि किसी मरीज का शुरूआती स्टेज में ही कैंसर के बारे में पता चल जाए तो उसकी सर्जरी करके उसे ठीक किया जा सकता है। यदि मरीज का कैंसर दूसरी या तीसरी स्टेज में हो या फिर कैंसर दूसरी जगह पर फैल गया होता है। ऐसे में मरीज को सर्जरी से पहले रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी या फिर दोनों का संयोजन दिया जाता है। जिससे उस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है और सर्जरी करके ठीक किया जा सकता है।
आहार नली के कई ऐसे मरीज होते हैं, जिनका इलाज दवा के माध्यम से किया जाता है। वहीं 10 से 15 प्रतिशत मरीजों का इलाज सर्जरी से किया जाता है। इन मरीजों में इलाज के बाद कुछ वक्त के लिए अल्सर बन जाते हैं। उपचार के बाद मरीज को छाती में जलन महसूस होती है, जिससे उसे खाना निगलने में परेशानी होती है। साथ ही खाना निगलने में दर्द महसूस होता है। हालांकि वक्त के साथ यह परेशानी कम होकर खत्म हो जाती है। सर्जरी के बाद मरीज एक वक्त पर बहुत सारा खाना नहीं खा सकता है। जिस कारण मरीज को थोड़े-थोड़े अंतराल के बीच में कम मात्रा में खाने का सेवन करना होता है। कीमोथेरेपी के बाद उल्टी की समस्या काफी होती है।
కీమోథెరపీ కోసం క్యాన్సర్ రోగులు ఎలాంటి దుస్తులు ధరించాలో తెలుసా? ఈ ఆర్టికల్లో, క్యాన్సర్ రోగులకు కీమోథెరపీని సౌకర్యవంతంగా పొందడంలో సహాయపడే దుస్తుల జాబితాను అందించాము.
ఈ కథనం మీ క్యాన్సర్ రకానికి సరైన క్యాన్సర్ వైద్యుడిని కనుగొనడానికి 6-దశల గైడ్ను వివరిస్తుంది.
तंबाकू का सेवन गुटका, जर्दा, पैन मसाला आदि के रूप में करना सिर और गले के कैंसर का मुख्य कारण…
నోటి పుండ్లతో బాధపడుతున్న క్యాన్సర్ రోగులకు క్యాన్సర్ చికిత్సలో ఉన్నప్పుడు తీసుకోవాల్సిన 12 ఉత్తమ ఆహారాలు.
క్యాన్సర్కు కారణమయ్యే 6 జీవనశైలి కారకాలు గురించి ఈ కథనంలో వివరంగా ఇవ్వబడ్డాయి. అవి ఏమిటో తెలుసుకోండి!
शोध की मानें तो न्यूज़पेपर प्रिंट करने में जो स्याही का इस्तेमाल होता है उसमें ऐसे केमिकल होते हैं जो…