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‘मैं ही क्‍यों ?’: पढ़ें कैंसर पेशेंट सीमा की कहानी (पार्ट 2)

आप सीमा की कहानी के भाग-1 को यहाँ पढ़ सकते हैं।

सीमा को उनकी बायोप्सी रिपोर्ट मिल गई है और खबर अच्छी नहीं है।

डॉक्टर के क्लीनिक से बाहर निकलते ही सीमा की जिंदगी बिल्कुल बदल गई। उनकी पूरी जिंदगी अब दो भागों में बंट चुकी है: एक जो आज से पहले की है और एक आज के बाद की। ऐसा लग रहा था जैसे मानो सब कुछ बदल गया हो।

वह वापस घर गई, लेकिन वह खुद में भी नहीं थी। अपने बाकी के बचे हुए दिन में होने वाली सभी मीटिंग्‍स को सीमा ने अपनी तबियत का हवाला देते हुए कैंसिल कर दिया। वह ठीक तो नहीं है, लेकिन उनके  साथी कभी भी यह अनुमान नहीं लगा पाएंगे कि वह कितनी अस्वस्थ है। यहां तक कि उन्हें आज सुबह तक इसका पता नहीं था।

आज सीमा ने अपने बेटे को टीवी पर उसका पसंदीदा कार्टून शो देखने के लिए हां कह दिया, और यहां तक कि उसे कोई टाइम लिमिट भी नहीं दी। अपनी रिपोर्ट के बारे में सोचते हुए सीमा ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। 

कैंसर के निदान के बारे में सोचने का सही तरीका क्या है? वैसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह किसी भी तरह से सोचे, आगे कोई आशा की किरण नहीं दिखाई देती। सीमा 35 साल की है और उसे ये गंभीर बीमारी है जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है। उनका बेटा 3 साल का है। क्या वह उसका अगला जन्मदिन मना पाएगी?

इससे अच्छा कुछ और ही हो जाता, वह सोचने लगी। यहां तक कि नौकरी चली जाती, या सड़क हादसे में फ्रैक्चर हो जाता, या… सीमा कैंसर से बेहतर बाकी के बुरे से बुरे हादसों के बारे में सोचने लगी। 

क्या मैं किसी को जानती हूं जो कैंसर से ठीक हो चुका हो? सीमा ने अपना दिमाग चलाया। उनके पड़ोसी की दादी को कैंसर था, लेकिन वह सात साल पहले की बात है और वह बहुत बूढ़ी थी, शायद लगभग 80 साल की। 

क्‍या कोई और है? उनके बचपन के दोस्त के भाई को कैंसर था जब वह छोटा था। उसे बोन ट्यूमर था और उनका निधन हो गया। लेकिन यह लगभग  20 साल पहले की बात थी। 

उनके अंकल के दोस्त को पिछले साल कैंसर हो गया था। उनके साथ क्या हुआ? वह नहीं जानती थी। उन्हें अपने अंकल को फोन कर पता लगाना चाहिए कि क्या उनका दोस्त ठीक हो गया था। 

जब कैंसर उतना ही सामान्य है जितना कि इंटरनेट कहता है, तो वह किसी भी एक ऐसे व्यक्ति को क्यों नहीं जानती हैं जो इससे ठीक हुआ है? सीमा को लगा कि वह ज्यादा सोच रही है। 

सीमा ने बायोप्सी रिपोर्ट बैग से बाहर निकाली, जो कुछ ऐसी दिखती है।

इसका क्या मतलब है? कैंसर कितना गंभीर है? इसका इलाज क्या होगा और इसमें कितना खर्च आएगा? कितनी देर लगेगी? उनके जीवित रहने की कितनी संभावना है?

इन सवालों का जवाब कौन दे सकता है? गायनेकोलॉजिस्ट ने उन्हें ऑन्कोलॉजिस्ट के पास जाने की सलाह दी थी। लेकिन इस प्रकार के कैंसर के लिए कौन-सा ऑन्कोलॉजिस्ट अच्छा है?

सीमा के दिमाग में काफी सवाल थे। गूगल ने केवल सामान्य जवाब दिए लेकिन उन्हें अपनी बायोप्सी रिपोर्ट के लिए कुछ व‍िशेष जवाब चाहिए थे।  

जैसे ही सीमा अपना फोन वापस टेबल पर रखती हैं, एक सोशल मीडिया नोटिफिकेशन आया। जिसमें कॉलेज की उनकी एक क्‍लासमेट अपना जन्मदिन मना रही थी। अपने दो बच्चों के साथ क्‍लासमेट की एक फोटो थी, सभी काफी अच्छे से तैयार हो कर एक बड़ा-सा केक काट रहे थे। सबके चेहरे पर खुशी नज़र आ रही थी। 

सीमा को यह देख कर अंदर से चिढ़ सी महसूस हुई। ऐसा क्या अजीब हो रहा!

जब दूसरे लोग खुशियां मना रहे होंगे, और नया घर खरीद रहे होंगे, छुट्टियों पर जा रहे होंगे, सीमा अस्पताल में भर्ती हो कर बिल बढ़ा रही होगी, जो उनके परिवार को अपनी सेविंग्‍स में से चुकाने पड़ेंगे। 

यह सवाल उसके दिमाग में फिर से आया, “मैं ही क्यों?” जब से उन्होंने  पहली बार वो गांठ महसूस की थी, यह सवाल तभी उनके दिमाग में आया था। 

सीमा ने शुरू से ही हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल अपनाया। उन्‍हें कभी भी सर्दी या खांसी के अलावा, किसी और तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत नहीं हुई। फिर उन्हें कैंसर क्यों हो गया, जबकि दूसरे लोग खुशी से जीवन जी रहे हैं? 

क्या वह अपने बाल खो देगी? उन्हें याद आया कि कैंसर के मरीज आमतौर पर गंजे हो जाते हैं। यह सब सोच कर डर ने उन्हें चारों ओर से जकड़ लिया और उनकी आंख से आंसू की पहली बूंद उनके गाल पर आ गिरी।

वह अपनी सोच में इतनी ज्यादा डूबी हुई थी कि उन्हें पता नहीं चला कमरे में कब उनके पति आ गए। सीमा को रोता हुआ देख उन्होंने अपने कदम रोक लिये।

“मुझे पक्का भरोसा है कि रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ है।” अपनी पत्नी की बीमारी की खबर पर उन्होंने कुछ ऐसी प्रतिक्रिया दी। 

“अब हमें क्या करना चाहिए?” सीमा ने पूछा, हालांकि उन्हें पहले से ही पता था कि आगे क्या करना है। उन्हें अपने सवालों के जवाब जानने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें एक अच्छा ऑन्कोलॉजिस्ट ढूंढने की जरूरत है।

उनके पति गूगल पर कुछ सवालों के जवाब सर्च करने लगे। “मैं पहले देख चुकी हूं”, सीमा ने सोचा, लेकिन फिर कुछ नहीं बोलीं।

“क्‍या लगता है हमें किसी और से राय लेनी चाहिए?” सीमा के पति ने, उन्हें Onco.com. का चैटबॉट दिखाते हुए कहा। वह उस वक्त थोड़ी उलझन में नज़र आई, कि यह कैसे मदद करेगा। उनके पति ने चैटबॉट पर सभी जरूरी जानकारी दर्ज की और उन्‍हें तुरंत Onco.com के केयर मैनेजर का कॉल आया।

केयर मैनेजर ने जवाब देने से पहले उनकी बात को ध्यान से सुना। जवाब स्पष्ट थे। यहाँ अनुमान के लिए कोई जगह नहीं थी।

“कैंसर जैसी जटिल बीमारी के साथ, हमेशा एक से अधिक विशेषज्ञ से राय लेनी चाहिए। इससे आपके मन में संदेह कम रहेगा, और आपको भरोसा रहेगा क‍ि आपका निदान सही है और आपका ट्रीटमेंट प्‍लान आपके लिए सबसे बेहतर है।”

केयर मैनेजर ने उन्हें सुझाव दिया कि अगर उन्हें बायोप्सी रिपोर्ट में बताए गए कैंसर के निदान के बारे में कुछ भी संदेह है, तो वह उन्हें सीन‍ियर ऑन्कोपैथोलॉजिस्ट (कैंसर निदान में विशेषज्ञ पैथोलॉजिस्ट) द्वारा समीक्षा की गई बायोप्सी ब्लॉक और स्लाइड प्राप्त करने में उनकी मदद कर सकती है, ताकि निदान को लेकर उनके मन में कोई शंका न रहे। 

इलाज के आगे की योजना के बारे में, केयर मैनेजर ने उनसे बायोप्सी रिपोर्ट और बाकी की टेस्‍ट रिपोर्ट मांगी। जिसे तीन विशेषज्ञों के एक पैनल के साथ साझा किया जाएगा, जो सीमा की स्थिति और उसके लिए बेहतर उपचार पर एक विस्तृत रिपोर्ट देंगे। फिर वह अपनी पसंद के किसी भी अस्पताल से उसका इलाज करा सकती हैं।

केयर मैनेजर ने एक ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ उनका अपॉइंटमेंट भी बुक कर दिया, जो ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में विशेषज्ञ हैं।

जब सीमा के पति केयर मैनेजर के साथ चर्चा कर रहे थे, वह अस्पताल जाने के लिए अपने बालों को संवारने लगी। वह बिना देर किए जल्‍द से जल्‍द इलाज शुरू कराना चाहती थी। 

“मैं आशा करती हूं कि आप इस कैंसर के लिए तैयार हैं। आपने यह लड़ाई शुरू की, लेकिन मैं आपसे वादा करती हूं कि इसे खत्म मैं करूंगी! ” सीमा ने कहा जब वह ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ अपने अपॉइंटमेंट के लिए तैयार हो रही थी। 

अब ऑन्कोलॉजिस्ट क्या कहेंगे? क्या सीमा ठीक होगी?

Team Onco

Helping patients, caregivers and their families fight cancer, any day, everyday.

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