डा. राजीव विजय कुमार सेंट मार्था हॉस्पिटल बेंगलुरु में एक कंसल्टेंट मेडिकल ऑनकोलॉजिस्ट, हिमेटो–ऑनकोलॉजिस्ट और बीएमटी फिजिशियन हैं। इस ब्लाॅग में हम कीमो ब्रेन के बारे में बात करेंगे।
कैंसर और इसके इलाज के कई हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं। कीमो ब्रेन इनमें से एक है और ये कैंसर के कई मरीजों द्वारा महसूस किया गया है।
कीमो ब्रेन के अन्य नाम हैं – कैंसर ट्रीटमेंट संबंधित कॉग्निटिव इंपेयरमेंट, कैंसर रिलेटेड कॉग्निटिव चेंज, या पोस्ट कीमोथेरेपी कॉग्निटिव इंपेयरमेंट या कीमो फॉग।
दुर्भाग्यवश लगभग 75% कैंसर के मरीजों को कैंसर के इलाज के दौरान कीमो ब्रेन का अनुभव होता है और 35% से ज्यादा मरीज इलाज के बाद भी इससे पीड़ित रहते हैं।
कीमो ब्रेन की वजह से संज्ञानात्मक कार्यों (cognitive functions) में गिरावट आती है, जिससे काम पर ध्यान केंद्रित करने में या सोचने में दिक्कत होती है, और कभी–कभी किसी घटना या तथ्य को याद करने में कठिनाई होती है जो पहले आसानी से याद रहते थे। बौद्धिक गतिविधियों में कई मानसिक क्षमताएं शामिल हैं जैसे याद करना, सोचना, तर्क करने की क्षमता, याददाश्त, समस्या को सुलझाना, निर्णय लेना और ध्यान देना।
नाम के उलट कीमो ब्रेन बस उन्हीं लोगों तक सीमित नहीं है जिनकी कीमोथेरेपी हुई हो, बल्कि ये इलाज के कई तरीकों से संबंधित है जैसे रेडिएशन थेरेपी, हार्मोनल थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, या खुद कैंसर ही।
कीमो ब्रेन का असल कारण अभी नहीं पता है। यह पता लगाने के लिए अभी रिसर्च चल रही है कि कैसे कैंसर और इसके इलाज से कीमो ब्रेन होता है।
मरीज ऐसे कई कदम उठा सकते हैं जिससे कीमो ब्रेन का असर रोजमर्रा के काम में कम हो, और उसकी तीव्रता भी कम हो।
रिसर्च बताते हैं कि कसरत करने से ब्रेन के दो हिस्से जो याददाश्त से संबंधित होते हैं, उनमें खून का प्रवाह बढ़ जाता है जिससे याददाश्त और बौद्धिक गतिविधियों की दिक्कतें कम होती हैं। कसरत करने से कीमो ब्रेन द्वारा होने वाली चिंता, डिप्रेशन और थकान दूर होती है। गार्डनिंग, पालतू जानवरों का ख्याल रखना, या टहलना जैसे गतिविधियों से ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है।
नींद की कमी से ब्रेन की काम प्रभावित होते हैं। कुछ व्यावहारिक बदलाव जैसे ऐसे खाने से बचें जो आपके दिमाग को सक्रीय करें जैसे कॉफी, चॉकलेट आदि और सोने के दो घंटे पहले तक किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के इस्तेमाल न करने से नींद में सुधार हो सकता है। मेडिटेशन और कई अन्य रिलैक्सेशन तकनीक भी नींद में सुधार लाते हैं। दिन में जरूरत से ज्यादा थकान होने पर भी आपकी याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शरीर और दिमाग को शांत करने के लिए अपने व्यस्त शेड्यूल से लगातार ब्रेक लेते रहें।
पर्याप्त न्यूट्रीशन पर ध्यान दें। संपूर्ण स्वास्थ्य और मानसिक गतिविधियों के लिए खान-पान ठीक होना जरूरी है। शोध बताते हैं कि फल और सब्जी ज्यादा खाने से ब्रेन की ताकत बढ़ती है। फल और सब्जी में एंटी ऑक्सीडेंट भरे होते हैं जो कैंसर के ट्रीटमेंट से ब्रेन की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाता है और कॉग्निटिव साइड- इफेक्ट्स को दूर करता है। डॉक्टर की सलाह से मल्टी-विटामिन सप्लीमेंट लेने से भी ब्रेन के कार्य पुनः स्थापित होते हैं। फूड जर्नल बना कर रखने से आपको अपने डाइट पैटर्न का ट्रैक बना कर रखने में मदद मिलेगी और आप अच्छे खान पान से जुड़े रहेंगे।
कुछ गतिविधियां जैसे घूमना, नई स्किल सीखना, आध्यात्मिक कार्यों से जुड़ना आदि से कॉग्निटिव कार्यों को ठीक किया जा सकता है। मानसिक स्फूर्ति बढ़ाने वाली गतिविधियां जैसे क्रॉस वर्ड, सुडोकू, पजल, नंबर गेम, नई भाषा सीखना आदि आपके फोकस, याददाश्त और बाकी के कॉग्निटिव क्षमताओं को सुधारने में मदद करता है।
अपनी दिनचर्या प्लान करें और उसका पालन करें। जिस समय आपको अपनी एनर्जी लेवल सबसे ज्यादा लगे उस समय में सभी मेहनत वाले काम को करने का रूटीन बनाएं।
कुछ लोग अपने अपॉइंटमेंट और शेड्यूल का ट्रैक रखने के लिए नोट्स बनाते हैं। साथ ही, आपने अपने ज़रूरी सामान कहां रखे हैं उसके भी नोट बनाएं। मोबाइल और चाभी जैसे आम सामान रखने के लिए एक जगह तय करें जहां इन्हें खोजने में आसानी हो।
एक बार में एक ही काम पर ध्यान दें और एकसाथ कई काम न करें। अपने रोज के काम करने में दोस्तों और प्रियजनों से मदद लें और अपनी मेंटल एनर्जी को बचाएं।
अगर आपको ऐसा लगता है कि कीमो ब्रेन के कमज़ोर याददाश्त से आपकी दिनचर्या कठिन हो रही है तो आप स्पेशलिस्ट की मदद ले सकते हैं। स्पेशलिस्ट आपको कॉग्निटिव कार्यों का बेहतर तरीके से प्रबंध करके संभालने के तरीके बताते हैं। वे आपको समझाते हैं कि दिमाग कैसे काम करता है और नई जानकारी लेने और नए काम करने के तरीके बताएंगे। साथ ही वे प्लानर या डायरी जैसे साधन को इस्तेमाल करने के तरीके बताएंगे जिससे आप सुनियोजित ढंग से रह सकें और कीमो ब्रेन के प्रभावों को मैनेज कर सकें।
साथ ही याद्दाश्त की दिक्कतों का एक ट्रैक बना कर रखें और जिस समय पर ये ज्यादा हो उस समय का नोट बना कर रखने से आप को इन दिक्कतों के लिए तैयार रहने में मदद मिलती है।
इससे आप कोई जरूरी काम उस समय में करने से बचते हैं। ऐसे रिकॉर्ड से आपके डॉक्टर को भी आपकी स्थिति समझने में मदद मिलेगी। और ऐसे लक्षण आपको कैसे प्रभावित करते हैं इस बात पर ध्यान न दें बल्कि, अपना ध्यान दूसरी तरफ भटकाने की कोशिश करें और समस्या को स्वीकार करें जिससे आप इसे और बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।
यह जानकर अच्छा लगेगा कि कीमो ब्रेन के लक्षण समय के साथ ठीक होते हैं। फिर भी हर मरीज अलग होता है और इलाज के लिए अलग प्रतिक्रिया देता है। ज्यादातर मामलों में कीमो ब्रेन के लक्षण इलाज के 9 से 12 महीने के अंदर कम होने लगते हैं। और लगभग 20% कैंसर सर्वाइवर में लंबे समय के लिए कॉग्निटिव बदलाव आते हैं।
साइंटिस्ट लगातार नॉवेल तकनीक की रणनीतियां विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं जिनसे कॉग्निटिव कमियों को दूर करके ब्रेन को आम कार्यों को सुचारू रूप से करने में मदद मिल सके। ऐसे इलाज से मरीजों को कीमो ब्रेन से उबरने में मदद मिलती है और जीवन की गुणवत्ता सुधरती है।
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