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बोन कैंसर: लक्षण, उपचार और दुष्प्रभाव

हड्डियों का कैंसर जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि यह हमारी बोन में होने वाला कैंसर है। हड्डियों का कैंसर हड्डी को क्षतिग्रस्त या कमजोर कर देता है। इसके लक्षण  ट्यूमर के स्थान पर निर्भर करते हैं। आज हम मैक्स अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार – हड्डी रोग ऑन्कोसर्जन, विवेक वर्मा से बोन कैंसर से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जानेंगे। 

बोन कैंसर क्या है और इसके शुरूआती लक्षण क्या हैं? 

जब भी हमारे शरीर में किसी भी कोशिका का आकार बढ़ना है तो उसे हम ट्यूमर कहते हैं। इन ट्यूमर के दो प्रकार होते हैं, जिसमें एक होता है बिनाइग्न और दूसरा मेलिग्नेंट। बिनाइग्न ट्यूमर एक जगह पर बढ़ते रहते हैं और वहीं मेलिग्नेंट शरीर के अन्य हिस्से में बहुत तेजी से फैलते हैं। हड्डी के कैंसर या सारकोमा शरीर में काफी तेजी से फैलते हैं। इनके लक्षणों की अगर हम बात करें तो इसमें सबसे पहले एक गांठ दिखाई देती है। इस गांठ में कोई दर्द महसूस नहीं होता है। दूसरा लक्षण है किसी भी हड्डी में लगातार दर्द। तीसरे लक्षण में आता है यदि हड्डी किसी भी मामूली चोट से टूट जाए। 

बोन कैंसर का निदान और इलाज कैसे किया जाता है?

सारकोमा के मामले अन्य कैंसर के मुकाबले दो से तीन प्रतिशत होते हैं। इसलिए कई बार डाॅक्टर्स भी इसे पकड़ नहीं पाते हैं और जब यह बीमारी बढ़ जाती है, तब इसकी ओर ध्यान जाता है। ऐसे में किसी भी तरह के लक्षण पाए जाने पर सबसे पहले किसी आर्थोपेडिक सर्जन को दिखाएं। इसके निदान के लिए सबसे पहले नैदानिक परीक्षण किया जाता है, जिसमें देखा जाता है कि आखिर परेशानी क्या है। जिसके बाद एक्स-रे की मदद से हड्डी की हालत के बारे में पता लगाया जाता है। इसके बाद बायोप्सी की जाती है। इसके इलाज के बारे में हम बात करें तो इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है।

बोन कैंसर के इलाज के बाद कौन से दुष्प्रभाव मरीज को झेलने पड़ते हैं? 

आज की तकनीक के हिसाब से मेडिकल में काफी विकास हुआ है। जिसकी मदद से अब इलाज के बाद लोगों को दुष्प्रभाव पहले जितने नहीं होते, या फिर यह दुष्प्रभाव एक वक्त तक ही रहते हैं। हालांकि कैंसर के उपचार को लेकर लोगों में कई तरह की गलत धारणाएं बनीं हुई हैं, जो उन्हें इलाज के लिए आगे नहीं बढ़ने देती है। लेकिन असल में मरीज किसी भी तरह के उपचार के बाद कुछ ही महीनों में पहले जैसा जीवन जीने लगता है।

बोन कैंसर के प्रकार क्या हैं? 

वैसे तो 50 से अधिक प्रकार के सारकोमा होते हैं, लेकिन दो प्रकार के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा। इविंग सारकोमा खासतौर पर बच्चों को होता है, यह 5 से लेकर 15-20 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है। इसके शरीर में फैलने का जोखिम काफी अधिक होता है। इसके इलाज में सबसे पहले कीमोथेरेपी और कई बार इसमें रेडिएशन थेरेपी का उपयोग भी किया जाता है। ऑस्टियो सारकोमा भी बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। आज के वक्त में बच्चों की शरीर में इम्प्लांटस लगाए जा सकते हैं, जो उनकी उम्र के साथ बढ़ते हैं और उनके शरीर में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा बायोलॉजिकल रिकन्स्ट्रशन का इस्तेमाल काफी किया जाता है। 

Team Onco

Helping patients, caregivers and their families fight cancer, any day, everyday.

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