ब्लीडिंग (खून बहना) और ब्रुईसिंग (चोट लगना) कैंसर के किसी भी ट्रीटमेंट का साइड इफेक्ट हो सकता है। ब्लीडिंग का मतलब है कि खून या तो शरीर से बाहर निकल रहा है या फिर किसी बॉडी कैविटी में ब्लड वेसल्स टूटने के कारण बह रहा है। ब्रुईसिंग का मतलब है चोट लगने के कारण नष्ट हो चुकी ब्लड वेसल्स से स्किन में खून का बहाव। ब्रुईसिंग से स्किन पर अक्सर काले या नीले रंग के दाग दिखाई देते हैं।
ज्यादातर मरीज जिनका कैंसर ट्रीटमेंट चल रहा है, उन्हें ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग की समस्या कम प्लेटलेट काउंट (थ्रोंबोसाइटोपीनिया) की वजह से होती है।
ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग के अन्य कारण हैं: लिवर की समस्या, विटामिन K की कमी, या कमज़ोर ब्लड वेसल्स। थ्रोंबोसाइटोपीनिया के इलाज के लिए आपकी मेडिकल टीम आपको प्लेटलेट इन्फ्यूजन की सलाह देगी या ऐसी दवाइयां देगी, जिनसे शरीर में खून को कोशिकाओं की मात्रा बढ़ सके।
कैंसर के मरीज ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग का अनुभव इन कारणों से कर सकते हैं:
कुछ प्रकार के कैंसर: ब्लड कैंसर (ल्यूकेमिया और लिंफोमा), लिवर तक फैल चुके कैंसर, स्प्लीन के कैंसर जो स्प्लीन को बड़ा बना कर उसमें प्लेटलेट्स को पकड़े रहते हैं और शरीर में वितरित होने से रोकते हैं, और वे कैंसर जो कि बोन मैरो तक फैल जाते हैं। ये सभी कैंसर प्लेटलेट्स की संख्या घटाते हैं ,जिससे कैंसर के मरीज को ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग का सामना करना पड़ता है।
कैंसर ट्रीटमेंट: सभी प्रकार के कैंसर ट्रीटमेंट से ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग नहीं होती है। ये इन बातों पर निर्भर करती है कि ट्रीटमेंट के डोज और प्रकार, दवाईयां और ट्रीटमेंट शरीर के किस हिस्से में हो रहा है।
कीमोथेरेपी: कीमोथेरेपी की वजह से बोन मैरो में खून की कोशिकाओं का बनना कम हो जाता है, जिससे प्लेटलेट्स काउंट कम होता है।
रेडिएशन थेरेपी: ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग सभी रेडिएशन थेरेपी के साइड-इफेक्ट्स नहीं होते हैं। लेकिन, अगर ये कीमोथेरेपी के साथ मिला कर दी जाती है या अगर आपको पेल्विक क्षेत्र में ज्यादा मात्रा में रेडियोथेरेपी दी जा रही है तो इससे प्लेटलेट्स काउंट कम होता है।
सर्जरी: अगर ट्यूमर को हटाने के लिए आपकी सर्जरी हुई है, तो ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग इसका एक सामान्य साइड-इफेक्ट है। आपको सर्जरी के साइट से खून का रिसाव दिख सकता है। अगर ये स्थिति बिगड़ती है या ब्लीडिंग लगातार होते रहती है, तो इलाज करने की अपनी मेडिकल टीम को सूचित करें और तत्काल मेडिकल केयर पाएं।
कुछ दवाईयां : ब्लड थिनर (हेपरिन, वार्फरिन आदि) और NSAIDs (एस्पिरिन, आइबूप्रोफेन) जैसी दवाईयां ब्लीडिंग के खतरे को बढ़ाती हैं। अपनी हेल्थ केयर टीम से दवाईयों की वो लिस्ट मांगें, जिनसे कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग से बचाव हो सके।
एंटीबॉडी: वायरस और बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबॉडी का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कभी–कभी ये स्वस्थ प्लेटलेट्स को भी नष्ट करने लगते हैं, जिससे प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाता है। इसलिए, कोई भी वैक्सीनेशन लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग के ऐसे कई लक्षण होते हैं, जिनके ऊपर आपको नजर रखनी चाहिए। अपनी हेल्थ केयर टीम को सूचित करें अगर आपको इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होता है:
आपकी कैंसर केयर की टीम द्वारा ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग या थ्रोंबोसाइटोपीनिया का इलाज करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं;
उदाहरण के लिए ओपरेलवेकिन – न्यूमेगा (Neumega) के नाम से उपलब्ध ये एक ब्लड सेल ग्रोथ फैक्टर है, जिसे FDA ने स्वीकृति दी है जिससे शरीर में प्लेटलेट्स बनता है।
ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग से बचाव करने के लिए ये तरीके अपनाएं;
ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग के ट्रीटमेंट और बचाव के तरीके उनके प्रकार और साइट के हिसाब से अलग हो सकते हैं। अगर आपको जरूरत से ज्यादा ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग है तो अपनी हेल्थ केयर टीम को तुरन्त सूचित करना न भूलें और तत्काल मेडिकल हेल्प लें।
अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें अगर आपको;
डॉक्टर के पास जाने के पहले खुद को तैयार करें और ट्रीटमेंट के दौरान पूछने के लिए सवालों की एक लिस्ट बनाएं। ब्लीडिंग और ब्रुईसिंग से संबंधित नीचे लिखे प्रश्नों को आप जोड़ सकते हैं:
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