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ब्लैडर कैंसर: जोखिम कारक, लक्षण और  इलाज

ब्लैडर कैंसर हमारे शरीर में मूत्राशय के अंदर बनीं कोशिकाओं में शुरू होता है, हालांकि यह पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा होता है। ब्लैडर कैंसर से जुड़े कुछ सवालों के जवाब हम अपोलो अस्पताल सीबीडी बेलापुर, मुंबई के एमबीबीएस, एमएस, एमसीएच यूरोलॉजी, डॉ अश्विन तम्हंकर से जानेंगे।

ब्लैडर कैंसर क्या है?

ब्लैडर हमारे शरीर का वो हिस्सा होता है, जहां गुर्दों से दो नलियां उतरकर एक थैली में आती हैं। इस हिस्से में जो भी कैंसर होता है उसे हम ब्लैडर कैंसर कहते हैं। ब्लैडर पुरुषों में होने वाला सातवा सबसे आम कैंसरों में से एक हैं।मर्दों में 9.5 को और महिलाओं में 2.5 को प्रभावित करता है। इस कैंसर से मौत के बारे में बात करें तो मर्दों में 3.3 और महिलाओं में .86 है।

ब्लैडर कैंसर के जोखिम कारक और लक्षण क्या है? 

इस कैंसर के जोखिम कारकों के बारे में बात करें तो 50 प्रतिशत ब्लैडर कैंसर के मामले धूम्रपान के कारण होते हैं। आप जितने वक्त तक इस आदत को बनाए रखते हैं, इसका खतरा उतना ही बढ़ जाता है। लगभग 10 प्रतिशत ब्लैडर कैंसर के मामले केमिकल एक्सपोजर के कारण होता है। मूत्राशय के आसपास रेडिएशन या कीमोथेरेपी का इस्तेमाल का इतिहास हो सकता है। ब्लैडर में पथरी होना, या फिर आर्सेनिक एक्सपोजर इसके कारणों में से एक हैं। ब्लैडर कैंसर के लक्षणों की बात करें तो यूरिन में ब्लड आना सबसे आम है। इसके साथ ही बार-बार बाथरूम आना या रूक-रूक कर आना भी इसके लक्षणों में से एक है। 

ब्लैडर कैंसर का निदान और इलाज कैसे किया जाता है?

ब्लैडर कैंसर का निदान यूरिन और ब्लड टेस्ट से किया जाता है। इसके साथ ही इमेजिंग की जाती है, जिसे हम सीटी स्कैन कहते हैं। जिसमें किडनी से लेकर पूरा यूरीनरी ट्रैक का परीक्षण किया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण एंडोस्कोपी टेस्ट टेस्ट जिसे हम सिस्टोस्कॉपी कहते हैं, जहां दूरबीन की मदद से पूरे ब्लैडर के अंदर की जांच की जाती है। 

ब्लैडर कैंसर के इलाज में सबसे यह सुनिश्चित किया जाता है कि कैंसर शरीर के और भागों में फैला न हो। यदि कैंसर अन्य जगहों पर फैल गया है तो हमें उसकी स्टेजिंग के आधार पर इलाज शुरू करना है। ब्लैडर के कैंसर दो तरीके से वर्गीकृत किए हैं, एक नॉन मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर और मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर। नॉन मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर के बारे में अगर बात करें तो इसमें ब्लैडर के अंदर एंडोस्कोपी रिसेक्शन किया जाता है। जिसे हम टीयूआर बीडी कहते हैं। उसके बाद ब्लैडर में दवा डाली जाती है और हर तीन महीने में सिस्टोस्कॉपी की जाती है। मसल इनवेसिव ब्लैडर कैंसर काफी घातक होता है। इस प्रक्रिया में ब्लैडर को सर्जरी की मदद से निकालना पड़ता है। रेडिकल सिस्टेक्टोमी करने के बाद पहले या बाद में कीमोथेरेपी की जा सकती है। इसके बाद यूरिन से बाहर निकालने के लिए एक रास्ता बनाया जाता है। इसके साथ ही कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का उपयोग भी इसमें किया जाता है। इसके उपचार में रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। 

Team Onco

Helping patients, caregivers and their families fight cancer, any day, everyday.

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