When Leukemia patient Meenakshi found herself in a COVID isolation ward, she discovered that the best way to pass her time was to help the others there
Team Onco
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Helping patients, caregivers and their families fight cancer, any day, everyday.
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Onco.com’s expert panel of oncologists has answered COVID-19 related queries from cancer patients across the world
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न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर के तंत्रिका कोशिकाओं के हार्मोन उत्पादन में असामान्य वृद्धि होती है। यह ट्यूमर शरीर की आंतों में शुरू होता है। आम तौर पर यह फेफड़ों और अग्नाशय में होता है। इस ब्लाॅग में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम के रहने वाले भरत ने अपने पिता के कैंसर के सफर के बारे में बताया है।
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सूरज लगातार पराबैंगनी किरणों का उत्पादन करता है जो बादलों में प्रवेश कर सकते हैं और आपकी त्वचा को ठंड के दिनों में या ठंड के मौसम में भी प्रभावित कर सकते हैं। बर्फ, पानी, और रेत सूर्य की किरणों को दर्शाते हैं, जब आप इन तत्वों के आसपास होते हैं तो सनस्क्रीन लगाना महत्वपूर्ण होता है।
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कैंसर रोगियों की देखभाल करने वालों के लिए, यह जरूरी है कि आप एहतियात के तौर पर अपने अस्पताल में किसी से भी बातचीत करते समय मास्क पहनें। जब भी आप अपने घर से बाहर हों या सार्वजनिक स्थानों पर हों, तो मास्क पहनें।
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उपचार के बाद का फाॅलो.अप कैंसर देखभाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आपको अपने डर को एक तरफ स्थापित करने में मदद करता है और आपको वापस सामान्य स्थिति में लाने में शामिल चुनौतियों से निपटने में मदद करता है। इस ब्लाॅग में आज हम इसी बारे में बात करेंगे।
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सोनाली बेंद्रे और इरफान खान जैसे कई सेलेब्स हैं, जो विदेशों में कैंसर जैसी घातक बीमारी का इलाज करा चुके हैं। इस ब्लाॅग में हम आपको बताएंगे कि भारतीस सेलेब्स का विदेश में इलाज क्यों कराते हैं। लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि पैसा होने के चलते वह लोग विदेशों में अपना इलाज करा पाते हैं।
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Cancer patients are at higher risk of COVID-19. Here’s what you can do to stay safe.
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साल 2016 में झारखंड के हजारीबाग की दुर्गावती गुप्ता को अपने दाहिने स्तन में कैंसर होने का पता चला। जहां पहली बार उन्हें सही इलाज न मिलने से उनका कैंसर और बढ़ गया। लगभग एक साल बाद दुर्गावती को पैरालाइज अटैक आया जिसमें उनके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। इस ब्लॉग में हम उनके कैंसर के इस सफर के बारे में जानेंगे।
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महज 30 साल की उम्र में अर्चना चैहान को दो साल के भीतर कैंसर जैसी घातक बीमारी का दो बार सामना करना पडा। कोरोना काल के बीच दूसरी बार कैंसर का पता चलने पर वह इस माहामारी वाली बीमारी से भी नहीं बच पाई। अर्चना चैहान के इस ब्लाॅग में हम उनके कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे।