पिछले काफी वक्त से स्तन कैंसर के मामलों में इज़ाफा देखा जा रहा है। भारत में हर आठ में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार होती है। वैसे तो यह पुरूषों में भी होता है, लेकिन बहुत कम। घर के काम के साथ ऑफिस और उसके बाद बच्चे! आज कल की महिलाओं की जि़ंदगी इतनी उलझी रहती है कि उन्हें अपने लिए वक्त ही नहीं मिल पाता। इन सब के बीच वह अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाती। महिलाओं में वैसे तो कई आम बीमारियां हैं, जिनसे उन्हें अपनी रोजमर्रा की जीवन शैली के साथ निपटना होता है। उनमें से एक स्तन कैंसर भी है।
दरअसल, लोग सजग बीमारी होने के बाद होते हैं, उसके पहले नहीं। यदि हम किसी बीमारी से बचने के लिए पहले से ही सतर्कता बरतें तो इससे हम अपने साथ-साथ दूसरों की परेशानी को भी दूर कर सकते हैं। हमारे जीवनकाल के दौरान कई ऐसे कारक होते हैं, जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके लिए हमें खुद को और ज्यादा इसके प्रति एक्टिव रहने की ज़रूरत है। इस बीमारी का मुख्य कारण वैसे तो हमारी जीवनशैली और हेरिडिटी को माना गया है।
आज हम कुछ ऐसे बिंदुओं पर बात करेंगे, जिनसे आप अपने स्तन कैंसर के खतरों को कम कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले हम स्तन कैंसर के बचाव के बारे में बात करें, हमें ये जानने की ज़रूरत है कि असल में यह क्या है?
स्तन कैंसर ऐसा कैंसर है जो हमारे स्तन से शुरू होता है। इसकी शुरूआत तब होती है, जब हमारी कोशिकाएं ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है। स्तन कैंसर की कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं जिसे एक्स-रे पर देखा जा सकता है या आप इसे एक गांठ के रूप में भी महसूस कर सकते हैं। स्तन कैंसर लगभग पूरी तरह से महिलाओं में होता है, लेकिन पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है। सीधे शब्दों में समझें तो स्तन में किसी भी तरह की गांठ या सूज कैंसर का रूप ले सकता है। ऐसे में आपको सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श लेने की ज़रूरत है। अगर इसके संकेतों के बारे में बात करे, तो आपको स्तन में गांठ, निप्पल के आकार या स्किन में बदलाव, स्तन का सख़्त होना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, स्तन या निप्पल पर त्वचा का छीलना, अंडर आर्म्स में गांठ होना स्तन कैंसर के कुछ संकेत हैं।
1- इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा – इसमें स्तन के ऊतक के अन्य भागों में कैंसर कोशिकाएं मिल्क डक्टस् में बाहर विकसित होती हैं। इन्वेसिव कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
2- इन्वेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा – कैंसर कोशिकाएं लोब्यूल्स से स्तन के ऊतकों तक फैलती हैं जो कि करीब होते हैं। ये इन्वेसिव कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
रिसर्च की मानें तो ,अपनी जीवनशैली में बदलाव कर स्तन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इस खतरे को कम करने के लिए ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं। हम ये नहीं कहते कि ये हर एक महिला पर लागू होते हैं, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य पर एक अच्छा प्रभाव डाल सकते हैं। आइए जानते हैं कि कैसे आप स्तन कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं:
शारीरिक तौर पर एक्टिव रहकर आप स्तन कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं। आप प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज करें या फिर घर के काम में अच्छे से एक्टिव रहें। यह आपके शरीर की चर्बी को गलाने में मदद करेगा। अपना वज़न हमेशा चेक करते रहें। ज्यादा मोटापा और वज़न दोनों ही हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। इसलिए, अपने वज़न को कंट्रोल में रखें, यह ब्रेस्ट कैंसर का एक कारण है। खासतौर पर रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म बंद होने के बाद) यदि आपका वज़न ज्यादा होता है, तो इसका खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, फैट कोशिकाएं ही कैंसर संबंधी ट्यूमर या गांठ बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं।
सिगरेट और शराब के सेवन का चलन आजकल महिलाओं में भी काफी आम है। आप कह सकते हैं कि महिलाओं में बढ़ते स्तन कैंसर का यह भी एक कारण है। यह स्तन कैंसर को बढ़ावा देता है। जो महिलाएं ड्रिंक करती हैं, उन्हें एक दिन में 1 से अधिक अल्कोहल ड्रिंक नहीं लेना चाहिए। आप कोशिश करें कि इसके सेवन से बचें। यही बात सिगरेट पर भी लागू होती है। ऐसा पाया गया है कि विशेष रूप से प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं में धूम्रपान स्तन कैंसर को बढ़ावा देता है।
गर्भनिरोधक गोलियों के जोखिम और लाभ दोनों हैं। एक महिला की उम्र जितनी कम होती है, खतरा भी उतना ही कम होता है। वहीं, जब एक उम्र के बाद महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं, उनमें स्तन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है। आप इन गोलियों के सेवन को बंद करके इस खतरे को कम कर सकती हैं। गर्भनिरोधक गोलियों से स्ट्रोक और दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ जाता है – खासकर उनमें अगर कोई महिला धूम्रपान करती है। यदि आप स्तन कैंसर के खतरे को रोकना चाहती हैं, तो आपके पास गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन को बंद करने का एक बेहतर विकल्प है।
स्तन कैंसर की रोकथाम में स्तनपान की अहम भूमिका होती है। आप जितने अधिक समय तक स्तनपान करेंगी, उतना अधिक समय पर आप इस खतरे का रोक पाएंगी। जिन महिलाओं ने अपने बच्चे को स्तनपान करवाया है उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा उन महिलाओं की तुलना से पांच प्रतिशत कम होता है जिन्होंने अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करवाया है।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए आप संतुलित आहार का सेवन करें। अपने आहार में फल, जूस और हरी सब्जियों के सेवन को बढ़ाएं। कार्बोहाइड्रेट को अपनी डाइट में कम करें। इससे मोटापा बढ़ता है। आप बाहर का पैक्ड पेय पदार्थ, जैसे कि जूस और कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने से बचें।
खासतौर पर वो महिलाएं जिनके परिवार में स्तन कैंसर हो चुका है उन्हें सजग रहने की ज़रूरत है, इसलिए महिलाओं के लिए अपने परिवार के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण है। यदि आपकी माँ या बहन को स्तन कैंसर या डिम्बग्रंथि कैंसर (ovarian cancer) हो चुका है, तो आपको स्तन कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। ऐसे में आपको डॉक्टर के परामर्श की ज़रूरत है।
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