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हैदराबाद में बेस्ट लंबर पंचर डॉक्टर
लंबर पंचर पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
लंबर पंचर का इस्तेमाल निम्न निदान के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैंः
• मैनिंजाइटिस, एन्सेफलाइटिस और सिफलिस जैसे गंभीर बैक्टीरियल, फंगल और वायरल संक्रमण।
• सेंट्रल नर्वस सिस्टम ( CNS) डिसऑर्डर जैसे कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम और मल्टीपल स्केलेरोसिस।
• ब्रेन और रीढ़ की हड्डी का कैंसर।
• सबराचनोइड हेमरेज (ब्रेन के चारों ओर खून)।
लंबर पंचर एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसमें गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हाेते हैं। लेकिन इसमें लंबर पंचर के बाद सिरदर्द और द्रव रिसाव की संभावना जैसे जोखिम हैं। हालांकि, आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, हमारी मेडिकल टीम उन्हें प्रबंधित करने के लिए दवाइयां सुझाएगी।
लंबर पंचर से पहले कोई डाइट या दवाओं पर रोक नहीं हैं। लेकिन, प्रक्रिया के 3 घंटे से पहले डॉक्टर आपको कुछ आहार और खून को पतला करने वाली दवाएं जैसे वार्फरिन और कुछ अन्य दवाओं को बंद करने की सलाह दे सकते हैं। यदि आप खून पतला करने वाली दवाएं, एस्पिरिन प्रोडक्ट, शराब का सेवन बंद कर रहे हैं या लेटेक्स दवा से आपको एलर्जी है तो अपने डॉक्टर को जरूर बताएं।
इसमें लगभग 30 – 45 मिनट का समय लगता है, लेकिन जब तक आप बेहतर महसूस न करें तब तक आपको लेटने की आवश्यकता होगी। यह एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है, इसलिए आप उसी दिन घर जा सकेंगे, लेकिन आपको गाड़ी चलाने या खेलने की अनुमति नहीं होगी।
लंबर पंचर के परिणाम आपको 48-72 घंटे तक के भरतर नजर आने लगेंगे। इमरजेंसी में कुछ परिणाम घंटों के भीतर मिल जाते हैं और कुछ बायोकेमिकल टेस्ट को आने में 6-8 हफ्तों का वक्त लग सकता है।
लंबर पंचर के दौरान सिरदर्द, सूजन और पीठ के निचले हिस्से में दर्द जैसे आम दुष्प्रभाव हो सकते हैं जिनको आसानी से मैनेज किया जा सकता है। यदि सिरदर्द ज्यादा है या पंचर साइट के माध्यम से रक्त या स्पष्ट द्रव का रिसाव होता है तो अपने डाॅक्टर से संपर्क करें।
जिन लोगों को मेनिनजाइटिस, सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर, ब्रेन और रीढ़ की हड्डी के कैंसर जैसे गंभीर संक्रमणों के लिए निदान की आवश्यकता होती है, उन्हें लंबर पंचर की आवश्यकता होती है।
एक न्यूरोलॉजिस्ट या एक डॉक्टर जो सीएसएफ एकत्र करने के लिए विशेष रूप से ट्रेन हैं, बेहतर तरीके से लंबर पंचर कर सकते हैं।
लंबर पंचर आमतौर पर एक मामूली प्रक्रिया है जो 30-45 मिनट तक चलती है जिसमें सीएसएफ को इकट्ठा करने के लिए रीढ़ में एक हाइपोडर्मिक सुई डाली जाती है। यह टेस्ट लगभग ब्लड टेस्ट जैसा ही होता है।
लंबर पंचर बिल्कुल भी दर्दनाक नहीं होता है क्योंकि यह लोकल एनेस्थीसिया के बाद किया जाता है। लेकिन सिरदर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द जैसे दुष्प्रभाव आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि, इन दुष्प्रभावों के लिए डाॅक्टर आपको दवाएं दे सकते हैं।
आपको सिरदर्द, पीठ में परेशानी और पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है जो पैरों तक फैल सकता है। आपको अधिक आराम करने, वाहन न चलाने, व्यायाम करने और न खेलने की सलाह दी जाती है।
आपको मेडिकल टीम से संपर्क करना चाहिए यदि:
• आपका सिरदर्द बहुत ज्यादा हो रहा हो।
• पंचर साइट से ब्लड या स्पष्ट द्रव का रिसाव हो रहा है।
• आपको तेज बुखार है, आप सुन्न महसूस करते हैं या पंचर वाली जगह के नीचे बिल्कुल ताकत कम हो जाए।
हमारी मेडिकल टीम आपके मेडिकल इतिहास और वर्तमान स्थिति को जांचने के बाद दवा देगी।
लंबर पंचर को स्पाइनल टैप भी कहा जाता है, इस प्रक्रिया में रोगों के निदान के लिए सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ) को इकट्ठा करने के लिए रीढ़ की हड्डी में एक सुई डाली जाती है।
सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ का विश्लेषण सेल गिनती, ग्लूकोज और प्रोटीन सांद्रता की जांच के लिए किया जाता है। जिससे विभिन्न बिमारियों के परीक्षण में मदद मिलती है।
इस प्रक्रिया में सुई डालने से पहले उस एरिया को सुन्न करने के लिए एक लोकल एनेस्थीसिया आपकी पीठ के निचले हिस्से में लगाया जता है। लोकल एनेस्थेटिक इंजेक्शन लगाने के बाद थोड़ी देर के लिए हल्का-सा दर्द होगा।
रीढ़ की झिल्ली (Spinal membrane) के माध्यम से और रीढ़ की हड्डी की नाल में दो निचले कशेरुकाओं (lumbar region) के बीच एक पतली, खोखली सुई डाली जाती है। इस दौरान आप अपनी पीठ में दबाव-सा महसूस कर सकते हैं।
एक बार सुई लगने के बाद, डाॅक्टर धीरे से आपको अपनी पोजीशन बदलने के लिए कह सकता है।
रीढ़ की नाल (Spinal canal) पर दबाव मापा जाता है, जिसके बाद थोड़ा मस्तिष्कमेरु द्रव (cerebrospinal fluid) निकाला जाता है।
इस प्रक्रिया को पूरा होने में 30-45 मिनट का समय लगता है। डाॅक्टर आपको प्रक्रिया के बाद कुछ समय तक लेटने का सुझाव दे सकता है।
लंबर पंचर में आप उसी दिन अस्पताल से घर जा सकते हैं, लेकिन ड्राइव करने, व्यायाम करने या खेलने जैसी एक्टिविटी से आपको दूर रहना होता है।
इंटरस्पिनस स्पेस को देखने और त्वचा से रीढ़ की गहराई का आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउंड उपयोगी है। यदि रोगी की रीढ़ की हड्डी में विकृति है, तो फ्लोरोस्कोपी (continuous X-ray imaging) की जा सकती है।
• सेंट्रल नर्वस सिस्टम के रोगों का निदान करने के लिए।
उदाहरण: मेनिनजाइटिस और सबराचनोइड हेमरेज।
• बीमारियों का इलाज करने के लिए या दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स या कीमोथेरेपी जैसी दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए।
• ऑपरेशन से पहले शरीर के निचले हिस्से को सुन्न करके लिए स्पाइनल एनेस्थेटिक इंजेक्ट करने के लिए।
• खोपड़ी या स्पाइन में दबाव कम करने के लिए कुछ तरल पदार्थ निकालने के लिए।
व्यक्ति को आमतौर पर उनकी बाईं ओर करवट करके लेटने को कहा जाता है और गर्दन को इस तरह से झुकाया जाता है कि ठोड़ी छाती के करीब हो, पीठ कूबड़ की तरह बाहर हो, साथ ही दोनों घुटने छाती की ओर हो, यह लगभग भ्रूण की स्थिति की तरह है। मरीज अपने सिर और कंधों को आगे की ओर झुकाकर स्टूल पर भी बैठ सकते हैं।
सीधे बैठने की स्थिति अधिक फायदेमंद होती है क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी की शारीरिक रचना के कम तोड़-मरोड़ होता है, जिससे और द्रव को आसानी से निकालने की अनुमति देती है। मोटे रोगियों के लिए स्कोलियोसिस से बचना बेहतर होता है।
इसकी कीमत कई कारकों के आधार पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकती है।
औसतन, हैदराबाद में एक लंबर पंचर की कीमत लगभग 800 रुपये है।
• सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) में बैक्टीरियल, फंगल, माइकोबैक्टीरियल और वायरल संक्रमण की जांच के लिए लम्बर पंक्चर की आवश्यकता होती है।
• सबाराकनॉइड हैमरेज (subarachnoid haemorrhage), जब मस्तिष्क के भीतर या नीचे एक रक्त वाहिका फट जाती है। इस स्थिति में लबंर पंचर करने की ज़रूरत होती है।
• मेनिनजाइटिस (Meningitis) जिसमें ब्रेन और मेरुदण्ड को ढकने वाली परतों में सूजन आ जाती है। इसमें बुखार, सिरदर्द, मानसिक स्थिति में बदलाव या मेनिन्जियल संकेत दिखाई पड़ते हैं।
• गुइलेन-बर्रे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) में हाथों और पैरों में खून की आपूर्ति करने वाली नसों में सूजन आ जाती है। इस स्थिति से जूझ रहे लोगों के मस्तिष्कमेरु द्रव (CSF) में प्रोटीन का स्तर की जांच के लिए लम्बर पंक्चर की आवश्यकता होती है।
• विशेष रूप से, स्पाइनल एनेस्थीसिया या कीमोथेरेपी के लिए, मस्तिष्कमेरु द्रव (CNS) में दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए लंबर पंचर को इस्तेमाल किया जाता है।
• सीरियल लंबर पंचर का उपयोग एक ऐसी बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है जिसमें द्रव का दबाव बढ़ जाता है जिससे सिरदर्द और आंखों की रोशनी खोन को नुकसान होता है।
• मस्तिष्कमेरु द्रव में एंटीबायोटिक दवाओं को देने के लिए लंबर पंचर को इस्तेमाल किया जाता है।
• रीढ़ की हड्डी में बीमारियों का पता लगाने के लिए रेडियोग्राफिक जांच के लिए कंट्रास्ट मीडिया इंजेक्शन दिया जाता है।
• CSF हटाने के बाद यूरीन रोकने में असहाय वाले कुछ रोगी, और मेंटल डिसऑर्डर जैसे याददाश्त या सोचने की क्षमता में कमी जैसे लक्षणों से राहत महसूस करेंगे।
• पंचर साइट पर यदि त्वचा संक्रमित हो तो यह नहीं किया जाता है।
• इंट्राकैनायल (intracranial) दबाव बढ़ा हुआ होने पर इसे नहीं किया जाता है।
• थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia), ब्लीडिंग डायथेसिस (bleeding diathesis), एंटीकौयगुलांट थेरेपी (anticoagulant therapy) करा रहे रोगियों को इसे कराने कीे सलाह नहीं दी जाती है।
• स्पाइनल एपिड्यूरल फोड़ा (spinal epidural abscess) होने पर इसे नहीं कराना चाहिए।
इलाज के बाद सिरदर्द और मतली की समस्या। इसका इलाज दर्द निवारक दवाओं और तरल पदार्थ के सेवन से किया जा सकता है।
इस परेशानी को लंबर पंचर के बाद 2 घंटे तक सुपाइन पोस्चर की मदद से रोका जा सकता है।
इंट्रावेनस कैफीन इंजेक्शन रीढ़ की हड्डी के सिरदर्द के इलाज में प्रभावी है।
यदि लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने के बाद भी सिरदर्द बना रहता है या केवल बैठने पर होता है, तो यह पंचर साइट से CSF लीक का संकेत है।
इसका इलाज अधिक बेड रेस्ट या एपिड्यूरल ब्लड पैच द्वारा किया जाता है। यह रिसाव स्थल के माध्यम से रोगी के शरीर में रक्त को वापस इंजेक्ट करता है और लीक को सील करने के लिए एक थक्का बनाता है।
यदि एट्रूमैटिक सुइयों का उपयोग किया जाता है, तो यह सिरदर्द, एनाल्जेसिया की आवश्यकता और रक्त पैच के जोखिम को कम करता है।
लंबर पंचर आमतौर पर एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसके गंभीर दुष्प्रभाव बहुत कम ही होते हैं।
आम दुष्प्रभाव हैं:
• सिर दर्द
• पंचर वाली जगह पर सूजन और कमर के निचले हिस्से में दर्द।
• यदि सिरदर्द ज्यादा होता है, कंपकंपी के साथ शरीर का तापमान भी अधिक है, सूजन ज्यादा हैए और पंचर साइट से ब्लड या स्पष्ट तरल पदार्थ लीक हो जाता हैए तो मेडिकल टीम से संपर्क करें।
जोखिम:
• लंबर पंचर के बाद का सिरदर्द
• पीठ में तकलीफ या दर्द
• खून आना
• ब्रेनस्टेम हर्नियेशन (ब्रेन के अंदर दबाव जो ब्रेन के ऊतकों को स्थानांतरित करता है)
रीढ़ की हड्डी के द्रव के नमूने एकत्र किए जाते हैं और जांच के लिए लैब में भेजे जाते हैं। इसके बाद स्पाइनल फ्लूइड की जांच की जाती है:
• सामान्य दिखावट:
रीढ़ की हड्डी का द्रव सामान्य रूप से स्पष्ट और बिना किसी रंगा का होता है। यदि यह धुंधला, पीला या गुलाबी है, तो यह असामान्य रक्तस्राव का संकेत देता है। हरा रंग स्पाइनल फ्लुइड संक्रमण या बिलीरुबिन की उपस्थिति को इंगित करता है।
• प्रोटीन:
प्रोटीन का उच्च स्तर संक्रमण या सूजन का संकेत देता है।
• व्हाइट ब्लड सेलः
हाई व्हाइट ब्लड सेल काउंट एक संक्रमण का संकेत देती है।
• ग्लूकोज:
कम ग्लूकोज लेवल संक्रमण या किसी अन्य स्थिति को इंगित करता है।
• कैंसर की कोशिकाएं:
स्पाइनल फ्लूइड जैसे एब्नार्मल सेल में असामान्य कोशिकाओं की उपस्थिति कैंसर की उपस्थिति का संकेत देती है।