यदि आपका कोई अपना कैंसर रोगी है या कैंसर से जंग लड़ चुका है, तो आप नीचे बताई गई स्थितियों को आसानी से समझ सकते हैं।
स्तन कैंसर से ठीक हुई अंजलि गाडोया और उसके दोस्त के बीच एक वास्तविक बातचीत के अंश यहां दिए गए हैंः
दोस्तः तुम अब ठीक लग रही होे। क्या तुम पूरी तरह से कैंसर से ठीक हो चुकी हो ?
अंजलिः हाँ, मैं अब पूरी तरह से ठीक हूँ।
दोस्तः यह बहुत अच्छी बात है, तुम्हें ऐसे देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
अंजलिः धन्यवाद, लेकिन तुम जानते हो कि वे बहुत मुश्किल दिन थे, जब मैं कीमोथेरेपी से गुजर रही थी… किसी ने मेरा साथ नहीं दिया… किसी ने मेरी खबर तक नहीं ली।
दोस्तः अब ये सब बातें छोड़ो। पुरानी बातों को सोचकर कोई फायदा नहीं है? जाने दो। अब ये सब कुछ भूल जाओ।
हम में से कई के लिए, यह अंजलि और उसके दोस्त के बीच की आम बातचीत है, जिसमें वह अपने दोस्त को कैंसर के इलाज के बाद हिम्मत देने की कोशिश कर रहा है और अंजली को अतीत के बुरे वक्त को भूलने के लिए कह रहा हैै। लेकिन यह अंजलि, और कई अन्य कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए ऐसा है, जैसे कि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है।
जब कोई व्यक्ति अपना कैंसर का इलाज पूरा करता है, तो उस दिन जश्न मनाया जाता है। कीमोथेरेपी के अपने आखिरी राउंड के बाद एक घंटी बजाई जाती है। कैंसर के मरीज का परिवार पार्टी मनाता है और उपहार देता है। वैसे कैंसर के मरीज को प्यार महसूस कराने का अच्छा तरीका है।
हालांकि, हमें उन्हें और ज्यादा अपनापन महसूस कराने के लिए कुछ और करने की आवश्यकता है, हमें उन विषयों के बारे में भी बात करने की जरूरत है, जो हमें असहज करते हैं।
कैंसर के बारे में बात करना कोई गलत बात नहीं है। यह भावनात्मक उपचार की प्रक्रिया के रूप में पहला कदम है जो हर कैंसर रोगी के लिए जरूरी है। हर बार जब वे स्वतंत्र रूप से खुद को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं और कैंसर के अच्छे, बुरे और बदसूरत पहलुओं के बारे में बात करते हैं, ऐसे में वे अपनी भावनाओं को थोड़ा और बढ़ने देते हैं।
उन्हें इस बारे में बात करने से रोक कर, हम केयरगिवर, दोस्त और परिवार के रूप में, उन पर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं। हम उनसे बात करते हैं, क्योंकि हम यह नहीं जानना चाहते कि उन्हें कैसा लग रहा है। हम यह जानना नहीं चाहते हैं कि यह वक्त उनके लिए कितना मुश्किल था।
हमारे लिए उन्हें सुनना इतना कठिन क्यों है?
कैंसर के बारे में बात करने से बचने वाले ज्यादातर केयरगिवर किसी गलत इरादों से ऐसा नहीं करते हैं। हमें लगता है कि बुरे अनुभवों को याद करना कैंसर से ठीक हुए लोगों के लिए दुःख भरा होगा। हम उन्हें (और खुद को) उस बुरे वक्त को याद नहीं रखना चाहते हैं, हमें लगता है कि उस वक्त को भूल जाना ही अच्छा है। वैसे भी, उन बातों को दोहरा कर भी क्या होगा? क्या ख़ुशियों के बारे में बात करना, और खुश रहना, आगे बढ़ना अच्छा नहीं है?
सहमत है न! आगे बढ़ना और हंसमुख होना सबसे अच्छा है। लेकिन क्या आपका कैंसर फाइटर आगे बढ़ने में सक्षम है? हो सकता है कि उन्हें उस वक्त से बाहर आने के लिए, सबसे पहले उन्हें अपनाने की जरूरत है।
और उन भावनाओं को भूलने के लिए पहला कदम है, उनके बारे में बात करना। उन्हें उन भावनाओं को शेयर करने के लिए कोई चाहिए, जिससे वह बात कर सकें, कोई ऐसा जो उन्हें नकारात्मक या स्वार्थी न समझे।
शुरुआत में, उन सभी शिकायतों को फिर से सुनना थोड़ा बोरिंग हो सकता है। लेकिन बार-बार उन घटनाओं को सुनने के बाद इसकी कड़वाहट कम होने लगती है। उनके लिए यह अनुभव कितना भयावह था, यह दूसरे भी समझ पाएंगे। इस बदलाव में समय लग सकता है, लेकिन यह एक निश्चित संकेत है कि वे भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस कर रहे होंगे।
केयरगिवर के रूप में, यह दोगुना दर्दनाक है। सबसे पहले, कैंसर आपके जीवन और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, भले ही आप उसके रोगी न हों। दूसरी बात, आपको लगता है कि जिस मरीज की आप रात और दिन देखभाल कर रहे हैं, वह आपके प्रति कठोर और एहसान फरामोश हो जाता है।
जाहिर सी बात है आपको इस समय अपनी भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। आप इन यादों को याद नहीं करना चाहते हैं और कैंसर के बारे में बात नहीं करना शायद आपके लिए सही हैै।
इसका जवाब आपकी भावनात्मक ज़रूरतों और आपके कैंसर रोगी के बीच संतुलन बनाने के बीच दबा-सा जाता है। उन्हें करने दें शिकायतें और जब आप उन्हें और नहीं सुनना चाहते हैं, तो उन्हें खुद को व्यक्त करने के कुछ अन्य तरीके बताएं। जैसे कि वे अपने अनुभवों को लिख सकते हैं, या वे कैसे महसूस करते हैं इसकी आवाज़ की रिकॉर्डिंग कर सकते हैं।
कई कैंसर सपोर्ट ग्रुप हैं जो कैंसर के रोगियों और कैंसर से बचे लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे कैसा महसूस करते हैं, इस बारे में खुलकर बात करें। ऐसे ग्रुप में शामिल होने से आपके कैंसर सेनानी को हल्का और अधिक स्वीकृत महसूस करने में मदद मिल सकती है।
Onco.com का एक सपोर्ट ग्रुप है, जहां कैंसर वॉरियर्स और देखभाल करने वाले, समान विचारधारा वाले लोगों से मिल सकते हैं, जो एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझते हैं। आप यह देखने के लिए एक सेशन में भाग ले सकते हैं कि क्या यह आपको बेहतर महसूस कराने में मदद कर रहा है या नहीं।
किसी भी जीवन को बदलने वाले अनुभव की तरह, कैंसर भी या तो एक परिवार को एक साथ ला सकता है या अलग कर सकता है। कीमोथेरेपी के आखिरी साइकल के बाद घंटी बजने पर कैंसर का संघर्ष यहीं खत्म नहीं होता। रोगी के दोबारा शारीरिक रूप से ठीक होने के बाद आप खुद को केयरगिवर की तरह महसूस कर सकते हैं। यह आपको निराश कर सकता है, खासकर जब आपको किसी तरह का श्रेय न दिया जाए।
जब आप विशेष रूप से निराश महसूस करते हैं तो यहां दी गई कुछ बातें याद रखेंः
- आप ऐसे नहीं है- याद रखें कि देखभाल करने वाले के रूप में आप क्या कर सकते हैं, इसकी भी सीमाएँ हैं। आप सब कुछ नियंत्रित नहीं कर सकते। इसलिए उन चीजों को स्वीकार करना सीखें, जिन्हें आप बदल नहीं सकते।
- वे भी ऐसे नहीं है- आपका कैंसर का रोगी अलग से ऐसा नहीं है। आप पाएंगे कि सभी कैंसर रोगी और कैंसर से बचे लोग उनके उपचार के दौरान और बाद में एक समान प्रतिक्रिया देते हैं।
- पहले अपना ख्याल रखें- जरूरत पड़ने पर ब्रेक लें। सुनिश्चित करें कि आप रोजाना किसी प्रकार की सेल्फ-केयर का अभ्यास कर रहे हों, ताकि आप खुद को आराम दे सकें।
- उन्हें ऐसे ही रहने दें- आपके कैंसर के मरीज को समय लगेगा इससे पहले कि वे वास्तव में उस चीज से उबर सकें जो उनके साथ हुई है। आप ऐसा नहीं कर सकते। जब होगा तब होगा
अंत में, अपने आप को और अपने कैंसर रोगी को याद दिलाते रहें कि आप उनके साथ हैं। आपने सबसे बुरे वक्त को एक साथ देखा है और अब आप एक साथ बहुत बेहतर समय देखने का प्लान बना सकते हैं।