अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चलने के बाद छवि ने सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ इस बात को शेयर किया। जिसके बाद से ही उनके चाहने वाले और दोस्त उन्हें काफी गुड विशेज भेज रहे हैं।
स्तन कैंसर का इलाज”
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स्तन कैंसर के मामलों को सीमित करने में बेहतर जीवनशैली को अपनाना शामिल है। इनमें शराब और तंबाकू के सेवन को सीमित करना या उससे बचना, वजन को नियंत्रित करना, शारीरिक रूप से सक्रिय होना और जरूरत पड़ने पर स्तनपान कराना शामिल है।
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पेशे से सर्टिफाइड फिजिओथेरपिस्ट रह चुकीए जिंनिया को साल 2020 में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा। अक्टूबर के महीने में जाकर उनकी लम्पेक्टोमी की गई, जहां से ब्रेस्ट कैंसर होने की बात सामने आई। जो कि इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा ट्रिपल नेगेटिव था। इस ब्लॉग में जिनिया अपने कैंसर के सफर के बारे में बात कर रही हैं।
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हिन्दीआपकी कहानियांमरीज़स्तन कैंसर
ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट सीमा की कहानी पार्ट-3ः नोटपैड की वो लिस्ट
by Team Oncoसीमा आपके बाएं स्तन में लगभग दो से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर है।” हालांकि, कोई एक्सिलरी लिम्फ नोड्स नहीं हैं। सीमा के चेहर कीे शिकन को देखते हुए, डाॅक्टर ने उन्हें बताया कि कैंसर अभी पहले स्टेज में है।
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हिन्दीअन्य प्रकार के कैंसरआपकी कहानियांकैंसर का प्रकारमरीज़स्क्रीनिंग और निदान
कैंसर के इलाज के दौरान गरीबों का सहारा बनीं आंचल शर्मा, पढ़ें पूरी कहानी
by Team Oncoकाफी कम उम्र में कैंसर जैसी बीमारी से जूझने वाली आंचल की कहानी बहुत अलग है। जहां बीमार होने पर लोग खुद की सेवा कराने में लग जाते हैं, वहीं आंचल ने कैंसर के इलाज के दौरान लोगों की खुलकर मदद की इस ब्लॉग में हम उनके कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे।
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किसी भी कैंसर के जोखिम कारक व्यक्तिगत होते हैं, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि हम कैसे अपने जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं। कुछ ऐसे कैंसर हैं जो अक्सर महिलाओं को प्रभावित करते हैं, वे हैं। आज हम इस ब्लॉग में इन कैंसर के बारे में जानेंगे और उन्हें रोकने या उनके संकेतों का पता कैसे लगा सकते हैं इस बारे में जानकारी हासिल करेंगे।
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यह स्तन कैंसर का इलाज शुरुआती चरणों में किया जा सकता है। इसलिए वक्त पर इसकी पहचान करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस ब्लाॅग में हम सीनियर रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ उपासना सक्सेना से जानेंगेए कि कैंसर के साथ रहने और उसका मुकाबला करने के पहलुओं से किस तरह से निपटा जाए।
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साल 2016 में झारखंड के हजारीबाग की दुर्गावती गुप्ता को अपने दाहिने स्तन में कैंसर होने का पता चला। जहां पहली बार उन्हें सही इलाज न मिलने से उनका कैंसर और बढ़ गया। लगभग एक साल बाद दुर्गावती को पैरालाइज अटैक आया जिसमें उनके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। इस ब्लॉग में हम उनके कैंसर के इस सफर के बारे में जानेंगे।
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हिन्दीआपकी कहानियांगर्भाशयग्रीवा कैन्सरमरीज़
कैंसर का सफर: कम उम्र में दो बार कैंसर को दी मात
by Team Oncoमहज 30 साल की उम्र में अर्चना चैहान को दो साल के भीतर कैंसर जैसी घातक बीमारी का दो बार सामना करना पडा। कोरोना काल के बीच दूसरी बार कैंसर का पता चलने पर वह इस माहामारी वाली बीमारी से भी नहीं बच पाई। अर्चना चैहान के इस ब्लाॅग में हम उनके कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे।