थायराइड कैंसर के लिए सर्जरी सबसे आम इलाज है। ट्यूमर के आकार और स्थान के आधार पर, आपका सर्जन थायरॉयड ग्रंथि (लोबेक्टोमी) का हिस्सा या पूरी ग्रंथि (थायरॉयडेक्टॉमी) को हटा सकता है। आपका सर्जन किसी भी आस-पास के लिम्फ नोड्स को भी हटा देता है जहां कैंसर कोशिकाएं फैल गई हैं।
कैंसर का प्रकार
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गर्भाशय के कैंसर के विभिन्न प्रकार होते हैं। सबसे आम प्रकार एंडोमेट्रियम में शुरू होता है, जो गर्भाशय की परत होती है। यह तब होता है जब एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। इस प्रकार को एंडोमेट्रियल कैंसर भी कहा जाता है।
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कैंसर से मरने वाले लोगों की स्थिति भारत देश के लिए एक गंभीर खतरा है। 2018 में, भारत के 1.5 मिलियन लोग कैंसर से मर गए। इस प्रकार, कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिवस 7 नवंबर को मनाया जाता है।
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सर्जरी के दो हफ्ते बाद, सीमा की कीमोथेरेपी शुरू हुई। उन्हें एड्रियामाइसिन (Adriamycin), और साइक्लोफॉस्फेमाइड (Cyclophosphamide) (AC)2, डोज का संयोजन आहार निर्धारित किया गया था। उसके बाद टेक्सेन की चार साइकल थी।
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अधिकांश स्तन कैंसर आक्रामक यानी कि इनवेसिव होते हैं, जिसका मतलब है कि कैंसर जगह से अन्य क्षेत्रों में फैल गया है, जैसे आस-पास के स्तन के ऊतक, लिम्फ नोड्स या शरीर में कहीं और। आक्रामक स्तन कैंसर की कोशिकाएं सामान्य स्तन ऊतक बाधाओं से टूट जाती हैं और रक्तप्रवाह और लिम्फ नोड्स के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं।
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सीमा आपके बाएं स्तन में लगभग दो से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर है।” हालांकि, कोई एक्सिलरी लिम्फ नोड्स नहीं हैं। सीमा के चेहर कीे शिकन को देखते हुए, डाॅक्टर ने उन्हें बताया कि कैंसर अभी पहले स्टेज में है।
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कैंसर के वापस आने को पुनरावृत्ति कहा जाता है। लेकिन अगर आप रेमिशन में हैं, तो शायद आपका स्तन कैंसर वापस नहीं आएगा। स्तन कैंसर वाले अधिकांश लोगों में कभी भी पुनरावृत्ति नहीं होती है। लेकिन यह संभव है, कभी-कभी, कैंसर कोशिकाएं उपचार के बाद भी बनी रहती हैं और बाद में कई गुना बढ़ जाती हैं।
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अधिकांश बच्चों के कैंसर इलाज योग्य होते हैं और उनकी जीवित रहने की दर अधिक होती है। कैंसर तब होता है जब शरीर की अपनी कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। ये अनियंत्रित कोशिकाएं शरीर के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से बढ़ती हैं और ट्यूमर नामक कोशिकाओं का समूह बन जाती हैं।
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16 मार्च 2021 के दिन गुरविंदर को अपने कोलोन कैंसर के बारे में पता चला। डाॅक्टरों ने उन्हें इलाज की काफी कठिन प्रक्रिया के बारे में बताया। जिसके चलते उन्होंने कीमाथेरेपी लेने से मना कर दियाए और अन्य इलाज के विकल्पों का सहारा लिया। इस ब्लाॅग में गुरविंदर बता रही हैं कि किस तरह इलाज को न करना उनकी सेहत को नागवार गुजरा।
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काफी कम उम्र में कैंसर जैसी बीमारी से जूझने वाली आंचल की कहानी बहुत अलग है। जहां बीमार होने पर लोग खुद की सेवा कराने में लग जाते हैं, वहीं आंचल ने कैंसर के इलाज के दौरान लोगों की खुलकर मदद की इस ब्लॉग में हम उनके कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे।