यह स्तन कैंसर का इलाज शुरुआती चरणों में किया जा सकता है। इसलिए वक्त पर इसकी पहचान करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस ब्लाॅग में हम सीनियर रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ उपासना सक्सेना से जानेंगेए कि कैंसर के साथ रहने और उसका मुकाबला करने के पहलुओं से किस तरह से निपटा जाए।
स्तन कैंसर का सफर
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साल 2016 में झारखंड के हजारीबाग की दुर्गावती गुप्ता को अपने दाहिने स्तन में कैंसर होने का पता चला। जहां पहली बार उन्हें सही इलाज न मिलने से उनका कैंसर और बढ़ गया। लगभग एक साल बाद दुर्गावती को पैरालाइज अटैक आया जिसमें उनके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया। इस ब्लॉग में हम उनके कैंसर के इस सफर के बारे में जानेंगे।
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महज 30 साल की उम्र में अर्चना चैहान को दो साल के भीतर कैंसर जैसी घातक बीमारी का दो बार सामना करना पडा। कोरोना काल के बीच दूसरी बार कैंसर का पता चलने पर वह इस माहामारी वाली बीमारी से भी नहीं बच पाई। अर्चना चैहान के इस ब्लाॅग में हम उनके कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे।
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इस ब्लाॅग में हम स्तन कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे, जहां मुंबई के वासावी के रहने वाले परेश जी शाह की मां को कोरोना काल में कंधे में दर्द के बाद स्तन कैंसर के बारे में पता चला। कैंसर के सफर में इलाज के बाद वह काफी हद तक रिकवर हो पाई हैं।
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स्तन कैंसर की कोशिकाएं आमतौर पर एक ट्यूमर बनाती हैं जिसे एक्स-रे पर देखा जा सकता है या आप इसे एक गांठ के रूप में भी महसूस कर सकते हैं।
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