अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चलने के बाद छवि ने सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ इस बात को शेयर किया। जिसके बाद से ही उनके चाहने वाले और दोस्त उन्हें काफी गुड विशेज भेज रहे हैं।
मरीज़
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सचिन, जो लंबे वक्त से एक टीचर के तौर पर काम कर रहे थे, साल 2019 में अगस्त के महीने में उन्हें दांत के दर्द से जूझना पड़ा। अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक साधारण जीवन जीने वाले सचिन की ज़िन्दगी में साल 2019 में बहुत बड़ा बदलाव आया।
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पूरे भारत में कैंसर जैसी घातक बीमारी को हराने वाले जयंत पहले ऐसे भारतीय हैं, जिन्हें एक नहीं, दो नहीं बल्कि छह बार कैंसर हो चुका है। जयंत पिछले लगभग 8 साल कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में लगा चुके हैं।
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सर्जरी के दो हफ्ते बाद, सीमा की कीमोथेरेपी शुरू हुई। उन्हें एड्रियामाइसिन (Adriamycin), और साइक्लोफॉस्फेमाइड (Cyclophosphamide) (AC)2, डोज का संयोजन आहार निर्धारित किया गया था। उसके बाद टेक्सेन की चार साइकल थी।
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पेशे से सर्टिफाइड फिजिओथेरपिस्ट रह चुकीए जिंनिया को साल 2020 में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी से जूझना पड़ा। अक्टूबर के महीने में जाकर उनकी लम्पेक्टोमी की गई, जहां से ब्रेस्ट कैंसर होने की बात सामने आई। जो कि इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा ट्रिपल नेगेटिव था। इस ब्लॉग में जिनिया अपने कैंसर के सफर के बारे में बात कर रही हैं।
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सीमा आपके बाएं स्तन में लगभग दो से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर है।” हालांकि, कोई एक्सिलरी लिम्फ नोड्स नहीं हैं। सीमा के चेहर कीे शिकन को देखते हुए, डाॅक्टर ने उन्हें बताया कि कैंसर अभी पहले स्टेज में है।
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20 साल की उम्र में एक जूनियर ट्रेनी इंजीनियर के तौर पर काम करने वाली मीनाक्षी अपने हर वीकएंड को काफी बेहतर तरीके से एंजाय करती हैं। वह अपनी लाइफ में काफी खुश थी और उनके परिवार को उन पर गर्व था। लेकिन साल 2019 में पलक झपकते ही उनके जीवन में सब कुछ बदल गया। इस ब्लाॅग में हम मीनाक्षी के कैंसर के सफर के बारे में बात बताएंगे।
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काफी कम उम्र में कैंसर जैसी बीमारी से जूझने वाली आंचल की कहानी बहुत अलग है। जहां बीमार होने पर लोग खुद की सेवा कराने में लग जाते हैं, वहीं आंचल ने कैंसर के इलाज के दौरान लोगों की खुलकर मदद की इस ब्लॉग में हम उनके कैंसर के सफर के बारे में जानेंगे।
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पेशे से आईटी प्रोफेशनल सिद्धार्थ घोष दिल्ली के रहने वाले हैं। साल 2014 में फरवरी में उन्हें किडनी में कैंसर का सामना करना पड़ा। हमेशा से स्पोर्ट्स के प्रति रूचि रखने वाले सिदार्थ 12 साल से एक एथलीट रहे हैं और मैराथन में भाग लेते आए हैं। वह हाफ और फुल मैराथन दौड़ते है। इस ब्लाॅग में उनहोंने अपने कैंसर के सफर के बारे में बताया है।
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कैंसर मरीज के साथ-साथ पूरा परिवार इस वक्त को काफी डर और तनाव के साथ जीता है। जाहिर सी बात है, कैंसर का नाम ही किसी को डराने के लिए काफी है। दिल्ली की रहने वाली सुनीता बहल के कैंसर की कहानी के बारे में आज हम जानेंगे।