व्यायाम हमारे शरीर में वास्तव में बहुत से स्वस्थ पदार्थ छोड़ता है जो हमें न केवल फिट रखता है, बल्कि अन्य तरीकों से भी स्वस्थ रखता है
स्तन कैंसर
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कभी-कभी स्तन कैंसर की सर्जरी आपके स्तन (लम्पेक्टोमी) से एक व्यक्तिगत ट्यूमर को हटा देती है, और दूसरी बार कैंसर को हटाने के लिए आपके पूरे स्तन (मास्टेक्टॉमी) को निकालना आवश्यक हो सकता है।
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अपने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चलने के बाद छवि ने सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ इस बात को शेयर किया। जिसके बाद से ही उनके चाहने वाले और दोस्त उन्हें काफी गुड विशेज भेज रहे हैं।
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सर्वाइकल कैंसर (एचपीवी वैक्सीन) वर्तमान में भारत में दो कंपनियों – गार्डासिल और जीएसके (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन) द्वारा बेचा जाता है। ज्यादातर निजी क्षेत्र के अस्पतालों में प्रशासित किया जाता है, यह वैक्सीन केवल तब प्रदान किया जाता है।
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स्तन कैंसर के मामलों को सीमित करने में बेहतर जीवनशैली को अपनाना शामिल है। इनमें शराब और तंबाकू के सेवन को सीमित करना या उससे बचना, वजन को नियंत्रित करना, शारीरिक रूप से सक्रिय होना और जरूरत पड़ने पर स्तनपान कराना शामिल है।
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सर्जरी के दो हफ्ते बाद, सीमा की कीमोथेरेपी शुरू हुई। उन्हें एड्रियामाइसिन (Adriamycin), और साइक्लोफॉस्फेमाइड (Cyclophosphamide) (AC)2, डोज का संयोजन आहार निर्धारित किया गया था। उसके बाद टेक्सेन की चार साइकल थी।
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अधिकांश स्तन कैंसर आक्रामक यानी कि इनवेसिव होते हैं, जिसका मतलब है कि कैंसर जगह से अन्य क्षेत्रों में फैल गया है, जैसे आस-पास के स्तन के ऊतक, लिम्फ नोड्स या शरीर में कहीं और। आक्रामक स्तन कैंसर की कोशिकाएं सामान्य स्तन ऊतक बाधाओं से टूट जाती हैं और रक्तप्रवाह और लिम्फ नोड्स के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल जाती हैं।
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सीमा आपके बाएं स्तन में लगभग दो से तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर है।” हालांकि, कोई एक्सिलरी लिम्फ नोड्स नहीं हैं। सीमा के चेहर कीे शिकन को देखते हुए, डाॅक्टर ने उन्हें बताया कि कैंसर अभी पहले स्टेज में है।
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कैंसर के वापस आने को पुनरावृत्ति कहा जाता है। लेकिन अगर आप रेमिशन में हैं, तो शायद आपका स्तन कैंसर वापस नहीं आएगा। स्तन कैंसर वाले अधिकांश लोगों में कभी भी पुनरावृत्ति नहीं होती है। लेकिन यह संभव है, कभी-कभी, कैंसर कोशिकाएं उपचार के बाद भी बनी रहती हैं और बाद में कई गुना बढ़ जाती हैं।
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यह स्तन कैंसर का इलाज शुरुआती चरणों में किया जा सकता है। इसलिए वक्त पर इसकी पहचान करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इस ब्लाॅग में हम सीनियर रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ उपासना सक्सेना से जानेंगेए कि कैंसर के साथ रहने और उसका मुकाबला करने के पहलुओं से किस तरह से निपटा जाए।
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