गर्भाशय ग्रीवा (जिसको अंग्रेजी में सर्विक्स कहते हैं) का कैंसर भारत तथा विकासशील देशों मेँ महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है तथा यह विश्व के निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों मेँ कैंसर की घटनाओं के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी हैl
सर्विक्स गर्भाशय बेलनाकार मुख होता है जो गर्भाशय के निचले भाग को योनि से जोड़ता हैl जब कैंसर सर्विक्स की कोशिकाओं को प्रभावित करता है तो इसे सर्वाइकल कैंसर कहते हैंl
डॉक्टर इन्दु बंसल एक कैंसर विशेषज्ञ (रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट) हैं जिन्हे इस क्षेत्र 20 वर्षों से अधिक का अनुभव हैl ये सर्विक्स के कैंसर की चिकित्सा की विशेषज्ञ हैं तथा महिलाओं में सर्विक्स के कैंसर के जोखिमों तथा रोग की पहचान के संबंध मेँ जागरूकता फैलाने के लिए जानी जाती हैंl
क्या मुझे सर्विक्स का कैंसर है?
ऐसे कुछ लक्षण हैं जिनके बारे मेँ आपको सतर्क रहना आवश्यक हैl
सामान्यतः महिलाओं को सिर्फ मासिक धर्म के समय ही योनि से रक्तस्राव का सामना करना पड़ता हैl यदि आपको मासिक धर्म के अतिरिक्त भी असामान्य रक्तस्राव, कमर मेँ दर्द अथवा संभोग के बाद रक्तस्राव का अनुभव हो रहा है तो आपको अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिएl
आपको सर्विक्स का कैंसर है या नही इसका पता लगाने के लिए एक सरल जांच प्रक्रिया है जिसे पैप स्मीयर (Pap Smear) टेस्ट कहा जाता है जिसमें योनि के भीतर स्पेकुलम नाम का उपकरण डाल कर कुछ कोशिकाएँ परीक्षण के लिए ली जाती हैंl
इन कोशिकाओं का कैंसर की उपस्थिति के लिए माइक्रोस्कोप द्वारा अध्ययन किया जाता हैl यह एक सरल और संक्षिप्त प्रक्रिया है तथा इससे प्रारम्भिक अवस्था मेँ ही कैंसर का पता लग सकता हैl
यदि आपको ऐसे कोई लक्षण नही भी हों तो भी आपको नियमित अंतराल मेँ पैप स्मीयर परीक्षण करवाते रहना चाहिए जिससे की किसी भी संभावित कैंसर का शुरुआती अवस्था मेँ ही पता चल सके जिससे की चिकित्सा संक्षिप्त और सफल होl यदि आपका गर्भाशय निकाल दिया गया हो परंतु सर्विक्स नही निकाली गई हो तो भी आपके लिए पैप स्मीयर परीक्षण करवाना आवश्यक होगाl
निम्नलिखित तालिका अंतराष्ट्रीय दिशा निर्देशों के अनुसार यह प्रदर्शित करती है कि आपके लिए कितने अंतराल मेँ पैप स्मीयर करवाना आवश्यक है:-
आयु | पैप स्मीयर करवाने का अंतराल |
< 21 वर्ष | पैप स्मीयर की आवश्यकता नही |
21 – 29 वर्ष | तीन वर्ष मेँ एक बार |
30 – 65 वर्ष | तीन वर्ष मेँ एक बार (या) एचपीवी टेस्ट के साथ पाँच वर्ष मेँ एक बार |
> 65 वर्ष | संभवतः आपको पैप स्मीयर की आवश्यकता ना हो, पुष्टि के लिए अपने चिकित्सक से बात करें |
सर्विक्स के कैंसर के क्या कारण हैं?
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर इन जोखिम कारकों से जुड़ा है:
- बहुत कम आयु मेँ विवाह
- दो से अधिक बच्चे
- व्यक्तिगत/ मासिक धर्म से संबन्धित स्वच्छता का अभाव
- धूम्रपान
- एक से अधिक यौन साथी होना
उपरोक्त सभी जोखिम कारक ह्यूमन पैपीलोमा विषाणु संक्रमण से जुड़े हुए हैं जो कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का सबसे सामान्य सीधा कारण हैl यह विषाणु यौन संपर्क से फैलता हैl अतः, एक से अधिक यौन साथी रखना या बहुत कम आयु मेँ यौन क्रिया प्रारम्भ करना इस विषाणु के संक्रमण का जोखिम बढ़ा देता हैl
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर ग्रामीण परिवेश मेँ अधिक देखा गया है तथा इसकी संख्या बीते वर्षों मेँ इसके कारणों तथा मासिक धर्म से संबन्धित स्वच्छता की जागरूकता बढ़ने से स्थिर बनी हुई हैl
क्या सर्विक्स के कैंसर से बचाव के लिए कोई वैक्सीन (टीका) है?
हाँ, एचपीवी वैक्सीन नामक एक वैक्सीन उपलब्ध है जो कुछ प्रकार के cervix के कैंसर से सुरक्षा दे सकती हैl यह वैक्सीन सामान्यतः 12 से 13 वर्ष की आयु मेँ दी जाती है परंतु कई विशेषज्ञ इसे 9 वर्ष की आयु मेँ ही देने की अनुशंसा करते हैंl
यदि बालिका 14 वर्ष से कम आयु की है तो इस वैक्सीन की दो खुराक की आवश्यकता होती हैl 14 वर्ष से अधिक की आयु की बालिकाओं के लिए तीन खुराकों की अवश्यकता होती हैl यह वैक्सीन 24 वर्ष की आयु तक ली जा सकती हैl
24 वर्ष से अधिक तथा 45 वर्ष से कम आयु की महिलाएं भी इस वैक्सीन को ले सकती हैं परंतु ऐसी अवस्था मेँ यह वैक्सीन उतनी प्रभावी नही होती जितनी कम आयु मेँ लेने पर होती हैl
सर्विक्स के कैंसर का सामान्य उपचार क्या है?
सर्विक्स के कैंसर का उपचार कैंसर की अवस्था, प्रकार तथा अन्य कारकों, जैसे की रोगी की आयु तथा स्वास्थ्य की सामान्य पर निर्भर करता हैl
डॉक्टर इन्दु बताती हैं कि “ pehli स्टेज रोग की प्रारम्भिक तथा स्टेज IV अंतिम अवस्था हैl तो यदि ट्यूमर का आकार 4 सेंटीमीटर से कम है (प्रारम्भिक अवस्था) तो इसका उपचार विकिरण चिकित्सा तथा शल्य (सर्जरी) चिकित्सा दोनों से संभव हैl दोनों ही उपचार समान रूप से प्रभावी हैंl परंतु यदि ट्यूमर का आकार 4 सेंटीमीटर से अधिक है तो इसे रोग की द्वितीय अवस्था माना जाएगाl ऐसे मामलों में विकिरण चिकित्सा ही मुख्य उपचार होता हैl कुछ मामलों में प्रारंभिक अवस्था में भी शल्य चिकित्सा के बाद भी विकिरण चिकित्सा की अवश्यकता होती हैl तीसरी और आगे की अवस्था में विकिरण चिकित्सा का प्रयोग किया जाता हैl
विकिरण चिकित्सा दो प्रकार की होते है, बाहरी तथा आंतरिकl बाहरी विकिरण चिकित्सा में 5 सप्ताह के भीतर 25-28 चिकित्सा सत्र होते हैंl यह एक पीड़ारहित प्रक्रिया हैl रोगी को सप्ताह में पाँच बार अस्पताल आने की आवश्यकता होती हैl उपचार में सिर्फ कुछ मिनटों का समय लगता हैl कुछ मामलों में सप्ताह में कीमोथेरेपी चिकित्सा का एक सत्र होता हैl पांच सप्ताह के उपचार के बाद दो सप्ताह का विराम दिया जाता है जिसके बाद आंतरिक विकिरण चिकित्सा शुरू की जाती है जिसमे ट्यूमर के पास रेडियोधर्मी पदार्थ कुछ मिनटों के लिए रखकर रोग का उपचार किया जाता हैl इसे ब्रेकीथेरेपी भी कहा जाता हैl
इस उपचार में गर्भाशय ग्रीवा में एक उपकरण लगा कर उसके माध्यम से विकिरण पहुंचाया जाता है जिससे कि आसपास की स्वस्थ कोशिकाएँ प्रभावित ना होंl इस क्रम में अंतःकोष्ठीय ब्रेकीथेरेपी भी की जाती है जिसमें गर्भाशय के sameep एक उपकरण लगाया जाता हैl इन अंगों के बीच के स्थान की भी ब्रेकीथेरेपी की जाती हैl आपके चिकित्सक आपके लिए सुरक्षित प्रक्रिया का चुनाव करेंगेl स्टेज IV में रसायन चिकित्सा (कीमोथेरेपी) से उपचार किया जाता हैl रक्तस्राव रोकने तथा रोग के अन्य भागों जैसे कि अस्थियों आदि तक पहुँच जाने की स्थिति में भी विकिरण चिकित्सा का प्रयोग होता हैl
यह समझना आवश्यक है कि कैंसर के उपचार के लिए बाहरी तथा आंतरिक, दोनों ही विकिरण चिकित्सा महत्वपूर्ण हैंl आपको उपचार बीच में नही छोडना चाहिएl
क्या मैं इस उपचार के बाद भी गर्भ धारण कर सकती हूँ?
नही, इस उपचार से गुजरने वाले रोगी प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण नही कर सकते तथा उन्हे आगे मासिक धर्म भी नही होताl विकिरण चिकित्सा के बाद मासिक धर्म रुक जाता है, गर्भाशय सिकुड़ जाता है तथा योनि संकुचित हो जाती हैl